श्रीगंगानगर बना देश का सबसे प्रदूषित शहर, खराब हवा वाले शहरों में भी हुआ 91 फीसदी का इजाफा

श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 303 दर्ज किया गया है। इसका मतलब है कि वहां हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार करने के लिए काफी है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 03 April 2024
 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक श्रीगंगानगर देश के बाकी शहरों को पीछे छोड़ सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 303 दर्ज किया गया है। इसका मतलब है कि वहां हवा में घुला जहर लोगों को बेहद बीमार करने के लिए काफी है। इसी तरह देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की संख्या में भी आज करीब 91 फीसदी का इजाफा हुआ है। आंकड़ों की मानें तो देश के 21 शहरों में वायु गुणवत्ता 'दमघोंटू' है। इन शहरों में अंगुल, आसनसोल, बारबिल, बारीपदा, भिवानी, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बर्नीहाट, देवास, दुर्गापुर, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हाजीपुर, किशनगंज, नंदेसरी, नयागढ़, राउरकेला, सुआकाती, तालचेर और टोंक शामिल हैं। वहीं कल इन शहरों का आंकड़ा 11 दर्ज किया गया था।

दूसरी तरफ देश में कुड्डालोर में हवा सबसे ज्यादा साफ है, जहां एक्यूआई 18 दर्ज क्या गया है। यदि श्रीगंगानगर में वायु गुणवत्ता की कुड्डालोर से तुलना करें तो प्रदूषण का स्तर करीब 17 गुना ज्यादा है। गौरतलब है कि देश में कुड्डालोर सहित 15 शहरों में वायु गुणवत्ता 'बेहतर' है। हालांकि कल के मुकाबले देखें तो इन शहरों की संख्या में गिरावट आई है। कल इन शहरों का आंकड़ा 19 दर्ज की गई थी। इसी तरह देश में 'संतोषजनक' वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है। इन शहरों का आंकड़ा भी 91 से घटकर आज 81 रह गया है। वहीं दूसरी तरफ देश में 'मध्यम' श्रेणी की वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में कोई अंतर नहीं आया है। इन शहरों का आंकड़ा आज भी 123 दर्ज किया गया है। वहीं दिल्ली की बात करें तो वहां भी प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की गई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 03 अप्रैल 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 241 में से 15 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 81 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 02 अप्रैल 2024 यह आंकड़ा 91 दर्ज किया गया था। 123 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही। वहीं 21 शहरों अंगुल, आसनसोल, बारबिल, बारीपदा, भिवानी, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बर्नीहाट, देवास, दुर्गापुर, फरीदाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरूग्राम, हाजीपुर, किशनगंज, नंदेसरी, नयागढ़, राउरकेला, सुआकाती, तालचेर और टोंक में स्थिति दमघोंटू है। दूसरे शहरों की तुलना में श्रीगंगानगर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 303 पर पहुंच गया है।  

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'मध्यम' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 21 अंक बढ़कर 165 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 207, गाजियाबाद में 140, गुरुग्राम में 239, नोएडा में 162, ग्रेटर नोएडा में 244 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 104, चेन्नई में 64, चंडीगढ़ में 110, हैदराबाद में 86, जयपुर में 116 और पटना में 192 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के जिन 15 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें अमरावती 46, बागलकोट 50, चामराजनगर 47, कुड्डालोर 18, हल्दिया 49, झांसी 41, कडपा 48, मदिकेरी 38, ऊटी 50, पुदुचेरी 27, राजमहेंद्रवरम 34, रोहतक 50, सूरत 50, तुमकुरु 37 और वाराणसी 32 शामिल रहे।

वहीं अगरतला, आगरा, अहमदनगर, आइजोल, अलवर, अंबाला, अनंतपुर, आरा, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, बेंगलुरु, बेतिया, भिलाई, भीलवाड़ा, भिवंडी, भुवनेश्वर, बिलासपुर, चेन्नई, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, कटक, देहरादून, धारवाड़, एलूर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, गया, गोरखपुर, गुम्मिडिपूंडी, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, जालंधर, जलगांव, जालौर, जींद, कैथल, कलबुर्गी, करौली, करनाल, कारवार, काशीपुर, खन्ना, खुर्जा, कोप्पल, कुरूक्षेत्र, लुधियाना, मंडी गोबिंदगढ़, मानेसर, मंगलौर, मुरादाबाद, मैसूर, नारनौल, पानीपत, पटियाला, प्रयागराज, राजसमंद, रामनगर, ऋषिकेश, सागर, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, सोनीपत, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, उडुपी, विजयपुरा, विजयवाड़ा, विरुधुनगर, यादगीर और यमुनानगर आदि 81 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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