धौलपुर सहित 11 शहरों में प्रदूषण से बिगड़े हालात, 40 शहरों में दमघोंटू हुई हवा

दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार करने के लिए काफी है

By Lalit Maurya

On: Monday 12 February 2024
 

धौलपुर में बढ़ता प्रदूषण जानलेवा हो गया है। यदि कल के मुकाबले देखें तो प्रदूषण के स्तर में 51 अंकों को बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 343 पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि धौलपुर में हवा पूरी तरह जानलेवा हो चुकी है। इसी तरह दिल्ली की बात करें तो कल के मुकाबले प्रदूषण में गिरावट जरूर आई है, लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार करने के लिए काफी है। कुल मिलकर देखें तो देश के 11 शहरों में हवा जानलेवा बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के पार है। इन शहरों में अररिया (308), बक्सर (367), छपरा (307), ग्रेटर नोएडा (342), हनुमानगढ़ (331), हापुड़ (332), करौली (335), मुजफ्फरनगर (338) और श्रीगंगानगर (311) शामिल हैं। इसी तरह देश के 38 शहरों में प्रदूषण के चलते हवा दमघोंटू है।

इसके विपरीत यदि देश में सबसे साफ शहर की बात करें तो ऊटी आज फिर सबसे अव्वल है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 27 दर्ज किया गया है। देश के 12 अन्य शहरों में भी हवा बेहतर है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे दर्ज किया गया है। वहीं 107 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम बनी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 12 फरवरी 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 245 में से 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 70 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 107 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

कोलकाता-वापी सहित 38 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा। वहीं हापुड़-मुजफ्फरनगर सहित देश के 11 शहरों में स्थिति जानलेवा बनी हुई है। । 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 12 अंक गिरकर 301 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 234, गाजियाबाद में 249, गुरुग्राम में 295, नोएडा में 296, ग्रेटर नोएडा में 342 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 147, चेन्नई में 69, चंडीगढ़ में 237, हैदराबाद में 75, जयपुर में 231 और पटना में 295 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें बिलासपुर 45, चामराजनगर 49, एलूर 47, कडपा 46, कलबुर्गी 44, कुंजेमुरा 46, मदिकेरी 41, मिलुपारा 46, ऊटी 27, तुमकुरु 33, तुमिडीह 45, और विजयपुरा 39 शामिल रहे।

वहीं आइजोल, अजमेर, अमरावती, अंबाला, अमरावती, अरियालूर, बागलकोट, बांसवाड़ा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, बीदर, ब्रजराजनगर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जैसलमेर, जालंधर, कन्नूर, कारवार, खन्ना, किशनगंज, कोलार, कोप्पल, कोरबा, मैहर, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मंगुराहा, मैसूर, नाहरलगुन, नांदेड़, पाली, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रायचुर, रायपुर, राजसमंद, रामानगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, शिवसागर, सूरत, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुपति, उडुपी, वातवा, और यादगीर आदि 71 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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