एक ऐसी तकनीक जो पानी को बना दे 100 फीसदी शुद्ध

शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यह तकनीक पानी से नमक और जहरीले पदार्थों को अलग कर इसे पीने लायक बनाने के साथ-साथ इसमें से बहुमूल्य धातुओं कैडमियम, क्रोमियम, पारा, सीसा, तांबा, जस्ता, सोना और यूरेनियम को अलग कर देती है।

By Dayanidhi

On: Friday 16 April 2021
 
पीएएफ के नैनोकणों को शामिल करने वाला एक लचीली पॉलीमर झिल्ली जो पानी से विषाक्त धातुओं को लगभग 100 फीसदी निकाल देता है तथा स्वच्छ, सुरक्षित पानी का उत्पादन करता है। (यूसी बर्कले फोटो : एडम उलियाना )

पीने के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी को साफ करने के लिए कई छानने की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, इस सब के लिए तकनीक की आवश्यकता होती है जो खारेपन और जहरीली धातुओं को हटाते है। लेकिन ये तकनीक महंगी होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया के बाद निकला विषाक्त नमकीन पानी पीछे छोड़ देती हैं, जिसको निपटाना कठिन होता है।

अब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के रसायनज्ञों ने जहरीली धातुओं को हटाने का एक नया तरीका खोजा है। इस तकनीक से स्वच्छ पानी का उत्पादन करने के लिए खारेपन को हटाने के दौरान, मूल्यवान धातु को भी अलग किया जा सकता है।   

समुद्र या अपशिष्ट जल से खारेपन या नमक को हटाना, पीने के लिए पानी अथवा कृषि या उद्योग के लिए पानी के उत्पादन प्रक्रिया में यह पहला कदम है। नमक को हटाने से पहले या बाद में, बोरान को हटाने के लिए अक्सर पानी का उपचार करना पड़ता है। यह पानी पौधों के लिए घातक होता है और आर्सेनिक तथा पारा जैसी भारी धातुएं भी इसमें मिली होती है, जो मनुष्यों के लिए खतरनाक हैं। अक्सर इस प्रक्रिया के बाद एक विषाक्त नमकीन पानी पीछे छूट जाता है, जिसका निपटान करना कठिन होता है।

अब इस नई तकनीक, जिसे आसानी से झिल्ली (मेम्ब्रेन) आधारित इलेक्ट्रोडायलिसिस खारेपन को दूर करने की प्रक्रियाओं से जोड़ा जा सकता है, जो पानी से इन विषाक्त धातुओं को लगभग 100 फीसदी निकाल देता है। शुद्ध पानी के साथ नमक का भी उत्पादन करता है और बाद में निपटान के समय इससे मूल्यवान धातुओं को अलग किया जा सकता है।

बर्कले के स्नातक छात्र एडम उलियाना ने कहा पानी से नमक हटाने की प्रक्रिया (डेसलाइजेशन) या वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स आमतौर पर काफी महंगे होते है, तथा इसमें पहले और बाद में उपचार प्रणाली की लंबी श्रृंखला की आवश्यकता होती है, जिसमें सभी तहर का पानी अलग-अलग करके यंत्र में डाला जाता है।

यूसी बर्कले के रसायनज्ञों ने लचीले पॉलीमर झिल्ली को कृत्रिम तौर पर बनाया है, जैसे वर्तमान में चीजों को अलग करने की प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है, लेकिन इससे जुड़े नैनोकणों को विशिष्ट धातु आयनों  सोने या यूरेनियम आयनों को अवशोषित करने के लिए बनाया जा सकता है।

झिल्ली एक प्रकार से बनाए गए नैनोकण को शामिल कर सकती है, अगर धातु को बरामद करना है, या कई अलग-अलग प्रकार के धातुएं हैं, तो प्रत्येक को एक अलग धातु या आयनिक यौगिक को अवशोषित करने के लिए ट्यून किया जाता है, यह तब होता है जब, पहले चरण में कई प्रदूषकों को हटाने की आवश्यकता होती है।    

नैनोकणों से युक्त पॉलीमर झिल्ली पानी में और उच्च तापमान पर बहुत स्थिर होती है, जो कि झिल्ली में जुड़े होने पर अधिकांश धातु-कार्बनिक फ्रेमवर्क (एमोएफ) सहित कई अन्य प्रकार के अवशोषक के लिए सही नहीं है।

शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि नैनोकण भूजल से पीएफएएस, या पॉलीफ्लुओरोक्युलिल पदार्थ, जो प्लास्टिक में पाए जाते हैं, सहित अन्य प्रकार के जहरीले केमिकल को हटाने में सफल होगी। नई प्रक्रिया, जिसे वे आयन-कैप्चर इलेक्ट्रोडायलिसिस कहते हैं, भी परमाणु ऊर्जा संयंत्र से रेडियोधर्मी आइसोटोप को हटा सकती है।

लॉन्ग ने कहा इलेक्ट्रोडायलिसिस नमक हटाने की एक जानी-पहचानी विधि है और यहां हम इसे एक ऐसे तरीके से कर रहे हैं जो पॉलीमर की सामग्री में इन नए कणों को शामिल करता है और विषाक्त आयनों या पानी में घुल जाने वाले, जैसे बोरान को छान देता है।

दुनिया भर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करना पड़ता है

जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण दुनिया भर में पानी की कमी आम होती जा रही है। तटीय समुदाय तेजी से समुद्र के पानी से खारापन दूर करने के लिए संयंत्र स्थापित कर रहे हैं, लेकिन काफी लोग दूषित स्रोतों- भूजल, कृषि क्षेत्र से बहने वाला पानी और औद्योगिक अपशिष्टों को साफ करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं, जिसक उपयोग फसलों, घरों और कारखानों में किया जा सकता है।

रिवर्स ऑस्मोसिस और इलेक्ट्रोडायलिसिस अधिक खारेपन वाले जल स्रोतों, जैसे समुद्री जल से नमक को अलग करने के लिए अच्छी तरह से काम करते हैं, पीछे छोड़े गए नमक में कैडमियम, क्रोमियम, पारा, सीसा, तांबा, जस्ता, सोना और यूरेनियम सहित धातुओं का उच्च स्तर हो सकता हैं।

लेकिन उद्योग और कृषि क्षेत्र से बहने वाला पानी सीधे समुद्र में चला जाता है जो इसे तेजी से प्रदूषित कर रहा है। अधिकांश समुद्र के पानी से नमक हटाने की प्रक्रियाएं नमक को हटाने के साथ-साथ पानी के आवश्यक मिनरन को भी अलग कर देती है। लेकिन यह नई तकनीक केवल विषाक्त पदार्थों को ही पानी से हटाती है। 

उलियाना ने अपने प्रयोगों में दिखाया कि बोरिक एसिड, बोरान का एक यौगिक जो फसलों के लिए घातक है, इस झिल्ली द्वारा हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा हमने विभिन्न प्रकार के उच्च खारेपन वाले पानी को साफ करने की कोशिश की जिमसें- भूजल, औद्योगिक अपशिष्ट जल आदि, उनमें से हर एक पर यह तकनीक बहुत अच्छी तरीके से काम करती है।

उलियाना ने यह भी कहा कि झिल्ली को कई बार दुबारा उपयोग किया जा सकता है, इसे कम से कम 10, लेकिन उससे भी अधिक बार उपयोग किया जा सतकता है। वह भी आयनिक धातुओं को अवशोषित करने की उनकी क्षमता को बिना कम किए। जिन धातुओं को अवशोषित किया जाता है उनका दुबारा उपयोग किया जा सकता है।  

लॉन्ग एडेड ने कहा यह एक ऐसी तकनीक है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि आपकी विषाक्त अशुद्धियां किस स्तर की हैं, आप उस तरह के पानी से निपटने के लिए झिल्ली को उस लायक बना सकते हैं। आपको बांग्लादेश में आयरन और आर्सेनिक के साथ सीसे की समस्या हो सकती है। तो आप विशिष्ट दूषित जल स्रोतों के लिए झिल्ली को उस तरह से संशोधित कर सकते हैं। 

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