महज आठ शहरों में साफ रह गई हवा, उनमें भी डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानकों से ज्यादा है प्रदूषण

दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों को पीछे छोड़ बेगूसराय में प्रदूषण सबसे ज्यादा है, जहां वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से 28 गुणा ज्यादा खराब है

By Lalit Maurya

On: Thursday 14 December 2023
 
हवा में घुलता जहर; फोटो: आईस्टॉक

देश में प्रदूषण अब केवल बड़े शहरों की समस्या नहीं रह गया है। यह बात एक बार फिर आंकड़ों से साफ हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से पता चला है कि बेगूसराय में प्रदूषण का स्तर बढ़कर 424 पर पहुंच गया है। जहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। कुछ ऐसा ही हाल पटना, पूर्णिया, राजगीर जैसे 12 अन्य छोटे शहरों का है, जहां हवा जानलेवा बनी हुई है। बता दें कि बेगूसराय में प्रदूषण का आलम यह कि वो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से भी 28 गुणा अधिक है।

दिल्ली भी प्रदूषण के मामले में ज्यादा पीछे नहीं है। हालांकि कल के मुकाबले दिल्ली में प्रदूषण कम हुआ है, लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला जहर लोगों को बीमार करने के लिए काफी है। यदि आंकड़ों को देखें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 326 रिकॉर्ड किया गया है। जो बेहद खराब वायु गुणवत्ता को दर्शाता है। वहीं देश के महज आठ शहरों में हवा बेहतर बताई गई है। हालांकि इन शहरों में भी प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं उतरता। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 14 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 246 में से महज 8 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 75 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 104 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

बैरकपुर-कटक सहित 45 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि हनुमानगढ़-पटना सहित 13 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। वहीं बेगूसराय में प्रदूषण का स्तर बढ़कर 424 पर पहुंच गया है। यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 52 अंक गिरकर 326 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 278, गाजियाबाद में 264, गुरुग्राम में 282, नोएडा में 282, ग्रेटर नोएडा में 277 पर पहुंच गया है। 

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 134 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 180, चेन्नई में 87, चंडीगढ़ में 165, हैदराबाद में 94, जयपुर में 172 और पटना में 316 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन आठ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 49, चामराजनगर 44, कलबुर्गी 49, कुंजेमुरा 47, मैहर 32, नाहरलगुन 29, ऊटी 48 और शिवसागर 29 शामिल रहे।

वहीं आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती, अंबाला, अनंतपुर, अरियालूर, बागलकोट, बहादुरगढ़, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बेलगाम, बेंगलुरु, बिलासपुर, ब्रजराजनगर, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चिक्कामगलुरु, चित्तूर, दमोह, दावनगेरे, देहरादून, धारवाड़, गडग, गांधीनगर, हसन, हुबली, हैदराबाद, इंफाल, इंदौर, जबलपुर, जलगांव, कडपा, कांचीपुरम, कन्नूर, करौली, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मंगलौर, मैसूर, नागपुर, पालकालाइपेरुर, पंचकुला, प्रयागराज, पुदुचेरी, राजसमंद, रामानगर, रतलाम, ऋषिकेश, सागर, सलेम, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तिरुपुर, तुमिडीह, उडुपी, वाराणसी, वातवा, वेल्लोर, विजयपुरा, विजयवाड़ा, वृंदावन और यादगीर आदि 75 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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