क्या कभी साफ होगी देश में हवा, दिल्ली-पटना सहित 84 शहरों में बिगड़े हुए हैं हालात

देश में दिल्ली-पटना सहित 84 शहरों में वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। भागलपुर में तो स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 368 पर पहुंच गया है

By Lalit Maurya

On: Thursday 28 December 2023
 
धुंध और प्रदुषण में लिपटा शहर; फोटो: आईस्टॉक

देश में दिल्ली-पटना सहित 84 शहरों में वायु गुणवत्ता जानलेवा बनी हुई है। भागलपुर में तो स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 368 पर पहुंच गया है। इसी तरह भरतपुर और ग्रेटर नोएडा में सूचकांक 360 पर, जबकि सहरसा और दिल्ली में एक्यूआई 358 रिकॉर्ड किया गया है।

जो इस बात का सबूत है कि इन शहरों में हवा पूरी तरह जहरीली हो चुकी है। हालांकि कल के मुकाबले देखें तो दिल्ली में प्रदूषण कुछ कम जरूर हुआ है लेकिन इसके बावजूद हवा में घुला यह जहर लोगों को बीमार करने के लिए पर्याप्त है।

वहीं देश के सबसे साफ शहर की बात करें तो एक बार फिर आइजोल में प्रदूषण का स्तर सबसे कम रहा, जहां वायु गुणवत्ता 13 दर्ज की गई है। इसी तरह थूथुकुडी में भी सूचकांक 34 रिकॉर्ड किया गया है। हालांकि देश के 12 शहरों में हवा साफ है लेकिन इसके बावजूद आइजोल को छोड़कर किसी भी शहर में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों पर खरा नहीं है। ऐसे में देश की हवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित है इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 28 दिसंबर 2023 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश के 239 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 51 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) थी, जबकि 92 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) रही।

चंद्रपुर-जालौर सहित 63 शहरों में प्रदूषण का स्तर दमघोंटू (201-300 के बीच) रहा, जबकि बद्दी-छपरा सहित 21 शहरों में प्रदूषण का स्तर जानलेवा (301-400 के बीच) है।

यदि दिल्ली की बात करें तो यहां वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 22 अंक गिरकर 358 पर पहुंच गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में इंडेक्स 293, गाजियाबाद में 318, गुरुग्राम में 219, नोएडा में 351, ग्रेटर नोएडा में 360 पर पहुंच गया है।

देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 194 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के 'मध्यम' स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 149, चेन्नई में 70, चंडीगढ़ में 257, हैदराबाद में 113, जयपुर में 219 और पटना में 308 दर्ज किया गया।  

देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ 

देश के महज जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल 13, चामराजनगर 43, चिक्कामगलुरु 49, मदिकेरी 38, मंगुराहा 46, मैसूर 47, पालकालाइपेरुर 44, रामानगर 44, शिलांग 44, सिलचर 36, थूथुकुडी 34 और उडुपी 47 शामिल रहे।

वहीं अमृतसर, बागलकोट, बाड़मेर, बठिंडा, बेलगाम, बेंगलुरु, बेतिया, चेन्नई, चिकबलपुर, चित्तूर, कोयंबटूर, दमोह, दावनगेरे, धारूहेड़ा, धारवाड़, एलूर, गडग, गांधीनगर, गंगटोक, हुबली, इंफाल, जालंधर, झांसी, कडपा, कलबुर्गी, कांचीपुरम, कन्नूर, कारवार, कोहिमा, कोलार, कोल्लम, कोरबा, मैहर, मिलुपारा, नाहरलगुन, पुदुचेरी, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सिलीगुड़ी, शिवसागर, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, तिरुपति, तिरुपुर, वाराणसी, विजयपुरा, विजयवाड़ा और वृंदावन आदि 51 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया। 

क्या दर्शाता है यह वायु गुणवत्ता सूचकांक, इसे कैसे जा सकता है समझा?

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।

वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है।

इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है। 

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