इंजीनियरों ने हानिकारक ई.कोलाई को पानी से हटाने की नई विधि की ईजाद

45 मिनट में पानी से 99.99 प्रतिशत ई.कोलाई को हटाया

By Dayanidhi

On: Friday 23 October 2020
 

पानी से होने वाली बीमारी दूषित पानी पीने के कारण होती है, जिसे रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं द्वारा दूषित किया जाता है। पानी से होने वाले रोगों में पेचिश, हैजा, टाइफाइड बुखार और अन्य परजीवी संक्रमण शामिल है। दुनिया भर में हर साल दूषित पानी पीने से लाखों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। पानी के इस परजीवी संक्रमण को दूर करने के लिए अब ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक नई तकनीक विकसित की है।

विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने ग्राफिकल कार्बन नाइट्राइड और सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके पानी से घातक बैक्टीरिया, जैसे ई-कोलाई को हटाने के लिए एक बेहतर विधि ईजाद की है।

ई-कोलाई क्या है

इशचेरिचिया कोलाई जिसे ई.कोलाई भी कहते हैं, छड़ी की आकृति का बैक्टीरिया होता है। ई. कोलाई जीवाणु आमतौर पर स्वस्थ लोगों और जानवरों की आंतों में रहते हैं। ई. कोलाई की अधिकांश किस्में हानिकारक नहीं होती हैं, लेकिन कुछ हानिकारक होते हैं। यह पेट में दर्द और दस्त जैसे लक्षणों को पैदा करता है। कई बार इसकी वजह से लोगों की किडनी काम करना बंद कर देती है जिससे संक्रमित की मृत्यु तक हो जाती है।

प्रोफेसर ज़िव्यांग झांग के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय टीम ने हानिकारक रोगज़नक़ ई-कोलाई और एंटरोकोकस फेकलिस को 45 मिनट और 60 मिनट के भीतर नष्ट करने के लिए पॉलीइथाइलीनिमाइन (पीईआई) के साथ ग्रेफाइट कार्बन नाइट्राइड को मिलाया। यह नई फोटोकैटलिस्ट विधि कम लागत वाली और इसमें धातु का उपयोग भी नहीं होता है, यह प्रदूषण को रोकने में सबसे अधिक सक्षम है।

यदि इसमें और सुधार किया जाए तो यह सूर्य के प्रकाश में बड़ी मात्रा में पानी को साफ कर सकती है। यह जिन देशों की ताजे पानी तक सीमित पहुंच है उनके लिए एक वरदान सिद्ध हो सकता है। वर्तमान में सूर्य के प्रकाश को लेकर कीटाणुओं को अलग करने की इस तकनीक में बहुत अधिक क्षमता है।

पर्यावरण के प्रोफेसर झांग का कहना है कि सौर फोटोसैटेफिकेशन तकनीक अपने फोटोकैटलिस्ट को इकट्ठा करता है जो अधिक टिकाऊ तरीके से और तेजी से कीटाणुओं को छान देता है। प्रोफेसर झांग ने कहा पानी से होने वाले रोगों के कारण होने वाली संक्रामक बीमारियां दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं। यह शोध जर्नल एप्लाइड कैटालिसिस बी में प्रकाशित हुआ है।

फोटोकैटलिसिस वह गतिविधि होती है जब एक प्रकाश स्रोत और पदार्थों की सतह के साथ संपर्क करता है, जिसे फोटोकैटलिस्ट्स कहा जाता है।

ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड ने पानी से कीटाणुओं को छानने के लिए धातु रहित फोटोकैटलिस्ट के रूप में ध्यान आकर्षित किया है। इसमें फोटोकैटलिसिस का उपयोग करके रोगाणुओं को पूरी तरह से हटाने की क्षमता है। इस सामग्री के फोटोकैलेटिक गुणों को बढ़ावा देने और पानी से संबंधित जीवाणुओं पर परीक्षण करने के लिए पीईआई के साथ फ्यूजिटिक कार्बन नाइट्राइड को मिलाना पड़ता है। हमने पीईआई को क्रियाशील बनाने की प्रक्रिया (फंक्शनलिसाइजेशन) की खोज की, जो वास्तव में ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड पर फोटोकैमिकल प्रतिक्रियाओं को मिलाता है। हमने पाया कि ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड पर चार्ज होने से पीईआई इलेक्ट्रोस्टैटिक के माध्यम से फोटोकटलिस्ट और बैक्टीरिया कोशिकाओं के बीच संपर्क को बढ़ा सकता है, जो पानी में बैक्टीरिया की कोशिकाओं को मारने में सक्षम है।

इस प्रक्रिया के माध्यम से, सूर्य के प्रकाश के तहत, शोध टीम ने 45 मिनट में पानी से 99.99 प्रतिशत ई.कोलाई को हटाया। यह पीईआई प्रक्रिया सरल है। प्रोफेसर जांग ने कहा फोटोकैटलिसिस उपकरणों के विकास पर अधिक शोध किए जाने के बाद इसे दुनिया भर में भेजा जा सकता है, ताकि गंदे पानी पीने के लिए मजबूर लोग इस तकनीक का उपयोग कर सकें।

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