दूषित पानी को साफ करने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाई हाइड्रोजेल टैबलेट

नदियों के दूषित पानी को साफ करने के लिए वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजेल टैबलेट बनाई है जो एक घंटे से भी कम समय में नदी के एक लीटर पानी को साफ कर सकती है

By Lalit Maurya

On: Thursday 07 October 2021
 

नदियों के दूषित पानी को साफ करने के लिए वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजेल टैबलेट बनाई है जो एक घंटे से भी कम समय में नदी के एक लीटर पानी को साफ कर सकती है। अनुमान है कि दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी के पास पीने का पानी उपलब्ध नहीं है, जबकि 2025 तक विश्व की करीब आधी आबादी उन क्षेत्रों में रह रही होगी जहां जल संकट मौजूद है। ऐसे में दूषित पानी को साफ करके काफी हद तक इस समस्या को हल किया जा सकता है और लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने एक हाइड्रोजेल टैबलेट को बनाया है जो तेजी से दूषित पानी को साफ कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक हाइड्रोजेल टैबलेट एक लीटर पानी को कीटाणु मुक्त कर सकती है जिसे एक घंटे से भी कम समय में पीने लायक बनाया जा सकता है। 

इसके बारे में टेक्सास मैटेरियल इंस्टिट्यूट और इस शोध से जुड़े शोधकर्ता गुइहुआ यू ने जानकारी देते  हुए बताया कि हमारी यह बहुउपयोगी हाइड्रोजेल वैश्विक स्तर पर पानी की कमी को कम करने में मददगार हो सकती है। यह बेहतर है और इसका उपयोग काफी आसान है। साथ ही इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन भी किया जा सकता है। इससे जुड़ा शोध जर्नल एडवांस्ड मैटेरियल में प्रकाशित हुआ है।    

दूषित जल पर कैसे काम करती है यह हाइड्रोजेल टैबलेट

यदि आज पानी को शुद्ध करने के सबसे प्राथमिक तरीकों की बात करें तो उसे उबालना या पाश्चराइज करना प्रमुख है, लेकिन इसमें ऊर्जा के साथ ही बहुत समय और मेहनत भी लगती है। वहीं दुनिया के कुछ हिस्सों में लोगों के लिए साधनों की कमी के चलते ऐसा कर पाना व्यावहारिक नहीं है। वहीं यदि विशेष हाइड्रोजेल की बात करें तो यह हाइड्रोजन पेरोक्साइड उत्पन्न करते हैं, जो 99.999 फीसदी से अधिक दक्षता पर क्टीरिया को बेअसर कर सकते हैं। हाइड्रोजन पेरोक्साइड एक्टिवेटेड कार्बन के साथ मिलकर  बैक्टीरिया के जरुरी सेल पर हमला करता है और उनके मेटाबॉलिस्म को बाधित कर देता है। 

यही नहीं इस प्रक्रिया के लिए ऊर्जा की बिलकुल आवश्यकता नहीं पड़ती है। साथ ही इससे किसी तरह के हानिकारक उपोत्पाद भी नहीं बनते हैं। इन हाइड्रोजेल को आसानी से हटाया जा सकता है, और वे अपने पीछे किसी तरह के अवशेष भी नहीं छोड़ते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक पानी को अपने आप शुद्ध करने के साथ ही हाइड्रोजेल हजारों वर्षों से चली आ रही सूर्य की मदद से पानी को साफ करने की प्रक्रिया में भी सुधार कर सकता है। गौरतलब है कि सौर आसवन की इस प्रक्रिया में सूर्य के प्रकाश की मदद से वाष्पीकरण के जरिए हानिकारक दूषित पदार्थों से पानी को अलग किया जाता है। लेकिन सौर आसवन प्रणाली में अक्सर बायोफूलिंग एक गंभीर समस्या है। इसके कारण उपकरणों पर सूक्ष्मजीवों का जमाव होने है, जो उसमें खराबी का कारण  बनता है। वहीं बैक्टीरिया को मारने वाले हाइड्रोजेल ऐसा होने से रोक सकते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इन हाइड्रोजेल का विकास आसान है, उन्हें बनाने की सामग्री सस्ती है। संश्लेषण प्रक्रियाएं सरल हैं और उन्हें बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। यही नहीं हाइड्रोजेल के आकार और स्वरुप को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे उनका उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है। 

वर्तमान में शोधकर्ता इन हाइड्रोजेल को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जिससे वो पानी में मौजूद विभिन्न प्रकार के रोगाणुओं और वायरसों पर काम कर सकें। साथ ही टीम इसके विभिन्न प्रोटोटाइपों के व्यावसायीकरण पर भी काम कर रही है।

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