कोरोनावायरस: टीन शेड में रह रहे 2000 लोगों पर खतरा

सरदार सरोवर परियोजना के डूब प्रभावित क्षेत्र में टीन में जिंदगी गुजार रहे हैं हजारों लोग

On: Monday 30 March 2020
 
नर्मदा डूब प्रभावितों के लिए बने टीन शेड। फोटो: अतुल पोरवाल

धार से अतुल पोरवाल

सरदार सरोवर परियोजना के तहत धार जिले का बड़ा हिस्सा डूब क्षेत्र में शामिल हो चुका है। यहां रहने वाले लोगों को नई बस्तियों में जगह दी गई, लेकिन वहां माकूल इंतजाम नहीं होने के कारण कई सारे लोग अपने पुराने आशियाने में जमे रहे। हालांकि सरकार ने पुनर्वास स्थल बनाएं, जिनमें डूब प्रभावितों को स्थानांतरित किया गया। पुनर्वास स्थलों पर अस्थाई आवास के लिए सरकार ने टीन शेड तैयार किए, जिनमें डूब प्रभावितों को बसाया गया। इस वक्त विश्व भर में कोरोना वायरस से हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन न सरकार ने टीन शेड में जिंदगी बसर करने वाले डूब प्रभावितों से बात की है और ना ही जिला प्रशासन इनके प्रति सजग है। इस वजह से हजारों लोग आज बगैर सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) के अपने जीवन को खतरे में डाले वहीं पड़े हैं।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कार्यपालन यंत्री राजेंद्र कुमार गुप्ता के अनुसार धार जिले के डूब क्षेत्र में 71 शेड यानी 134 यूनिट तैयार की गई थी। इनमें 2680 कक्ष बनाए गए, जिनमें आज भी 477 परिवार रह रहे हैं। हालांकि डाउन टू अर्थ ने जमीनी मुआयना किया तो कई शेड टूटे नजर आए और कई शेड गंदगी में। इन सब अव्यवस्थाओं के बीच रहने वाले लोग बगैर सोशल डिस्टेंसिंग के अपनी जान जोखिम में डाले हुए हैं। टीन शेड में रहने वाले परिवारों के कुल सदस्यों की संख्या 2385 है, जिनमें 1 हजार से भी ज्यादा छोटे बच्चे हैं। ये लोग रोजाना अपने कामकाज या खेती पर भी जा रहे हैं। इन्हें पता ही नहीं यह कौन सी बीमारी है, इससे क्या होता है और कैसे बचा जा सकता है। इनमें से कई बच्चों को सर्दी खांसी बुखार जैसी बीमारी है, लेकिन कोरोना महामारी से अनजान डूब प्रभावित गरीब मजदूर बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

इस मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर का कहना है कि सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित डूब प्रभावितों के लिए न सरकार सजग है और ना ही प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को लेकर चुस्त नजर आ रहा है। यही कारण है कि हजारों डूब प्रभावित अपने आशियाने के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं और ना ही प्रशासनिक अफसर इसको लेकर उनकी पहल कर पा रहे हैं। कोरोनावायरस से फैली बीमारी के कारण कई डूब प्रभावित जो अस्थाई रूप से टीन शेड में निवासरत हैं उनको लेकर भी प्रशासन सजग नहीं है।

पाटकर का कहना है कि उन्होंने ना केवल बड़े स्तर पर बल की धार बड़वानी और अलीराजपुर जिले के कलेक्टरों को तक पत्र लिखकर यह बताया कि प्रभावितों को प्राथमिकता पर उनका प्लाट मुहैया कराया जाए,  जिस पर वे मकान बना सके और शेड की परेशानी भरी जिंदगी से छुटकारा पा सके.  लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पाई. यही कारण है कि तीन सेट में इकट्ठा रहने वाले विस्थापित अब कोरोनावायरस की चपेट में आ सकते हैं।

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