सीवेज और कचरा निस्तारण न करने के लिए एनजीटी ने राज्यों पर लगाया करीब 80 हजार करोड़ का जुर्माना
यदि राज्यों की ओर से जुर्माने की यह राशि जमा की गई तो कैंपा फंड से यह 48 फीसदी ज्यादा होगा। 1996 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में उठाई गई थी आवाज।
On: Wednesday 05 July 2023
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सीवेज उपचार और कूड़ा-कचरा निस्तारण के नियमों का पालन न करने और आदेशों का उल्लंघन करने के लिए राज्य और संघ प्रदेशों पर अब तक करीब 80 हजार करोड़ रुपए का बड़ा जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने पाया कि राज्यों और संघ प्रदेशों द्वारा सीवेज का उपचार करने और ठोस कचरे का निस्तारण करने में बड़ा गैप है। मसलन, 26,000 एमएलडी तरल अपशिष्ट और 56,000 टन प्रति दिन ठोस कचरे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। साथ ही 18 करोड़ टन लीगेसी वेस्ट भी राज्यों के जरिए नहीं निपटाया गया है।
जुर्माने की इतनी बड़ी राशि को राज्यों के मुख्य सचिवों के शपथपत्र व एनजीटी के जरिए खुद दिए गए आदेशों के तहत जोड़ा गया है। डाउन टू अर्थ ने 28 अक्तूबर, 2022 को अपने एक विश्लेषण में बताया था कि महज पांच महीने के भीतर (मई से अक्तूबर, 2022) में जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिर्फ सात राज्यों पर करीब 30 हजार करोड़ रुपए का जुर्माना राज्यों पर लगाया था।
80 हजार करोड़ के जुर्माने में 50 फीसदी से ज्यादा जुर्माना अकेले 4 राज्यों पर लगाया ग़या है I
सर्वाधिक जुर्माना तमिलनाडु पर 15419.71 करोड़ फिर महाराष्ट्र पर 12000 करोड़ रुपए का जुर्माना और मध्य प्रदेश पर 9688 करोड़ रुपए और उत्तर प्रदेश पर 5000 करोड़ का जुर्माना लगाया गया हैI
यदि जमा किया तो कैंपा फंड से 48 फीसदी ज्यादा होगा यह फंड
यदि राज्यों पर कूड़ा-कचरा और सीवेज लगाए गए जुर्माने के राशि की तुलना वनों की क्षतिपूर्ति के लिए 2002 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए एड हॉक नेशनल कंपेसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंड एंड प्लानिंग अथॉरिटी (कैंपा) फंड से की जाए तो यह 48 फीसदी ज्यादा है। दशकों तक कैंपा में वनक्षतिपूर्ति के जरिए कुल 54 हजार करोड़ रुपए जमा हुए जिसे 2015 के बाद से राज्यों को पौधारोपण जैसे कामों के लिए जारी किया जा रहा है।
एनजीटी ने जुर्माने की राशि के लिए पर्यावरण क्षति को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक दृष्टि और सलाह से प्रति मिट्रिक टन कचरे के लिए 300 रुपए और तरल अपशिष्ट के लिए 2 करोड़ रुपए मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) तय किया था। इस आधार पर जिस राज्य का जितना ठोस कचरा और सीवेज बिना उपचार का है, जुर्माने की राशि की गणना भी उसी आधार पर की गई।
Details of compensation directed/undertaking to ring fence equivalent amount are as follows:
Sr No. | State/UT | Total EC | Compensation amount levied/ undertaking to ring fence |
1 | Andaman & Nicobar 29.09.2022 |
- | - |
2 | Andhra Pradesh 17.11.2022 |
1455 Crores | As per undertaking |
3 | Arunachal Pradesh 24.11.2022 |
200 Crores | As per direction |
4 | Assam 27.01.2023 |
1043 Crores | As per undertaking |
5 | Bihar 04.05.2023 |
4000 Crores | As per direction |
6 | Chandigarh 18.05.2023 |
282 Crores | As per undertaking |
7 | Chhattisgarh 31.03.2023 |
1000 Crores | As per undertaking |
8 | Dadra and Nagar Haveli and Daman and Diu 11.05.2023 |
- | - |
9 | Delhi 16.02.2023 |
3132 Crores (Deducted 900 Cr but the same was not deposited, it be deposited with this amount) |
As per direction |
10 | Goa 02.03.2023 |
- | - |
11 | Gujarat 23.02.2023 |
2100 Crores | As per undertaking |
12 | Haryana 20.04.2023 |
Statement given, No EC imposed (1124.64 crores will be made available as per Chief Secretary) NGT direction 1500 crores to be made available |
As per direction |
13 | Himachal Pradesh 16.03.2023 |
50 Crores | As per undertaking |
14 | Jammu & Kashmir 20.10.2022 |
350 Crores | As per undertaking |
15 | Jharkhand 19.01.2023 |
1114 Crores | As per undertaking |
16 | Karnataka 13.10.2022 |
3400 Crores | As per direction |
17 | Kerala 1.12.2022 |
2343.18 Crores | As per undertaking |
18 | Ladakh 06.04.2023 |
30 Crores | As per undertaking |
19 | Lakshadweep 17.11.2022 |
- | - |
20 | Madhya Pradesh 10.11.2022 | 9688 Crores | As per undertaking |
21 | Maharashtra 08.09.2022 |
12000 Crore | As per direction |
22 | Manipur 01.12.2022 |
200 Crores | As per direction |
23 | Meghalaya 22.12.2022 |
234.05 Crores | As per undertaking |
24 | Mizoram 08.12.2022 |
50 Crores | As per undertaking |
25 | Nagaland 24.11.2022 |
200 Crores | As per direction |
26 | Odisha 27.01.2023 |
1152 Crores | As per undertaking |
27 | Puducherry 24.11.2022 |
178.92 Crores | As per undertaking |
28 | Punjab 22.09.2022 |
2180 Crores | As per direction |
29 | Rajasthan 15.09.2022 |
3000 Crores Stay ordered by SC in CIVIL APPEAL Diary No(s). 36830/2022 vide order dated 16.12.2022 |
As per direction |
30 | Sikkim 03.11.2022 |
50 Crores | As per undertaking |
31 | Tamil Nadu 17.11.2022 |
15,419.71 Crores | As per undertaking |
32 | Telangana 29.09.2022 |
3800 Crores | As per direction |
33 | Tripura 13.04.2023 |
382.5 Crores | As per undertaking |
34 | Uttar Pradesh 23.03.2023 |
5000 Crores | As per undertaking |
35 | Uttarakhand 11.05.2023 |
200 Crores | As per direction |
36 | West Bengal 01.09.2022 |
2980 + 366 = 3346 Cr (3500 Round off) Commitment given for 2400 Cr |
As per direction |
TOTAL | 79234.36 crore |
ठोस कचरे और सीवेज के वैज्ञानिक उपचार व प्रबंधन की मांग को लेकर करीब 27 साल पहले 1996 में सुप्रीम कोर्ट में अलमित्रा एच पटेल बनाम भारत सरकार का मामला पहुंचा था। करीब 18 साल तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चलता रहा। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 2000 और 2004 में व्यापक आदेश दिए। हालांकि, इन आदेशों का पालन राज्यों के जरिए नहीं किया गया। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को यह कहकर भेजा कि एनजीटी के पास एक्सपर्टीज है, इसलिए वह इस मामले को देखे।