पुष्पभद्रा नदी में अवैध मलबे की डंपिंग, एनजीटी ने दिया जांच का आदेश  

एनजीटी ने एक महीने में इस अवैध डंपिंग की जांच कर रिपोर्ट तलब की है। वहीं, इस मामले में जांच के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नोडल अधिकारी बनाया है। 

By Vivek Mishra

On: Friday 26 July 2019
 
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पुष्पभद्रा नदी में अवैध मलबा डंपिंग। Photo : Jai Dehadrai

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में जिभी कस्बे के भीतर पुष्पभद्रा नदी में ठोस कचरा और निर्माण मलबा की डंपिंग जारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में इसके विरुद्ध याचिका दाखिल की  गई है। याची का आरोप है कि इस मलबे की डंपिंग से न सिर्फ नदी में प्रदूषण हो रहा है बल्कि नदी अपना रास्ता भी बदल रही है। नदी किनारे कई रिसॉर्ट निर्माणाधीन है, यह मलबा भी वहीं से आ रहा है। प्रशासन इस बात को जानते हुए भी मलबे की अ‌वैध डंपिंग पर रोक नहीं लगा रहा।

पुष्पभद्रा तीर्थन नदी की सहायक है। वहीं, तीर्थन नदी ब्यास की सहायक नदी है। इस तरह से नदी में प्रदूषण पूरी एक श्रृंखला को प्रभावित कर रहा है। एनजीटी में संबंधित याचिका पर विचार करने के बाद जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया है कि हिमाचल प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर एक महीने के भीतर इस मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में दाखिल करें।

पुष्पभद्रा नदी में प्रदूषण के विरुद्ध याचिका दाखिल करने वाले याची व अधिवक्ता विजय अनंत देहादराय ने डाउन टू अर्थ को बताया कि नदी किनारे-किनारे बहुत सारे रिसॉर्ट के निर्माण का काम चल रहा है। इन्हीं का मलबा और कचरा सीधे नदी में फेका जा रहा है। प्रशासन की ओर से न तो इसपर कोई कार्रवाई की जा रही है और न ही कोई सुनवाई की जा रही है। एक रिसॉर्ट तो नदी के बिल्कुल ठीक किनारे ही बना दिया गया है। इसे लेकर किसी तरह का नियंत्रण नहीं है। ऐसे में न सिर्फ मलबा डंपिंग रुकनी चाहिए बल्कि प्रदूषण फैलाने वालों को दंडित भी किया जाना चाहिए। एनजीटी ने कहा कि मामले की जांच के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक ही नोडल अधिकारी होंगे। वहीं, याची भी हलफनामा के साथ एक हफ्ते में सभी दस्तावेज जांच समिति को उपलब्ध कराए। मामले की अगली सुनवाआई एक नवंबर को होगी।

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