क्या चुंबकीय क्षेत्र के समाप्त होने से जीवों का उद्भव हुआ, क्या कहता है दिलचस्प शोध

शोध के मुताबिक, साक्ष्य बताते हैं कि लाखों साल पहले एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र ने जीवन के प्रसार को बढ़ावा दिया होगा

By Dayanidhi

On: Friday 10 May 2024
 
डिकिंसोनिया, एडियाकरन युग के विलुप्त प्राणी, पहले जानवरों में से एक, फोटो साभार: आईस्टॉक

एडियाकरन काल, जो लगभग 63.5 से 54.1 करोड़ वर्ष पहले तक रहा, यह पृथ्वी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण समय था। यह एक परिवर्तनकारी युग था जिसके दौरान जटिल, बहुकोशिकीय जीवों का उदय हुआ, जिसने जीवन के लिए मंच तैयार किया।

लेकिन जीवन की यह लहर कैसे सामने आई और पृथ्वी पर किन-किन कारणों ने इसमें योगदान दिया होगा?

रोचेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस बात के पुख्ता सबूत खोजे हैं कि जब एडियाकरन काल के मैक्रोस्कोपिक जानवर विविधतापूर्ण और समृद्ध हुए, तब पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बेहद असामान्य स्थिति में था।

नेचर कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित उनके अध्ययन में यह सवाल उठता है कि क्या पृथ्वी के प्राचीन चुंबकीय क्षेत्र में इन उतार-चढ़ावों के कारण ऑक्सीजन के स्तर में बदलाव हुआ, जो लाखों साल पहले जीवन के विभिन्न रूपों के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण रहा होगा।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से बताया कि एडियाकरन काल के दौरान सबसे अहम जीवों में से एडियाकरन जीव एक थे। शुरुआती जानवरों से अपनी समानता के लिए उल्लेखनीय थे। कुछ तो एक मीटर से भी बड़े आकार के थे और गतिशील थे, जो दर्शाता है कि उन्हें पहले के जीवन रूपों की तुलना में संभवतः अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता थी।

शोधकर्ता ने शोध में कहा शानदार एडियाकरन जीवों की उपस्थिति के लिए पिछले विचारों में आनुवंशिक या पारिस्थितिक प्रेरक कारक शामिल हैं, लेकिन अल्ट्रा-लो जियो मैग्नेटिक क्षेत्र के साथ नजदीकी समय ने हमें पर्यावरणीय मुद्दों और विशेष रूप से वायुमंडलीय और महासागर ऑक्सीजनेशन पर फिर से विचार करने के लिए प्रेरित किया।

पृथ्वी के चुंबकीय रहस्य

धरती के नीचे लगभग 1,800 मील की दूरी पर, पृथ्वी के बाहरी कोर में तरल लोहा घूमता है, जिससे ग्रह का सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र बनता है। अदृश्य होने के बावजूद, चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि यह ग्रह को सौर हवा या सूर्य से विकिरण की धाराओं से बचाता है। लेकिन पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमेशा उतना मजबूत नहीं था जितना आज है।

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि असामान्य रूप से कम चुंबकीय क्षेत्र ने पशु जीवन के उदय में योगदान दिया हो सकता है। हालांकि, इस समय के दौरान चुंबकीय क्षेत्र की ताकत के बारे में सीमित आंकड़ों के कारण इसकी जांच करना चुनौतीपूर्ण रहा है।

शोधकर्ताओं की टीम ने चट्टान एनोर्थोसाइट से प्राचीन फेल्डस्पार और पाइरॉक्सीन क्रिस्टल में बंद चुंबकत्व का अध्ययन करके चुंबकीय क्षेत्र की ताकत की जांच करने के लिए नई रणनीतियों और तकनीकों का उपयोग किया। क्रिस्टल में चुंबकीय कण होते हैं जो खनिजों के बनने के समय से ही चुंबकत्व को संरक्षित करते हैं। चट्टानों की तिथि निर्धारित करके, शोधकर्ता पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के विकास की समयरेखा बना सकते हैं।

सीओ2 लेजर और प्रयोगशाला के सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइस मैग्नेटोमीटर सहित अत्याधुनिक उपकरणों का लाभ उठाते हुए, टीम ने क्रिस्टल और उसके भीतर बंद चुंबकत्व का सटीकता से विश्लेषण किया।

एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र

शोध के आंकड़ों से पता चलता है कि एडियाकरन काल के दौरान पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र आज तक ज्ञात सबसे कमजोर क्षेत्र था, आज के चुंबकीय क्षेत्र से 30 गुना कमजोर और यह अल्ट्रा-लो क्षेत्र की ताकत कम से कम 2.6 करोड़ वर्षों तक चली।

एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र सूर्य से आने वाले आवेशित कणों के लिए वायुमंडल से हाइड्रोजन जैसे हल्के परमाणुओं को अलग करना आसान बनाता है, जिससे वे अंतरिक्ष में चले जाते हैं। यदि हाइड्रोजन का भारी नुकसान होता है, तो हाइड्रोजन के साथ प्रतिक्रिया करके जल वाष्प बनाने के बजाय अधिक ऑक्सीजन वायुमंडल में रह सकती है। इन प्रतिक्रियाओं से समय के साथ ऑक्सीजन का निर्माण हो सकता है।

शोधकर्ताओं की टीम द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि एडियाकरन काल के दौरान, अल्ट्रावीक चुंबकीय क्षेत्र के कारण कम से कम दसियों लाख वर्षों में हाइड्रोजन की कमी हुई। इस कमी के कारण वायुमंडल और सतही महासागर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई होगी, जिससे अधिक उन्नत जीवन रूपों का उदय हो सका।

शोध टीम ने पहले पाया था कि भू-चुंबकीय क्षेत्र बाद के कैम्ब्रियन काल के दौरान अपनी ताकत में वापस आ गया था, जब अधिकांश पशु समूह जीवाश्म रिकॉर्ड में दिखाई देने लगे थे और सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र फिर से स्थापित हो गया था, जिससे जीवन पनपने लगा था।

अगर एडियाकरन के बाद असाधारण रूप से कमजोर क्षेत्र बना रहता, तो पृथ्वी आज के पानी से भरपूर ग्रह से बहुत अलग दिखती, पानी की कमी ने धीरे-धीरे पृथ्वी को सुखा दिया होगा।

कोर डायनेमिक्स और विकास

शोध बताता है कि पृथ्वी से परे जीवन की संभावनाओं पर विचार करने के लिए ग्रहों के अंदरूनी हिस्सों को समझना महत्वपूर्ण है।

शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, यह सोचना दिलचस्प है कि पृथ्वी के कोर में होने वाली प्रक्रियाओं को अंततः विकास से जोड़ा जा सकता है। जब हम कहीं और जीवन की संभावना के बारे में सोचते हैं, तो हमें यह भी विचार करना चाहिए कि ग्रहों के अंदरूनी हिस्से कैसे बनते और विकसित होते हैं।

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