डीटीई का खुलासा : कोका-कोला, रिलायंस, अदानी जैसे समूह से बीते 30 सालों में जुर्माना नहीं वसूल पाई सीपीसीबी

पर्यावरणीय जुर्माने पर वर्षों तक अदालती फैसलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, देश की सर्वोच्च प्रदूषण नियंत्रक संस्था सीपीसीबी इस मामले में फिसड्डी साबित हो रही।

By Vivek Mishra

On: Tuesday 24 May 2022
 

अदालतें पर्यावरणीय जुर्माने का आदेश देती हैं और हम उस अदालती कथन को ही न्याय का पूरा होना समझ लेते हैं। दरअसल पर्यावरणीय जुर्माना एक खेल बन चुका है और कंपनियां इसका मजाक बना रही हैं। या तो जुर्माने को एक अदालत से दूसरी अदालत में चुनौती देकर उन्हें वर्षों तक खींचा जाता है या फिर जुर्माना निरस्त कर दिया जाता है। जो बचता है उसे वसूला भी नहीं जाता।

पर्यावरणीय जुर्माने को वसूलने के मामले में स्याह पक्ष यह है कि जिम्मेदार एजेंसियां इस पर सालों तक कुछ नहीं करतीं और जुर्माना देने वाली कंपनियां इसका फायदा उठा रही हैं। यही कारण है कि देश की सर्वोच्च प्रदूषण नियंत्रण संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) कोका कोला समूह, पेप्सिको समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अदानी समूह जैसी बड़ी नामी-गिरामी कंपनियों से पर्यावरणीय प्रदूषण फैलाने और पर्यावरणीय क्षति के बाद भी बीते तीस वर्षों में एक रुपया वसूल नहीं पाई हैं। पर्यावरणीय जुर्माना सिर्फ कारण बताओ नोटिस और कागजी लेन-देन तक ही सीमित हो रहा है।  

डाउन टू अर्थ का यह खुलासा सूचना अधिकार के तहत हासिल किए गए जवाब पर आधारित है। डाउन टू अर्थ को इस संबंध में आरटीआई का जवाब 8 अप्रैल, 2022 को और प्रथम अपील का जवाब 12 मई, 2022 को सीपीसीबी की ओर से हासिल हुआ है। 

सीपीसीबी ने अपने जवाब में कहा है कि उन्हें यह नहीं मालूम है कि 1990 से लेकर 2022 तक सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और देश के अन्य हाईकोर्ट ने किन-किन मामलों में अब तक कितना पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। वहीं, सीपीसीबी ने अपने जवाब में यह बताया कि अब तक एनजीटी के विभिन्न आदेशों के तहत महज 583 करोड़ रुपए ही पर्यावरणीय जुर्माना वसूला जा सका है। हालांकि, कुल कितना पर्यावरणीय जुर्माना और वसूला जाना है इसे छिपाते हुए आरटीआई में कोई जवाब नहीं दिया है। 

यह चौंकाने वाला तथ्य है कि उसे किन-किन अदालती मामलों में पर्यावरणीय जुर्माना वसूलना है, इसके बारे में सीपीसीबी के पास कोई सूचना नहीं है। 

वहीं, सीपीसीबी ने बीते तीस वर्षों तक विभिन्न पर्यावरणीय मामलों में अदालतों के जरिए दिए गए जुर्माना वसूलने वाले आदेशों पर अमल नहीं किया है। सीपीसीबी ने अपने जवाब में कहा है कि कोका-कोला समूह, पेप्सिको समूह, रिलांयस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अदानी समूह से 1990-2020 के बीच दिए गए विभिन्न अदालती आदेशों के तहत जुर्माने की कोई राशि हासिल नहीं हुई है। 

डीटीई ने ऐसे ही कुछ प्रमुख अदालती मामलों की पड़ताल की जिसके तहत सीपीसीबी को इन कंपनियों से जुर्माना वसूलना था। 

कोका कोला पर 506,631,100 का जुर्माना

ओरिजनल एप्लीकेशन (ओए) 997/2019 और 28/2020 मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 सितंबर 2020 को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन अधिनियम  (पीडब्लयूएम), 2018 के तहत प्लास्टिक कचरा का सही से प्रबंधन न करने के लिए अन्य कंपनियों के साथ मैसर्स हिंदुस्तान बेवरेज कोका कोला बेवरेजस प्राइवेट लिमिटेड पर करीब 51 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। 

 

पेप्सिको इंडिया पर 89,700,000 का जुर्माना

ओरिजनल एप्लीकेशन (ओए) 997/2019 और 28/2020 मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 10 सितंबर 2020 को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन अधिनियम  (पीडब्लयूएम), 2018 के तहत प्लास्टिक कचरा का सही से प्रबंधन न करने के लिए अन्य कंपनियों के साथ पेप्सिको इंडिया पर 8 करोड़ 97 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। 

अदानी समूह पर 500,00,000 का जुर्माना

जगन्नाथ समिति बनाम भारत सरकार (ओए 578/2018) के मामले में एनजीटी ने अदानी समूह की मैसर्स उदूपी पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड पर प्रदूषण पाए जाने के खिलाफ पॉल्यूटर पे प्रिंसिपल के तहत 5 करोड़़ रुपए का अंतरिम जुर्माना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा करने का आदेश दिया था। हालांकि, सीपीसीबी ने अपने आरटीआई जवाब में स्पष्ट कहा है कि उन्हें अदानी समूह की तरफ से कोई राशि 1990 से 2020 के बीच नहीं मिली। 

79 करोड़ में रिलायंस से वसूला जाने वाला जुर्माना

एनजीटी में (ओए 147/2016 )आदित्य एन प्रसाद व  रिलायंस इंडस्ट्रीज मामले में सीपीसीबी ने रिलायंस कंपनी को एक करोड़ रुपए के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस दिया और बाद में इस आदेश को 4 फरवरी, 2019 को निरस्त कर दिया। 

हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के ही एक दूसरे मामला मध्य प्रदेश में सिंगरौली क्षेत्र के प्रदूषण का है। एनजीटी ने  11 अक्तूबर, 2019 को गंभीर प्रदूषित सिंगरौली क्षेत्र में कोयले की खदान और कोयला आधारित पावर प्लांट चलाने वाली कंपनियों पर कुल 79 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इसमें रिलांयस समूह भी शामिल था। सीपीसीबी के मुताबिक इस मामले में भी जुर्माने की कोई राशि उन्हें नहीं मिली है।  

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