लॉकडाउन से राजस्थान में जल की गुणवत्ता हुई बेहतर

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नई रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की नदियों, नहरों, बांधों और झीलों की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है

By Anil Ashwani Sharma

On: Friday 29 May 2020
 
Photo: Sushmita Sen Gupta

लॉकडाउन ने राजस्थान के सतही जल प्रदूषण को कम किया है। यही नहीं राजस्थान में नदियों और नहरों की जल गुणवत्ता पूर्व के मुकाबले बेहतर हुई है। इसके अलावा राज्य की झीलों व बांधों की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यह बात राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा हाल ही जारी अपनी रिपोर्ट में कही है।

ध्यान रहे कि कोविड-19 महामारी के फैलते खतरे से निपटने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 22 मार्च, 2020 से लॉकडाउन की घोषणा की थी। इसके चलते सतही जल प्रदूषण में योगदान देने वाले प्रमुख क्षेत्रों के उद्योग, घरेलू सीवेज, घाटों पर गतिविधियां(सामुदायिक स्नान और धुलाई), तीर्थयात्रा, पर्यटन, नौका विहार, कृषि और अन्य आवासीय गतिविधियां में एक सीमा तक रोक लग गई थी।

अधिकांश जल निकायों का उपयोग घरेलू जल आपूर्ति, सिंचाई, औद्योगिक, मत्स्य पालन, नौका विहार/ पर्यटन और सामुदायिक स्नान/ धुलाई के लिए किया जाता है। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यही कारण है कि कड़े प्रतिबंधों और सभी गैर-जरूरी गतिविधियों को बंद करने के परिणामस्वरूप, राज्य के जलाशयों में सतही जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

बोर्ड ने इसके लिए राज्य में सतही जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन के प्रभाव को जानने के लिए, अप्रैल 2020 के अंतिम सप्ताह में 45 स्थानों पर जल गुणवत्ता के नमूनों का  विश्लेषण किया, जिसमें से 14 स्टेशन नदियों पर हैं, चार स्टेशन नहरों पर, 16 स्टेशन झीलों पर और 11 स्टेशन बांधों पर स्थित हैं। इन एकत्र किए गए आंकड़ों कि तुलना पिछले वर्ष के आंकड़ों से करके यह निष्कर्ष निकाला गया है।

बोर्ड द्वारा कि किए गए विश्लेषण में बताया गया है कि नहरों की समग्र जल गुणवत्ता यानी नर्मदा नदी की मुख्य नहर,आईजीनपी और गंग नहर में सुधार हुआ है। साथ ही पिछोला, उदयसागर, स्वरूप सागर, गोवर्धन सागर , बड़ी का तालाब, अजमेर में नक्‍की झील, जोधपुर में कायलाना झील और गैप -सागर झील जैसी प्रमुख झीलों की जल गुणवत्ता में तेजी से सुधार दर्ज किया गया है। 

बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उदयपुर और माउंट आबू में स्थित झीलों की जल गुणवत्ता में सुधार लॉकडाउन अवधि में पर्यटकों की संख्या में भारी कमी के कारण हुआ। इसी प्रकार, पुष्कर झील की जल गुणवत्ता में सुधार तीर्थयात्रियों एवं घाटों पर स्नान और धुलाई की गतिविधियों के बंद रहने के कारण है। साथ ही अप्रैल, 2019 की तुलना में छापी बांध, पिपलाज, भवानीमंडी बांध, माउंट आबू स्थित कोडर डैम और निम्बाहेड़ा में गंभिरी डैम की जल गुणवत्ता में अच्छा खासा सुधार देखा गया।

राजस्थान में नदियों और नहरों की जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन का प्रभाव :

(1 )  बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड अथवा बीओडी : अप्रैल 2019 में राजस्थान की नदियों और नहरों में बीओडी की मात्रा 1.24 से 5.56 मिग्रा/लीटर के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में यह 1.08 से 4.32  मिग्रा/लीटर के बीच रही है। केवल 8 स्टेशनों को छोड़कर लगभग सभी नदियों एवं नहरों में बीओडी की मात्रा में कमी देखी गई है।

(2) केमिकल ऑक्सीजन डिमांड :अप्रैल, 2019 में राजस्थान की नदियों और नहरों में सीओडी  की सांद्रता  13.94 से 70.89 मिग्रा/लीटर के बीच रही है, जबकि अप्रैल, 2020 में यही 8.28 से 41.20 मिग्रा/लीटर के बीच रही है। केवल 4 स्टेशनों को छोड़कर लगभग सभी नदियों एवं नहरों में सीओडी की मात्रा में कमी देखी गई है।

(3 ) डिजाल्व ऑक्सीजन: ऑक्सीजन की सांद्रता अप्रैल, 2019 में 3.09 से 6.39 मिग्रा/लीटर के बीच थी जबकि अप्रैल, 2020 में यह  2.59 से 7.02 मिग्रा/लीटर के बीच रही है। 

(4) टोटल कोलीफॉर्म : अप्रैल 2019 में कुल कोलीफॉर्म की सघनता 7 से 210 एमपीएन / 100 मिलि  तक थी जबकि अप्रैल, 2020 में यह 20 से 210 एमपीएन/100 मिली के बीच है। पार्वती नदी के अलावा अन्य सभी नदियों में कोलीफॉर्म की मात्रा बाढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि नदियों में डाले जानेवाले औद्योगिक कचरे की मात्रा में भारी कमी के कारण ऐसा देखा जा रहा है। 

(5) कन्डक्टिविटी अथवा चालकता : आंकड़ों के विश्लेषण में, यह देखा गया है कि अप्रैल, 2019 में  राजस्थान की नदियों और नहरों में चालकता 300 से 2100μmho / सेमी  के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में यही 230 से 1250 μmho / सेमी के बीच रही है। कुछेक स्थानों को छोड़कर चालकता में कमी देखी गई है। 

राजस्थान की झीलों और बांधों की जल गुणवत्ता पर लॉकडाउन का प्रभाव:

 (1 ) बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड अथवा बीओडी : राजस्थान की झीलों और बांधों में बीओडी की मात्रा अप्रैल, 2019 में 0.23 से 12.36 मिग्रा/लीटर के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में वही 0.21 से 12.96  मिग्रा/लीटर के बीच रही है।

(2 ) केमिकल ऑक्सीजन डिमांड : राजस्थान की झीलों और बांधों में सीओडी की एकाग्रता अप्रैल, 2019 में 10.89 से 109.37 मिग्रा/लीटरl के बीच थी , जबकि अप्रैल, 2020 में यही 6.12 से 132.0 मिग्रा/लीटरके बीच रही है। ऐसा लॉकडाउन की वजह से मानवीय गतिविधियों में आई कमी के फलस्वरूप हुआ जान पड़ता है।

(3 ) डिजॉल्व ऑक्सीजन: राज्य में झीलों और बांधों में डिओ की मात्रा अप्रैल, 2019 में 0.21 से 7.20 मिग्रा/लीटर के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में यही 0.0 से 9.0 मिग्रा/लीटर के बीच रही है। 

(4 ) टोटल कोलीफॉर्म : राज्य में झीलों और बांधों में कुल कोलीफॉर्म की सांद्रता अप्रैल, 2019 में 21 से 210  एमपीएन / 100 मिलि  के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में यही 28 से 210 एमपीएन/100 मिलि के बीच रही है। अधिकांश झीलों में कोलीफॉर्म की मात्रा  में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

(5 ) कन्डक्टिविटी अथवा चालकता : आंकड़ों के विश्लेषण पर, यह देखा गया है कि राजस्थान की झीलों और बांधों में चालकता अप्रैल, 2019 में 220 से 2200 μmho /सेमी  के बीच थी, जबकि अप्रैल, 2020 में वही 160 से 1590 μmho / सेमी  के बीच रही है। कुल मिलकर चालकता में कमी के रुझान देखे जा रहे हैं।

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