दिल्ली सहित 27 शहरों में बेहद खराब बनी हुई है हवा, वहीं 69 में दमघोंटू हैं हालात

दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 383 दर्ज किया गया है।

By Lalit Maurya

On: Monday 25 December 2023
 

दिल्ली में वायु गुणवत्ता अभी भी बेहद खराब बनी हुई है। जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 383 दर्ज किया गया है। ऐसा नहीं है कि प्रदूषण का जहर केवल बड़े शहरों तक सीमित है। हनुमानगढ़ जैसे छोटे शहरों में भी वायु गुणवत्ता की स्थिति बेहद खराब बनी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक 27 शहरों में हवा जानलेवा है। हनुमानगढ़ में तो एक्यूआई 387 दर्ज किया गया है। इसी तरह देश के 69 शहरों में वायु गुणवत्ता दमघोंटू बनी हुई है।
वहीं ऊटी सहित देश के केवल नौ शहरों में हवा साफ रह गई है। हालांकि इन शहरों में भी वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरी नहीं है। वहीं 55 शहरों में हवा संतोषजनक है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 25 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 242 में से महज नौ शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 55 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 82 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

चुरू-हावड़ा सहित 69 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि बल्लभगढ़-चित्तौड़गढ़ सहित 27 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है। 

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 28 अंक गिरकर 383 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 297, गाजियाबाद में 280, गुरुग्राम में 298, नोएडा में 316, ग्रेटर नोएडा में 336 पर पहुंच गया है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 155 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 148, चेन्नई में 88, चंडीगढ़ में 289, हैदराबाद में 134, जयपुर में 342 और पटना में 233 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन नौ शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 23, चामराजनगर 41, चिक्कामगलुरु 49, एलूर 46, मदिकेरी 29, मंगुराहा 47, ऊटी 19, सिलचर 38, और शिवसागर 47 शामिल रहे।

वहीं अनंतपुर, औरंगाबाद (बिहार), बागलकोट, बरेली, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चिकबलपुर, चित्तूर, कुड्डालोर, दमोह, दावनगेरे, धारवाड़, गडग, गंगटोक, गुवाहाटी, हुबली, इंफाल, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, काशीपुर, कोहिमा, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मैहर, मिलुपारा, मैसूर, नाहरलगुन, पालकालाइपेरुर, पुदुचेरी, रामानगर, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, टेंसा, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, तिरुचिरापल्ली, तिरुपुर, उडुपी, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा और वृंदावन आदि 55 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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