भारत के बड़े शहर रोज उत्पन्न करते हैं 26 हजार टन प्लास्टिक

भारत हर साल 6,50,000 टन प्लास्टिक उत्पन्न करता है। अब भी 22 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं

By Bhagirath Srivas

On: Tuesday 03 March 2020
 

भारत में प्लास्टिक की खपत को सीमित करने के तमाम प्रयास कामयाब नहीं हो रहे हैं। देश में एक व्यक्ति साल में करीब 11 किलो प्लास्टिक की खपत करता है। भारत प्रति व्यक्ति न्यूनतम खपत वाले देशों में शामिल है, फिर भी हम दुनिया के 12 सबसे बड़े प्लास्टिक प्रदूषकों में शामिल हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि प्लास्टिक रिसाइक्लिंग के मामले में हम फिसड्डी साबित हो रहे हैं। भारत के प्रमुख शहर करीब 26,000 टन प्लास्टिक प्रतिदिन उत्पन्न कर रहे हैं।

इनसे से 60 प्रतिशत यानी 15,600 टन प्लास्टिक ही रिसाइकल हो पाता है। शेष प्लास्टिक कचरे में तब्दील हो जाता है। यह प्लास्टिक कचरा हमारे नालों को जाम और नदियों को प्रदूषित करता है। दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, बैंगलुरू, अहमदाबाद और हैदराबाद सर्वाधिक प्लास्टिक उत्पन्न करने वाले शहरों में शामिल हैं। प्लास्टिक को स्रोत यानी घर पर ही अलग-थलग करने की प्रणाली भी विकसित नहीं हो पाई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2015 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 70 प्रतिशत प्लास्टिक केवल एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती है। 66 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे का स्रोत घर होते हैं। घर से निकलने वाले कचरे में इस प्लास्टिक को मिला देने से उसे अलग थलग करने में मुश्किलें आती हैं।

अगर घर से ही इसे अलग कर लिया जाए तो समस्या काफी हद तक काबू में आ सकती है। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले 20 वर्षों में प्लास्टिक दोगुना हो जाएगा। भारत में प्लास्टिक का सृजन करीब 16 प्रतिशत की दर से हो रहा है। चीन में यह दर 10 प्रतिशत और ब्रिटेन में 2.5 प्रतिशत है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक का कारोबार 53,000 करोड़ का है और यह क्षेत्र 13 लाख लोगों को रोजगार भी देता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किया गया लक्ष्य पूरा होता है या नहीं।

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