भागलपुर, सहरसा में गैस चैम्बर से हुए हालात, दिल्ली में भी 400 के करीब पहुंचा एक्यूआई

भागलपुर-सहरसा में बढ़ता प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। इन दोनों शहरों में हालात यह है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 31 January 2024
 

भागलपुर-सहरसा में बढ़ता प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। इन दोनों शहरों में हालात यह है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। ऐसा लगता है कि वो किसी गैस चैम्बर में रह रहे हैं। भागलपुर में बढ़ते प्रदूषण का आलम यह है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 432 पर पहुंच गया है। इसी तरह सहरसा में भी एक्यूआई 408 रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि प्रदूषण के मामले में भागलपुर सबसे अव्वल है, लेकिन दिल्ली भी उससे कोई ज्यादा पीछे नहीं है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 392 पर पहुंच गया है। इसी तरह देश के 26 अन्य छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। कुल मिलकर देखें तो देश के छोटे शहरों में प्रदूषण से स्थिति कहीं ज्यादा खराब हो गई है।

आंकड़ों के मुताबिक जहां अगरतला में वायु गुणवत्ता सूचकांक 323 रिकॉर्ड किया गया है। वहीं अंगुल (316), अररिया (399), आरा (336), आसनसोल (324), औरंगाबाद (बिहार) (323), बिहारशरीफ (320), बर्नीहाट (376), चंडीगढ़ (353), छपरा (354), देहरादून (314), धौलपुर (345), फरीदाबाद (316), गाजियाबाद (313), ग्रेटर नोएडा (374), गुरूग्राम (320), हाजीपुर (304), हनुमानगढ़ (304), करौली (335), मुजफ्फरनगर (360), मुजफ्फरपुर (324), नोएडा (341), पटना (358), पूर्णिया (335), राजगीर (335), समस्तीपुर (339) और श्रीगंगानगर (327) में भी हवा जानलेवा बनी हुई है।

इसी तरह 46 अन्य शहरों में भी हालात दमघोंटू बने हुए हैं। वहीं तिरुपति-विजयपुरा सहित 12 शहरों में हवा साफ है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे कम दर्ज किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 31 जनवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 245 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 53 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 104 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

भरतपुर-किशनगंज सहित 46 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि पटना-श्रीगंगानगर सहित 28 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं भागलपुर (432) और सहरसा (408) में हालात आपात बने हुए हैं। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 35 अंक बढ़कर 392 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 316, गाजियाबाद में 313, गुरुग्राम में 320, नोएडा में 341, ग्रेटर नोएडा में 374 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 120 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 226, चेन्नई में 98, चंडीगढ़ में 353, हैदराबाद में 78, जयपुर में 148 और पटना में 358 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अरियालूर 40, बागलकोट 50, चामराजनगर 49, कुड्डालोर 44, गंगटोक 43, कडपा 47, मदिकेरी 43, पालकालाइपेरुर 47, शिवसागर 48, थूथुकुडी 48, तिरुपति 48, और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अमरावती, अनंतपुर, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, भिलाई, भिवानी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कटक, दावनगेरे, धुले, एलूर, गडग, हावेरी, हैदराबाद, इंफाल, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, खन्ना, कोलकाता, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंगलौर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन, नारनौल, ऊटी, पटियाला, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, रामानगर, रामनाथपुरम, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिरसा, सूरत, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर, उडुपी, वाराणसी, वेल्लोर, वृंदावन, और यादगीर आदि 53 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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