गोरखपुर में वर्षों से जमा 35,000 मीट्रिक टन कचरे को किया जा चुका है प्रोसेस: रिपोर्ट

गोरखपुर नगर निगम सुथनी गांव में सूखे और गीले कचरे को प्रोसेस करने के लिए 500 टीपीडी क्षमता के संयंत्र का भी निर्माण कर रहा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 05 October 2023
 

गोरखपुर नगर निगम दिसंबर 2023 तक एकला बांधा साइट पर वर्षों से जमा पुराने कचरे को निपटाने का प्रयास कर रहा है। इस कचरे के प्रबंधन के लिए साइट पर दो ट्रॉमेल मशीनें भी लगाई गई हैं। वहीं विंडो और वेटब्रिज की नींव का काम पूरा हो चुका है, जैव-खनन भी प्रगति पर है और ट्रॉमेल मशीनें हर घंटे 100 टन कचरे को प्रोसेस कर रही हैं।

इस तरह अब तक वर्षों से जमा करीब 35,000 मीट्रिक टन कचरे को प्रोसेस किया जा चुका है। यह जानकारी गोरखपुर नगर निगम द्वारा चार अक्टूबर, 2023 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई रिपोर्ट में सामने आई है।

इसके अतिरिक्त, निगम सुथनी गांव में सूखे और गीले कचरे को प्रोसेस करने के लिए 500 टीपीडी क्षमता के संयंत्र का भी निर्माण कर रहा है। इस इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट से जुड़ी परियोजना पर कुल 2,840.16 लाख रुपए का खर्च आएगा। इससे जुड़ा करीब 75 प्रतिशत सिविल कार्य पूरा हो चुका है।

वहीं गीले कचरे को प्रोसेस करने के लिए 200 टीपीडी क्षमता का बायो-सीएनजी प्लांट भी निर्माणाधीन है। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत लाल डिग्गी के पास 200 टीपीडी क्षमता के वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन के निर्माण के लिए 2.31 करोड़ रुपए भी स्वीकृत किए गए हैं।

गोरखपुर नगर निगम ने महेसरा में निर्माण एवं विध्वंस सम्बन्धी कचरे को प्रोसेस करने के लिए 50 टीपीडी क्षमता के एक संयंत्र का भी निर्माण कर रहा है। निगम ने पांच टीपीडी की क्षमता के साथ मैटेरियल रिकवरी सुविधा के लिए परिसर में एक श्रेडिंग और कंप्रेसिंग मशीने भी लगाईं हैं। वहीं मैटेरियल के पुनर्चक्रण और रिकवरी के लिए गोरखपुर शहर के अलग-अलग स्थानों पर पांच और एमआरएफ संयंत्रों का निर्माण चल रहा है।

बडगाम में किसी भी नए ईंट भट्टे को नहीं दी गई है मंजूरी: जम्मू-कश्मीर पीसीसी

बडगाम में कुल 226 ईंट भट्टों में से 100 को संचालन के लिए सहमति दी गई थी, जबकि इस बीच 11 ईंट भट्टों ने सहमति या नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है और 43 को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके अलावा, 72 ईंट भट्टों को कानूनी नोटिस जारी किए गए हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

यह जानकारी जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति ने अपनी रिपोर्ट में दी है। साथ ही जम्मू-कश्मीर पीसीसी ने यह भी कहा है कि एनजीटी के अगले निर्देश तक उसने बडगाम में किसी भी नए ईंट भट्टे की स्थापना के लिए मंजूरी नहीं दी है।

इतना ही नहीं पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करते हुए सभी मौजूदा ईंट भट्टों को सहमति तंत्र के दायरे में लाया गया है।

झारखंड में उद्योग द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तीन अक्टूबर 2023 को मैसर्स डी. डी. स्टील एंड पावर लिमिटेड द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति को निर्देश दिया है। मामला झारखंड के सरायकेला खरसावां का है। आरोप है कि इस उद्योग द्वारा अत्यधिक प्रदूषणकारी औद्योगिक अपशिष्टों को सीधे हवा और आस-पास की नालियों के साथ-साथ खेतों में छोड़ा जा रहा है, जिससे स्थानीय वनस्पतियों को भी नुकसान हो रहा है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के साथ-साथ तीन सप्ताह के भीतर लगाए गए आरोपों के संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि कोई उल्लंघन पाया जाता है, तो समिति जुर्माने के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजे की भी सिफारिश करेगी और उसकी बहाली के लिए किए जा सकने वाले उपाय भी सुझाएगी।

मामले में अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) और मेसर्स डी.डी. स्टील एंड पावर लिमिटेड को नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है।

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