2024 में दूसरी बार दिल्ली में लगा सांसों पर आपातकाल, 400 के पार पहुंचा एक्यूआई

आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 14 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 447 रिकॉर्ड किया गया था

By Lalit Maurya

On: Wednesday 24 January 2024
 

साल में यह दूसरा मौका है जब राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर आपात स्थिति पर पहुंच गया है। प्रदूषण का आलम यह है कि यहां सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 14 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 447 रिकॉर्ड किया गया था।

ऐसा नहीं है कि बढ़ते प्रदूषण का कहर दिल्ली को ही निशाना बना रहा है, दिल्ली के साथ 20 अन्य शहरों में भी हालात बेहद खराब हैं। जहां वायु गुणवत्ता 300 के पार है। आंकड़ों की मानें तो केवल बड़े शहर ही नहीं आसनसोल (313), बद्दी (321), बहादुरगढ़ (332), बल्लभगढ़ (310), भागलपुर (304), भिवाड़ी (360), बीकानेर (334), धारूहेड़ा (332), हनुमानगढ़ (360), मानेसर (309), नलबाड़ी (302), सहरसा (335), सोनीपत (338), श्रीगंगानगर (306) जैसे छोटे शहर भी प्रदूषण से बेहाल हैं। इन शहरों में स्थिति जानलेवा बनी हुई है।

इसके साथ ही अगरतला, अंगुल, अररिया, बागपत सहित 42 शहरों में हवा दमघोंटू है। कुल मिलाकर देखें तो देश में 63 शहरों में प्रदूषण से हवा दमघोंटू बनी हुई है। हालांकि इस बीच 17 शहरों में वायु गुणवत्ता को बेहतर बताया गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम है, जिनमें गंगटोक (35) की स्थिति सबसे बेहतर है। हालांकि इसके बावजूद देश के अधिकांश शहरों में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 24 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 243 में से महज 17 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 65 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 98 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

देहरादून-जोधपुर सहित 42 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि बीकानेर-धारूहेड़ा सहित 20 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 41 अंक बढ़कर 409 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 340, गाजियाबाद में 328, गुरुग्राम में 354, नोएडा में 370, ग्रेटर नोएडा में 378 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 107, चेन्नई में 123, चंडीगढ़ में 304, हैदराबाद में 76, जयपुर में 183 और पटना में 275 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 17 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 48, अमरावती 50, अरियालूर 46, बागलकोट 47, चामराजनगर 42, दावनगेरे 50, एलूर 49, गंगटोक 35, कडपा 48, मैहर 48, मैसूर 47, सिलचर 47, सूरत 47, थूथुकुडी 46, तिरुपति 47, उडुपी 43 और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं बारां, बरेली, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, ब्रजराजनगर, चेंगलपट्टू, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, देवास, धारवाड़, फिरोजाबाद, गडग , हावेरी, हुबली, हैदराबाद, जलना, कलबुर्गी, कल्याण, कन्नूर, कारवार, खन्ना, खुर्जा, कोलार, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मंगलौर, मिलुपारा, मुंबई, नाहरलगुन, नासिक, नयागढ़, ऊटी, परभनी, पुदुचेरी, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, रामनाथपुरम, सागर, सलेम, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिरोही, शिवसागर, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, तिरुपुर, तुमिडीह, उदयपुर, वाराणसी, वेल्लोर, वृंदावन, और यादगीर आदि 65 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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