बैठे ठाले: भक्त की जय हो
जय बोला, “अब क्या करूं मौसी। हम लोगों की तो आदत ही कुछ ऐसी है! सोच बदलो, तभी देश बदलेगा”
On: Friday 30 July 2021
कभी इस इलाके का नाम रामनगरम हुआ करता था पर बाद में बदलकर रामगढ़ कर दिया गया था। चट्टानी टीलों के बीच प्लाईवुड के सेट लगाकर रामगढ़ डेवलपमेंट अथॉरिटी उर्फ आरडीए ने एक पूरा शहर आबाद कर दिया था। इन्हीं में से एक “वन-बीएचके-विथ-अटैच्ड-आंगन” में जय और मौसी के बीच बातचीत चल रही थी। मुद्दा देश में बढ़ती महंगाई था।
मौसी कोई भजन गुनगुना रही थी, “दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समाई...काहे को बनाई महंगाई..!” जय बोला, “मौसी, महंगाई तो कहीं है ही नहीं!”
मौसी बोली, “हाय दैया! ये क्या कह रहे हो बेटा? अपने लफंगे दोस्त के साथ पूरे शहर में खटारा बाइक पर मटरगश्ती करते हो। क्या तुम्हें इतना भी नहीं पता कि पेट्रोल-डीजल के दाम कितने बढ़ गए हैं?” जय बोला, “ पेट्रोल के दाम बढ़े हैं पर यह महंगाई नहीं है मौसी। सरकार ने यह कदम हमें वायु-प्रदूषण से आजादी दिलाने के लिए उठाया है। सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ाए तो हम फटफटिया छोड़कर बसंती के इक्के की सवारी करने लगे। देखो, अब रामगढ़ की हवा भी कितनी स्वच्छ हो गई है।”
मौसी बोली,“खाद्य तेलों के दाम में हुई बढ़ोतरी को क्या कहोगे बेटा? बारिश के दिन में पकौड़े खाने का मन करता है पर इस कलमुंही महंगाई के चलते अब मैं पकौड़े तक नहीं खा सकूंगी!” इतना कहकर वह सुबुक-सुबुक कर रोने लगीं।
जय ने कहा, “हमारी सरकार ने लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए यह कदम उठाया है। तली हुई चीजों के सेवन से बीमारियां हो जाती हैं। आप पकौड़ी खाओगी तो बदहजमी हो जाएगी। कोलेस्ट्राल बढ़ने का खतरा अलग। है कि नहीं?” मौसी तुनककर बोली, “खबरदार जो तुमने मेरी सेहत के बारे में भला बुरा कहा। चलो मान लिया कि सरकार ने खाद्य तेल के दाम हमारी सेहत को देखते हुए बढ़ाए पर दाल-चावल-चीनी-आटे का भाव भी तो बहुत ज्यादा बढ़ गया है। तो क्या अब हम खाना–पीना भी छोड़ दें?”
जय बोला, “लगता है मौसी आप देश को बदनाम करने के किसी अंतरराष्ट्रीय प्लान का शिकार हो गई हो। क्या आपको पता है कि ज्यादा दाल खाने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है और कई रोग हो जाते हैं। चावल-चीनी से डायबिटीज हो सकता है। आटे की बात तो पूछो मत... राम बचाए आटे से। सुना है उसमें ग्लूटेन जैसे खतरनाक रसायन होते हैं। सरकार ने झम्म से दाम बढ़ा दिए जिससे लोग बेवजह खाना न खाएं और उनका स्वास्थ्य ठीक रहे।”
मौसी बोली, “सही कहते हो। अब तो ऐसे दिन आ गए हैं बेटा कि अब हमें खाना–पीना छोड़ देना चाहिए।” जय ने कहा, “अरे मौसी आप तो बुरा मान गईं!”
मौसी बोलीं, “यह तो बताओ कि प्लेटफॉर्म टिकट और रेलवे का किराया क्यों इतना ज्यादा बढ़ गया?” जय ने कहा, “किराया बढ़ेगा तो आप ट्रेन में यात्रा कम करोगे। यात्रा कम करोगे तो ट्रेन कम चलेंगी और दुर्घटनाएं कम होंगी और आप लंबे समय तक जियोगी। अब हमें ही देख लो, जब से प्लेटफॉर्म और ट्रेन के टिकट के दाम बढ़े हैं, हमने सवारी गाड़ी में सफर करना छोड़ दिया और सारे फाइट सीन मालगाड़ी पर ही करते हैं।”
मौसी बोलीं, “एक बात माननी पड़ेगी बेटा। भले ही ट्रेन के किराए से लेकर दाल-चावल की कीमत आसमान तक पहुंच जाए, पर तुम्हारे मुंह से सरकार के बारे में एक भी बुरा शब्द नहीं निकलेगा।”
जय बोला, “अब क्या करूं मौसी। हम लोगों की तो आदत ही कुछ ऐसी है! सोच बदलो, तभी देश बदलेगा!” मौसी ने पूछा, “बेटा अब लगे हाथ अपना नाम भी बता दो!”
जय ने मुस्कुराकर कहा, “वैसे तो मेरा नाम कभी जय हुआ करता था पर आजकल लोग मुझे भक्त कहकर पुकारते हैं!”
मौसी बोलीं, “भक्त की जय हो! और उन्होंने जय को गले से लगा लिया।