सर्दियों में वायु प्रदूषण: दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में पराली की मात्रा घटी

दिल्ली-एनसीआर के शहरों वायु प्रदूषण के रूझानों का सीएसई का नया विश्लेषण जारी किया

By Anil Ashwani Sharma

On: Thursday 31 March 2022
 

 

दिल्ली और एनसीआर में शीतकालीन वायु प्रदूषण के रुझानों का एक नया विश्लेषण दिखा रहा है कि मौसमी औसत स्तरों में निरंतर गिरावट हो रही है। यदि समय रहते इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले वर्षों में यह प्रवृत्ति और खराब हो सकती है और महामारी के दौरान हुई गिरावट को असफल कर सकती है। यह विश्लेषण सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने किया है। दिल्ली-एनसीआर में निगरानी स्टेशनों से सर्दियों की अवधि (1 अक्टूबर - 28 फरवरी) के वास्तविक आंकड़ों के इस विश्लेषण से पता चलता है कि इस सर्दी में विभिन्न चरणों में भारी और लंबी बारिश के बावजूद, लंबे समय तक धुंध का क्रम और ऊंचा स्तर बना रहा। जनवरी में क्षेत्र में कुछ दिनों की संतोषजनक वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जो पिछले तीन सत्रों में नहीं हुई है। यह अभूतपूर्व भारी वर्षा और जनवरी में महामारी की ओमीक्रोन-वेव के कारण शहर में लगाए गए लॉकडाउन के कारण संभव हुआ था।

सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी कहती हैं, “बढ़े हुए प्रदूषण के स्तर और धुंध के क्रम प्रणालीगत प्रदूषण का एक प्रमाण है जो सभी क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और प्रणालियों के कारण सभी सेक्टरों में जारी है। इसे तभी काबू में किया जा सकता है जब साल भर की कार्रवाई सभी सेक्टरों और क्षेत्र में अधिक कठोर और एक समान हो। स्वच्छ वायु मानकों को पूरा करने के लिए कार्रवाई को प्रदर्शन आधारित होना चाहिए।” सीएसई के प्रोग्राम मैनेजर अर्बन लैब एनालिटिक्स अविकल सोमवंशी कहते हैं, “भले ही पूरे क्षेत्र में मौसमी औसत में काफी भिन्नता है, लेकिन इस क्षेत्र में सर्दियों के प्रदूषण के क्रम खतरनाक रूप से उच्च और साथ-साथ होने वाले हैं। सबसे अधिक सर्दी होने के बावजूद, पीएम 2.5 का सर्दियों का औसत ऊंचा बना हुआ है और स्थानीय और क्षेत्रीय स्रोतों का योगदान पराली के धुएं से अधिक है।”

एक सदी से अधिक समय में सर्वाधिक नमी वाली सर्दी के बावजूद दिल्ली की वायु गुणवत्ता में केवल मामूली सुधार देखने में आया। दिल्ली का शहर भर में सर्दियों का औसत 172 ug/m3 था जो कि 2019-20 की सर्दियों के मौसमी औसत के समान ही है, लेकिन 2020-21 के मौसमी औसत से 9 प्रतिशत कम है। मौसमी उच्चता दोनों पूर्ववर्ती सर्दियों की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत कम था। मौसम विभाग के अनुसार पिछली सर्दियों की तुलना में इस बार की सर्दी हाल के वर्षों में सर्वाधिक नमी वाली रही, लगभग 2-3 गुणा अधिक वर्षा के साथ, जिनमें से अधिकांश जनवरी में हुई थी, जिससे शहर में वास्तविक समय वायु गुणवत्ता की निगरानी शुरू होने के बाद से यह जनवरी सबसे कम प्रदूषित हुई। लेकिन इस मौसम संबंधी लाभ ने शहर को ज्यादा राहत नहीं दी क्योंकि बारिश के बीच तेजी से निर्माण और बारिश रहित अवधि के दौरान धुंध के क्रम के बनने ने  मौसमी औसत को विषाक्त रूप से उच्च बनाए रखा।

पराली के धुएं के बिना भी सर्दी धुंधली हो जाती है। इस साल अक्टूबर-दिसंबर में 52 दिनों के दौरान दिल्ली की हवा में पराली के धुएं का औसत संकेंद्रण 28ug/m3  प्रतिदिन था। उन दिनों दिल्ली में बाकी पीएम 2.5 गैर पराली आग के थे। यह पिछली सर्दियों के दौरान देखी गई प्रवृत्ति के अनुरूप है। पराली की आग से निकलने वाला धुआं स्थानीय-क्षेत्रीय प्रदूषण भार पर केवल संकेत देता है, जो पहले से ही उलट होने के कारण गंभीर श्रेणी में आ गया है। वास्तव में, दिसंबर के अंत में धुंध की घटनाएं पराली के धुएं के प्रभाव के बिना भी होती हैं।

वजीरपुर एकमात्र मान्यता प्राप्त हॉटस्पॉट था जिसने हवा की बिगड़ती स्थिति दर्ज की। वजीरपुर को छोड़कर, दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण हॉटस्पॉट सूची के सभी स्थानों में पिछली सर्दियों की तुलना में मौसमी पीएम2.5 स्तर में गिरावट देखी गई। 131 ug/m3 के मौसमी औसत के साथ बहादुरगढ़ हॉटस्पॉट में सबसे कम प्रदूषित बना हुआ है। 252 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मौसमी औसत के साथ जहांगीरपुरी मान्यता प्राप्त हॉटस्पॉटों में सबसे गंदा था। पिछली सर्दियों में सीएसई द्वारा पहचाने गए उभरते हॉटस्पॉट्स में बहुत उच्च स्तर का उल्लेख किया गया था। गाजियाबाद में लोनी 247ug/m3 के मौसमी औसत के साथ उभरते हॉटस्पॉट्स में सबसे प्रदूषित था। 135 ug/m3 के मौसमी औसत के साथ ग्रेटर नोएडा इस समूह से सबसे कम प्रदूषित था।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के चार प्रमुख शहरों में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित था। केवल फरीदाबाद ने पिछली सर्दियों की तुलना में मौसमी औसत में वृद्धि दर्ज की। चार बड़े एनसीआर शहरों में गाजियाबाद और नोएडा ने गुरुग्राम और फरीदाबाद की तुलना में सर्दियों के औसत में अपेक्षाकृत अधिक सुधार दर्ज किया है।

एनसीआर के छोटे शहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है, हालांकि एक मिश्रित प्रवृत्ति है। एनसीआर के 27 में से दस शहर पिछले तीन सर्दियों के औसत से मौसमी औसत में गिरावट दिखाते हैं। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब हुई, जो इस सर्दी में अपने मौसमी औसत से दोगुना होकर 142  ug/m3 हो गई। इसके बाद हरियाणा के भिवानी और मानेसर में मौसमी वायु गुणवत्ता में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। हरियाणा के पलवल और मंडीखेड़ा में सबसे अधिक सुधार (30 प्रतिशत से अधिक) दर्ज किया गया।

 

Subscribe to our daily hindi newsletter