करौली में सबसे ज्यादा रहा प्रदूषण, दिल्ली में भी बढ़कर 377 पर पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

दूसरे शहरों को पीछे छोड़ करौली देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 394 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Thursday 04 January 2024
 

दूसरे शहरों को पीछे छोड़ करौली देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 394 पर पहुंच गया है। इसी तरह बद्दी में भी एक्यूआई 381 रिकॉर्ड किया गया है। दिल्ली में भी प्रदूषण बढ़कर 377 दर्ज किया गया है। वहीं ग्रेटर नोएडा और नोएडा में भी वायु गुणवत्ता 350 के पार है। कुल मिलकर देखें तो देश के 22 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है। वहीं 56 शहरों में हालात दमघोंटू हैं।

वहीं आंकड़ों की मानें तो देश में आठ शहरों में हवा बेहतर दर्ज की गई है। आइजोल में प्रदूषण का स्तर 14 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह नंदेसरी में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 19 दर्ज किया गया है। इनको छोड़े दें तो देश के किसी भी शहर में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चार जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 236 में से महज आठ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 49 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 101 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

पूर्णिया-मेरठ सहित 56 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि ग्वालियर-श्रीगंगानगर सहित 22 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 37 अंक बढ़कर 377 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 311, गाजियाबाद में 338, गुरुग्राम में 266, नोएडा में 351, ग्रेटर नोएडा में 358 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 129 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 235, चेन्नई में 107, चंडीगढ़ में 215, हैदराबाद में 124, जयपुर में 288 और पटना में 349 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 14, चामराजनगर 42, नंदेसरी 19, पालकालाइपेरुर 45, रामनाथपुरम 49, सिलचर 43, शिवसागर 49, और थूथुकुडी 43 शामिल रहे।

वहीं अनंतपुर, बागलकोट, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, चेंगलपट्टू, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दमोह, धारवाड़, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हसन, हुबली, इंफाल,
जालंधर, कडपा, कैथल, कन्नूर, करनाल, कारवार, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, रायपुर, रामानगर, रतलाम, ऋषिकेश, सलेम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सूरत, तिरुवनंतपुरम, तिरुपति, तिरुपुर, उडुपी, वाराणसी, वातवा, विजयपुरा, विजयवाड़ा और वृंदावन आदि 49 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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