दिल्ली-एनसीआर में चरणबद्ध तरीके से कोयला हटाने की तैयारी, 01 जनवरी 2023 से होगा लागू

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिया आदेश, सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरमेंट ने फैसले को ‘महत्वपूर्ण’ बताया।

By Seema Prasad

On: Thursday 09 June 2022
 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट, सीएक्यूएम) ने एक जनवरी, 2023 से समूची दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कोयले को चरणबद्ध तरीके से हटाने का आदेश दिया है। 


स्वतंत्र वैधानिक इकाई वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने इस साल एक अक्टूबर से समूचे एनसीआर में ऊर्जा-गहन उद्योगों में उन क्षेत्रों के लिए व्यापक कोयले पर प्रतिबंध लगाया है, जहां पाइप प्राकृतिक गैस (पीएनजी) का बुनियादी ढांचा और आपूर्ति पहले से ही उपलब्ध है।

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि उन क्षेत्रों में जहां अभी तक पीएनजी की आपूर्ति उपलब्ध नहीं है, वहां यह प्रतिबंध एक जनवरी, 2023 से लागू होगा।

आयोग ने कहा कि: कोयला एक बहुत प्रदूषण फैलाने वाला ईंधन है, जिसका तमाम उद्योगों, घरेलू और अन्य कामों में इस्तेाल किया जाता है। इससे होने वाला उत्सर्जन, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता को खराब करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में कम प्रदूषण वाले साफ ईंधन की जरूरत महसूस की जा रही है।

ताजा आकलन के मुताबिक, एनसीआर में उद्योगों द्वारा सालाना 17 लाख टन कोयले का इसतेमाल किया जाता है। यह ईंधन इस क्षेत्र में वायु-प्रदूषण का स्तर बढ़ाने में प्रभावी भूमिका निभाता है।

सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरमेंट में रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक, अनुमिता रॉयचौधरी ने आयोग के इस फैसले को महत्वूपर्ण बताया। उन्होंने कहा, ‘ ईंधन के रूप में कोयले को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाना है। इस के रूप में शामिल किया जाएगा। पारंपरिक कोयले का विकल्प प्राकृतिक गैस और जैव-ईंधन हैं।’

चूंकि बिजली संयंत्रों में व्यावहारिक तौर पर कोयले का इस्तेमाल रातोंरात बंद नहीं कया जा सकता, इसलिए कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल को इस पाबंदी से बाहर रखा गया है। कम सल्फर वाला कोयला, पारंपरिक कोयले की तुलना में कम सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को अगस्त 2021 में स्थापित किया गया था। इसने अब भंग हो चुके पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण) की जगह ली थी। फिलहाल यह आयोग, वायु प्रदूषण पर देश का सर्वोच्च शासकीय- निकाय है।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने ‘आदित्य दुबे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ के फैसले में निर्माण संबंधी गतिविधियों, परिवहन के साधनों, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों और गैर-जरूरी उद्योगों को एनसीआर में वायु प्रदूषण फैलाने वाले प्रमुख भागीदारों के रूप में सूचीबद्ध किया था।

कोर्ट ने पाया कि आयोग ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए व्यापक कदम उठाने का संकेत नहीं दिया था, इसलिए उसने एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया था। इसके लिए आम जनता और विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे, जिनमें से अधिकांश ने एनसीआर में कोयले को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का सुझाव दिया था

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने अपनेे बयान में आगे कहा गया, - ‘विशेषज्ञ समूह ने अपनी रिपोर्ट में, एनसीआर में कोयले जैसे भारी प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के साथ ही साफ ईंधन को अनिवार्य करने की भी मजबूती से सिफारिश की थी।’

Subscribe to our daily hindi newsletter