संसद में आज: नमामि गंगे कार्यक्रम पर खर्च हो रहे 37 हजार करोड़ रुपए, 442 प्रोजेक्ट़स पर चल रहा काम

मंत्रालय के पास "स्वच्छ पर्यावरण" नाम से ऐसे किसी वैश्विक सूचकांक या पैरामीटर की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Friday 28 July 2023
 

स्वच्छ पर्यावरण में भारत की रैंकिंग

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि, "स्वच्छ पर्यावरण" नाम से ऐसे किसी वैश्विक सूचकांक या पैरामीटर के लिए कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, जिसके तहत देशों को विश्व स्तर पर रैंक किया जाता है। हालांकि, ऐसे सूचकांक हैं जो पर्यावरणीय मापदंडों का उपयोग करके देशों को रैंक करते हैं। इनमें से कुछ सूचकांक भारत को काफी अच्छी स्थिति में और सुधार दिखाते हैं और कुछ भारत की स्थिति में गिरावट दर्शाते हैं।

यादव ने बताया कि, मंत्रालय ने इनमें से कुछ सूचकांकों का गहराई से विश्लेषण किया है और जहां संभव हो वहां सुधार करने की पहचान की है।

ओडिशा में लंबित पर्यावरणीय मंजूरी

पर्यावरणीय मंजूरी को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि, जून 2023 तक, ओडिशा में बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं से संबंधित कुल 16 प्रस्ताव पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना, 2006, के यथा संशोधित प्रावधानों के अनुसार पर्यावरण मंजूरी (ईसी) देने के लिए मंत्रालय और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण, ओडिशा के साथ विचार के विभिन्न चरणों में हैं।

चौबे ने कहा,  इसके अलावा, रेलवे अधिनियम, 1989 में परिभाषित 'रेलवे' पर संशोधित ईआईए अधिसूचना, 2006 लागू नहीं होती है। इसलिए, रेलवे कार्यों के निष्पादन के लिए ईसी के प्रयोजन के लिए 'रास्ते का अधिकार' (आरओडब्ल्यू) शब्द के संबंध में अस्पष्टता का सवाल ही नहीं उठता। हालांकि, वन भूमि के डायवर्जन पर संशोधित वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के प्रावधान, यदि वे लागू होते हो तो इनके अनुसार वन मंजूरी लागू होगी।

वहीं आज दूसरे प्रश्न के उत्तर में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि, 10 से 13 मार्च 2023 को किए गए निरीक्षण के आधार पर ब्रह्मपुरम में कोच्चि नगर निगम के नगरपालिका ठोस अपशिष्ट डंपसाइट पर हुई आग की दुर्घटना पर सीपीसीबी द्वारा एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई थी।

रिपोर्ट के निष्कर्ष यह हैं कि ठोस अपशिष्ट डंप साइट पर अलग-अलग ठोस अपशिष्ट को अवैज्ञानिक तरीके से डंप किया गया था। विंडरो कंपोस्टिंग के दौरान केवल थोड़ी मात्रा में कचरे से खाद बनाई गई। यह भी बताया गया कि आग और धुएं ने कोच्चि शहर और आसपास की नगर पालिकाओं की वायु गुणवत्ता को प्रभावित किया।

भारत में कार्बन ट्रेडिंग

कार्बन ट्रेडिंग को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि, विद्युत मंत्रालय ने 28.06.2023 को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (सीसीटीएस) को अधिसूचित किया है। यह भारतीय के कार्बन बाजार के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है। सीसीटीएस घरेलू बाजार में बाध्य संस्थाओं के बीच कार्बन क्रेडिट के व्यापार की सुविधा प्रदान करता है। बाध्य संस्थाएं, पंजीकृत संस्थाएं हैं जिन्हें अनुपालन तंत्र के तहत अधिसूचित किया जाता है।

बायोफ्यूल का निर्यात और आयात

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि, देश में बायोफ्यूल या जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने और इसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने जैव ईंधन के आयात और निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है।

तदनुसार, जैव ईंधन का आयात तीन हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) कोड 22072000, 27102000 और 3826000 के तहत "प्रतिबंधित" है। इसके अलावा, पेट्रोलियम बिटुमेन और अन्य अवशेषों का आयात 'मुक्त' है जो एचएस कोड 27132000 और 27139000 के तहत कवर किया गया है।

वहीं सदन में खाद्य तेल से बायो-डीजल के उत्पादन को लेकर उठे एक सवाल के जवाब में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि, जैव ईंधन-2018 पर राष्ट्रीय नीति ने जैव-डीजल के उत्पादन के लिए विभिन्न फीडस्टॉक जैसे गैर-खाद्य तिलहन, प्रयुक्त खाना पकाने के तेल (यूसीओ), पशु वसा, एसिड तेल आदि की पहचान की है।

राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 के तहत 2030 तक डीजल में बायो-डीजल के 5 फीसदी मिश्रण, बायो-डीजल की सीधी बिक्री का एक लक्ष्य पहले ही रेखांकित किया जा चुका है। विभिन्न फीडस्टॉक से उत्पादित बायो-डीजल की आपूर्ति के लिए वर्तमान में 61 संयंत्र सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों के साथ पंजीकृत हैं। ये संयंत्र निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। वर्तमान में, बायोडीजल के निर्माण के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) का कोई प्रस्ताव नहीं है।

नमामि गंगे कार्यक्रम

आज सदन में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, नदी के कायाकल्प को लेकर गंगा और उसकी सहायक नदियों के अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, नदी तट प्रबंधन (घाट और श्मशान विकास), ई-प्रवाह, वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और सार्वजनिक भागीदारी आदि जैसे हस्तक्षेपों की एक व्यापक सूची ली गई है।

अब तक 37,395.51 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 442 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 254 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और चालू हो चुकी हैं। अधिकांश परियोजनाएं सीवेज बुनियादी ढांचे के निर्माण से संबंधित हैं क्योंकि अनुपचारित घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण है।

टुडू ने  बताया कि, 6029.75 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के निर्माण और पुनर्वास और लगभग 5,250.98 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाने के लिए 30,797.24 करोड़ रुपये की लागत से 193 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

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