तूतीकोरिन पुलिस फायरिंग के लिए पुलिस और राजस्व अधिकारी जिम्मेदार
जांच आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री और जिला कलेक्टर की तीखी आलोचना की है और घटना के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की
On: Friday 28 October 2022
न्यायमूर्ति अरुणा जगदीशन जांच आयोग (सीओआई) ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत के लिए पूरी तरह से पुलिस और राजस्व अधिकारी जिम्मेदार हैं। आयोग ने जिला कलेक्टर और तत्कालीन मुख्यमंत्री की भी तीखी आलोचना की है। साथ ही पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की है।
तमिलनाडु राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति अरुणा जगदीशन जांच आयोग (सीओआई) की अंतिम रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रख दी है। ध्यान रहे कि सीओआई का गठन मई 2018 में तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में 13 लोगों की मौत की जांच के लिए किया गया था।
सीओई ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन तमिलनाडु सरकार, विशेष रूप से पुलिस के इस दावे को पूरी तरह से निराधार करार दिया है, जिसमें पुलिस यह दावा कर रही है कि फायरिंग प्रदर्शनकारियों द्वारा शुरू की गई हिंसा को नियंत्रित करने के लिए की गई थी।
विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट के रखे जाने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस घटना को राज्य के इतिहास पर एक काला धब्बा बताते हुए कहा है कि मृतकों के परिवारों को दी जाने वाली मुआवजा राशि को और बढ़ाया जाएगा और साथ ही मृतकों के परिवारों का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा।
न्यायमूर्ति अरुणा जगदीसन जांच आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से तत्कालीन तमिलनाडु सरकार को विरोध से निपटने की उसकी कार्रवाई को गलत करार दिया है और साथ ही आयोग ने इस घटना से जुड़े सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।
ध्यान रहे कि स्टरलाइट कॉपर प्लांट, वेदांत लिमिटेड की एक इकाई है। 2018 में बंद होने के पहले तक यह भारत का सबसे बड़ा कॉपर स्मेल्टर प्लांट हुआ करता था। यह प्लांट 1997 में शुरू हुआ था।
पिछले कुछ वर्षों से प्लांट के आस-पास रहने वाले ग्रामीण लोगों, पर्यावरणविदों और कुछ राजनीतिक दलों ने प्रदूषण संबंधी परेशानियों को लेकर कई बार इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। विरोध करने वालों का कहना था कि इस प्लांट के कारण इलाके की आबोहवा और पानी की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट हो रही है और साथ-साथ मछली पकड़ने में कई प्रकार की बाधाएं आ रही हैं।
2018 की शुरुआत में यह विरोध और तेज हो गया। यह विरोध धरना, भूख हड़ताल, जनसभा आदि के रूप में लगातार जारी रहा। घटना के दिन यानी 22 मई, 2018 को हजारों प्रदर्शनकारियों ने प्लांट को तत्काल बंद करने की मांग करते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय की ओर मार्च किया।
तब उस समय राज्य सरकार ने यह दावा किया कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी और प्रदर्शनकारियों ने हिंसा शुरू कर दी थी। इसलिए पुलिस को मजबूरी में गोलियां चलानी पड़ीं और इससे दो महिलाओं सहित 12 लोगों की मौत हो गई। अगले दिन एक और प्रदर्शनकारी ने दम तोड़ दिया।
तमिलनाडु में तत्कालीन अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) सरकार ने घटना के अगले दिन ही न्यायमूर्ति अरुणा जगदीशन जांच आयोग का गठन किया था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग को अकारण बताया है और साथ ही तूतीकोरिन के जिला कलेक्टर एन. वेंकटेश की प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत करने में विफल रहने की भी तीखी आलोचना की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना के दिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कलेक्ट्रेट तक पहुंचने से रोकने के लिए भीड़ नियंत्रित करने के लिए जिन उपायों को अपनाया, इससे उनकी अक्षमता उजागर हुई। आयोग ने कहा कि गोलीबारी बिना चेतावनी के शुरू कर दी गई। इससे घटना स्थल पर ही 13 मौतों के अलावा कम से कम 33 और लोग गोली से घायल हुए।
यहां यह भी देखने वाली बात है जिसमें आयोग ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति के शरीर पर लगी गोली को देखा गया तो पता चला कि गोलीबारी के कारण होने वाली लगभग सभी मौतों में पीड़ितों के चेहरे पर गोलियां लगी थीं। यह इस बात को दर्शाता है कि पुलिस ने कमर के नीचे निशाना लगाने की अपनी परंपरा का निर्वहन ठीक ढंग पालन नहीं किया।
यही नहीं फायरिंग मुख्य रूप से उन प्रदर्शनकारियों पर की गई जिनसे पुलिस को किसी प्रकार का खतरा नहीं था क्योंकि वे सभी के सभी लगातार घटनास्थल से पीछे की हटते जा रहे थे। इसके अलावा आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री पलानीस्वामी की इस टिप्पणी पर भी तीखी आलोचना की कि उन्हें इस घटना के बारे में टेलीविजन रिपोर्टों के माध्यम से पता चला। जबकि वास्तविकता यह थी मुख्यमंत्री को हर पल की खबर तत्कालीन मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन से लेकर पुलिस महानिदेशक टी.के. राजेंद्रन और खुफिया प्रमुख केएन सत्यमूर्ति लगातार अवगत करा रहे थे।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 17 पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है। और साथ ही जिला कलेक्टर वेंकटेश के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। आयेाग ने मृतकों के परिवार को वित्तीय मुआवजे को बढ़ाकर 50 लाख और घायलों को 10 लाख करने की भी सिफारिश की है।
राज्य के मख्यमंत्री ने इस घटना को राज्य के इतिहास पर एक काला धब्बा करार देते हुए कहा कि मृतकों के परिवारों को मुआवजे में 5 लाख की वृद्धि की जाएगी। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस जघन्य घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कलेक्टर और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके अलावा अब तक पुलिस उपाधीक्षक रैंक के एक अधिकारी और तीन कांस्टेबल को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।