वायु प्रदूषण पर लगाम, यूरोप में बचा सकती है हर साल 51,213 की जान
वायु प्रदूषण दुनिया भर में हर साल 70 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले रहा है| वहीं यदि डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों को देखें तो दुनिया की 91 फीसदी आबादी दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर
On: Wednesday 20 January 2021
यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वायु प्रदूषण के लिए जारी मानकों को हासिल कर लिया जाता है तो इसकी मदद से हर साल यूरोप में 51,213 लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी हाल ही में अंतराष्ट्रीय जर्नल लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित शोध में सामने आई है।
यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो वायु प्रदूषण दुनिया भर में हर साल 70 लाख से भी ज्यादा लोगों की जान ले रहा है। वहीं यदि तय मानकों को देखें तो दुनिया की 91 फीसदी आबादी दूषित हवा में सांस लेने को मजबूर है। जिसके चलते ह्रदय रोग, कैंसर, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों और आघात का खतरा बढ़ जाता है।
यदि वायु प्रदूषण को लेकर डब्लूएचओ द्वारा जारी मानकों को देखें तो उसके अनुसार अत्यंत महीन कणों (पीएम 2.5) की मात्रा प्रतिघन मीटर में 10 माइक्रोग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। वहीं नाइट्रस ऑक्साइड (एनओ2) की मात्रा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम होनी चाहिए। यदि वायु में इससे ज्यादा मात्रा में प्रदूषक हैं, तो वो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं।
चूंकि शहरों में आबादी का घनत्व और एनर्जी उपयोग ज्यादा होता है। ऐसे में शहर वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का अड्डा बन जाते हैं। यह शोध भी यूरोप के शहरों पर केंद्रित है, जिसमें 1,000 से ज्यादा शहरों में वायु प्रदूषण और उससे होने वाली मौतों का अध्ययन किया गया है।
जिसके अनुसार यूरोप में वायु गुणवत्ता में किया सुधार, असमय होने वाली 51,213 मौतों को रोक सकता है। वहीं इस शोध से जुड़े शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि वायु गुणवत्ता के स्तर में उतना सुधार हो जाता है जितना यूरोप के सबसे साफ जगह की वायु गुणवत्ता है तो हर साल करीब 125,000 मौतों को टाला जा सकता है।
वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के बारे में जानने के लिए शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण के मॉडल को मृत्यु दर के आंकड़ों के साथ जोड़कर देखा है। जहां होने वाली मृत्यु के आधार पर उन्हें अंक दिए हैं। फिर उन्हें सबसे बेहतर से सबसे बुरे के रूप में क्रमबद्ध किया है। इससे पता चला है कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में शहरों के बीच काफी असमानता है।
84 फीसदी आबादी ले रही है दूषित हवा में सांस
बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ से जुड़े मार्क नीवेनहुइजसेन ने बताया कि "यह शोध साबित करता है कि यूरोप के कई शहर अभी भी वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में जहां वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों से ज्यादा है वो असमय होने वाली मौतों के मामले में भी आगे हैं। यदि औसत रूप से देखें तो जिन शहरों पर अध्ययन किया गया है, उनकी 84 फीसदी आबादी डब्ल्यूएचओ द्वारा पीएम2.5 के लिए तय मानकों से ज्यादा दूषित हवा में सांस ले रही है। जबकि 9 फीसदी एनओ2 के लिए तय मानकों से ज्यादा में रह रही है।
उदाहरण के लिए स्पेन के मेड्रिड शहर को ले लीजिए जहां हर साल होने वाली 7 फीसदी मौतों के लिए एनओ2 जिम्मेवार है। वहीं उत्तरी इटली के पो वैली क्षेत्र में मौजूद शहरों, पोलैंड और चेक गणराज्य में मृत्यु दर सबसे ज्यादा थी। जबकि इटली के ब्रेशिया, बर्गामो और विसेंज़ा शहरों में पीएम 2.5 की सघनता सबसे ज्यादा थी। वहीं इसके विपरीत सबसे कम मृत्यु दर वाले शहरों में नॉर्वे का ट्रोम्सो, स्वीडन का उमिया और फिनलैंड में ओलु, और आइसलैंड की राजधानी रिक्जेविक शामिल थे।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता साशा खोमेन्को के अनुसार ऐसे में स्थानीय स्तर पर उत्सर्जन में कमी करने के प्रयास करना जरुरी है। जिससे इन मौतों को टाला जा सके। इसके लिए निजी वाहनों के स्थान पर सामाजिक वाहनों को बढ़ावा देना जरुरी है। साथ ही उद्योंगों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों से होने वाले उत्सर्जन को भी तुरंत कम करने की जरुरत है। उन्होंने मध्य यूरोप में घरों के अंदर लकड़ी और कोयले पर रोक को महत्वपूर्ण बताया है। साथ ही वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए शहरों में पेड़-पौधों और हरियाली को बढ़ाने का सुझाव भी दिया है।