जानलेवा एक्यूआई: दिल्ली में 421, ग्रेटर नोएडा में 420, फरीदाबाद में 412, गाजियाबाद में 391, नोएडा में 384

देश में भिवाड़ी, दिल्ली, फरीदाबाद, फतेहाबाद, ग्रेटर नोएडा और सोनीपत में प्रदूषण का स्तर हेल्थ इमरजेंसी के जैसा हो गया है। वहीं 26 अन्य शहरों में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है

By Lalit Maurya

On: Monday 06 November 2023
 

दिल्ली-फरीदाबाद सहित छह शहरों में प्रदूषण का स्तर गंभीर बना हुआ है। स्थिति इतने खराब हो चली है कि बढ़ते प्रदूषण के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने सबक नहीं लिया है। आननफानन में दिल्ली सरकार ने कदम जरूर उठाए हैं, लेकिन तमाम पाबंदियों के बावजूद भी प्रदूषण का स्तर घटने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदूषण बढ़ने का यह सिलसिला आज भी जारी रहा, जब दिल्ली के कई इलाकों में एयर क्वालिटी सूचकांक 500 के करीब दर्ज किया गया। ऐसा ही कुछ हाल देश के अन्य शहरों में भी है, जहां हवा पूरी तरह जहरीली हो चुकी है। 

ऐसा ही कुछ कल भी देखा गया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 06 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 229 में से 33 शहरों में हवा 'बेहतर' रही। वहीं 28 शहरों की श्रेणी 'संतोषजनक' रही जबकि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' रही। वहीं बठिंडा-भागलपुर सहित 43 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू रहा, जबकि अमृतसर सहित 26 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो गया है। वहीं भिवाड़ी 433, दिल्ली 421, फरीदाबाद 412, फतेहाबाद 422, ग्रेटर नोएडा 420 और सोनीपत 417 में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति पर बना हुआ है। कुल मिलकर देखें तो 32 शहरों में स्थिति ऐसी हो गई है जैसे वो कोई गैस चैम्बर हैं।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 33 अंक गिरकर 421 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 412, गाजियाबाद में 391, गुरुग्राम में 373, नोएडा में 384, ग्रेटर नोएडा में 420 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 198 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 251, चेन्नई में 40, चंडीगढ़ में 156, हैदराबाद में 89, जयपुर में 245 और पटना में 265 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 33 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 48, अमरावती 32, अनंतपुर 28, अरियालूर 19, बागलकोट 45, चामराजनगर 36, चेन्नई 40, चिक्कामगलुरु 34, चित्तूर 42, कुड्डालोर 34, दावनगेरे 34, गडग 48, हावेरी 50, होसुर 43, हुबली 48, कडपा 26, कोलार 44, मदिकेरी 36, मंगलौर 38, मैसूर 39, नंदेसरी 50, ऊटी 18, रामानगर 35, रामनाथपुरम 32, सलेम 30, शिवमोगा 46, सिलचर 34, शिवसागर 48, तिरुवनंतपुरम 39, थूथुकुडी 43, तिरुपति 48, विजयपुरा 40, विशाखापत्तनम 47 आदि शामिल रहे।

वहीं बेलगाम, बेंगलुरु, एलूर, गांधीनगर, गुम्मिडिपूंडी, हैदराबाद, इंफाल, जबलपुर, कलबुर्गी, कन्नूर, करौली, कोच्चि, कोल्लम, कोप्पल, मैहर, मिलुपारा, नगांव, पुदुचेरी, रायचुर, राजसमंद, ऋषिकेश, सागर, शिलांग, सिलीगुड़ी, तालचेर, त्रिशूर, तुमिडीह, यादगीर आदि 28 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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