श्रीगंगानगर में बढ़ते प्रदूषण से जानलेवा हुई हवा, वहीं साफ हवा वाले शहरों में 35 फीसदी का हुआ इजाफा

दिल्ली से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वहां कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में 77 अंकों की गिरावट आई है, जिसके बाद वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 225 पर पहुंच गया है। हालांकि दिल्ली में अभी भी हवा दमघोंटू बन

By Lalit Maurya

On: Wednesday 08 May 2024
 

देश के दूसरे सभी शहरों को पीछे छोड़ श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 302 पर पहुंच गया है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि वहां की हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार करने के लिए काफी है। वहीं दूसरी तरफ नाहरलगुन में हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां एक्यूआई 25 दर्ज किया गया है। यदि इन दोनों शहरों के बीच प्रदूषण के अंतर को देखें तो वो 12 गुणा का है। हालांकि कल के मुकाबले देखें तो देश के ज्यादातर शहरों में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। इन शहरों में दिल्ली, फरीदाबाद भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि जहां दिल्ली में कल के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में 77 अंकों की गिरावट आई है, जिसके बाद वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 225 पर पहुंच गया है। हालांकि इसके बावजूद दिल्ली की हवा दमघोंटू बनी हुई है। इसी तरह फरीदाबाद के सूचकांक में भी 91 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। इसके बावजूद फरीदाबाद में भी हवा लोगों को बीमार करने के लिए काफी है। आंकड़ों की मानें तो देश में बेहद खराब यानी जानलेवा हवा वाले शहरों की संख्या में कल के मुकाबले 75 फीसदी की गिरावट आई है। देश में खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल से कोई बदलाव नहीं आया है। इन शहरों की संख्या 18 पर बनी हुई है। बता दें कि इन शहरों में बद्दी (204), बहादुरगढ़ (214), बांसवाड़ा (221), बारबिल (220), भरतपुर (238), भिवाड़ी (218), भिवानी (227), चरखी दादरी (256), दिल्ली (225), फरीदाबाद (212), फतेहाबाद (242), ग्रेटर नोएडा (258), हिसार (227), जींद (201), कुरूक्षेत्र (202), मुजफ्फरनगर (220), नोएडा (229), और पंचकुला (235) शामिल हैं।

वहीं दूसरी तरफ देश में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल के मुकाबले 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके बाद इन शहरों की संख्या 25 से बढ़कर 35 पर पहुंच गई है। इनमें चंद्रपुर, कोयंबटूर, गडग, गंगटोक, हल्दिया, हावेरी, हावड़ा, कारवार और कोलकाता शामिल हैं। दूसरी तरफ देश में संतोषजनक वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल से करीब 13 फीसदी की गिरावट आई है, जिसके बाद इनका आंकड़ा घटकर 90 पर पहुंच गया है। इन शहरों में फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हाजीपुर, हुबली, हैदराबाद आदि शामिल हैं। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कल के मुकाबले तीन फीसदी का इजाफा हुआ है। इसके बाद इनकी संख्या बढ़कर 90 पर पहुंच गई है। इनमें अगरतला, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमृतसर, अंगुल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बागपत, बल्लभगढ़, बारां, बाड़मेर, बठिंडा, बेलापुर, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर शामिल हैं। कुल मिलकर देखें तो देश में कल के मुकाबले वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 08 मई 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 234 में से 35 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 90 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 07 मई 2024 यह आंकड़ा 103 दर्ज किया गया था।

90 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही। वहीं 18 शहरों बद्दी, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बारबिल, भरतपुर, भिवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, दिल्ली, फरीदाबाद, फतेहाबाद, ग्रेटर नोएडा, हिसार, जींद, कुरूक्षेत्र, मुजफ्फरनगर, नोएडा, पंचकुला आदि में स्थिति दमघोंटू है। दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर (302) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 300 के पार पहुंच गया है।   

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 77 अंक गिरकर 225 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 212, गाजियाबाद में 183, गुरुग्राम में 189, नोएडा में 229, ग्रेटर नोएडा में 258 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 77 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'संतोषजनक' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 118, चेन्नई में 62, चंडीगढ़ में 164, हैदराबाद में 59, जयपुर में 158 और पटना में 106 दर्ज किया गया।  

इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

बैरकपुर (45) सहित देश के जिन 35 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 42, अमरावती 50, अरियालूर 43, बागलकोट 46, बैरकपुर 45, भिलाई 43, बिलासपुर 46, चामराजनगर 47, चंद्रपुर 35, कोयंबटूर 44, गडग 49, गंगटोक 43, हल्दिया 46, हावेरी 37, हावड़ा 47, कारवार 35, कोलकाता 48, मदिकेरी 35, मंगलौर 48, मैसूर 49, नाहरलगुन 25, पालकालाइपेरुर 42, रायपुर 31, राजगीर 34, रामानगर 44, समस्तीपुर 42, सतना 47, सूरत 29, तिरुवनंतपुरम 45, तिरुपति 49, उडुपी 49, वापी 49, वाराणसी 29, विजयपुरा 42 और यादगीर 40 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अकोला, अंबाला, अमरावती, अंकलेश्वर, आरा, आसनसोल, बदलापुर, बालासोर, बरेली, बारीपदा, बेलगाम, बेंगलुरु, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, भुवनेश्वर, बीदर, बोईसर, ब्रजराजनगर, ब्यासनगर, चेन्नई, छपरा, चिक्कामगलुरु, कटक, दावनगेरे, धारवाड़, दुर्गापुर, एलूर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, गुवाहाटी, हाजीपुर, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, जैसलमेर, जलगांव, जलना, झांसी, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, क्योंझर, खुर्जा, किशनगंज, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, लातूर, महाड, मीरा-भायंदर, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नगांव, नागपुर, नलबाड़ी, नासिक, ऊटी, पानीपत, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुदुचेरी, रायरंगपुर, राजमहेंद्रवरम, राजसमंद, रामनाथपुरम, सहरसा, सलेम, सांगली, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, सोलापुर, तालचेर, टेंसा, ठाणे , थूथुकुडी, त्रिशूर, उल्हासनगर, वातवा, विजयवाड़ा, विरार आदि 90 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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