भारतीय वैज्ञानिकों का दावा, मशरूम में है कोविड-19 और अन्य वायरल संक्रमणों से लड़ने की अनूठी क्षमता

रिसर्च से पता चला है कि मशरूम पोषण के साथ-साथ औषधीय गुणों से संपन्न होता है। यह इम्युनिटी बढ़ाने के साथ शरीर की वायरस से लड़ने में मदद कर सकता है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 02 January 2024
 
इम्युनिटी बूस्टर के साथ-साथ, औषधीय गुणों से संपन्न मशरूम; फोटो: आईस्टॉक

भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी एक नई रिसर्च में खुलासा किया है कि मशरूम में कोविड-19 और अन्य वायरल संक्रमणों से लड़ने की अनूठी क्षमता मौजूद है। इस बारे में  केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गत शुक्रवार को जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि मशरूम और उससे प्राप्त बायोएक्टिव तत्वों में कोविड का मुकाबला करने की क्षमता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक मशरूम में प्राकृतिक रूप से मौजूद यह तत्व हमारे शरीर में होने वाले संक्रमण के साथ-साथ वायरस, सूजन और रक्त के थक्के को जमने से रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक खास बात यह है कि यह तत्व मशरूम में प्राकृतिक तौर पर मौजूद होते हैं और ऐसे मशरूमों में भी पाए जाते हैं, जिन्हें ढूंढना आसान है।

यह अध्ययन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है, जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से जुड़ा एक स्वायत्त संस्थान है। अध्ययन के नतीजे जर्नल ऑफ फंगी में प्रकाशित हुए हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 का सामना करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत होना बेहद अहम है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इस महामारी से सुरक्षा के लिए ऐसे जैव-सक्रिय यौगिकों का अध्ययन कर रहे हैं, जो इंसानों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ इन के प्रसार को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं।

इसी कड़ी में वैज्ञानिकों का ध्यान मशरूम ने अपनी ओर आकर्षित किया है, क्योंकि इन्हें प्राप्त करना आसान है। इनमें एंटीऑक्सीडेंट का स्तर काफी ज्यादा और पोषण संबंधी गुण मौजूद होते हैं। वहीं दूसरी तरफ इनके दुष्प्रभाव भी काफी कम होते हैं।

रिसर्च के अनुसार आहार के रूप में लोगों को मशरूम बेहद पसंद है। भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में कई तरह के मशरूम मिलते हैं। यही वजह है कि इनकी बढ़ती लोकप्रियता ने आईएएसएसटी से जुड़े शोधकर्ताओं को इसपर और अधिक अध्ययन के लिए प्रेरित किया। वैज्ञानिक यह समझना चाहते थे कि मशरूम और उनमें मौजूद विशेष तत्व कोविड-19 और अन्य वायरसों से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में कैसे मददगार साबित हो सकते हैं।

इम्युनिटी बूस्टर के साथ-साथ औषधीय गुणों से संपन्न होता है मशरूम

अपने इस अध्ययन में प्रोफेसर आशीष के मुखर्जी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के मौजूदा उपचारों की तुलना मशरूम से प्राप्त विशेष बायोएक्टिव तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला से प्राप्त उत्पादों की क्षमता से की है। जो प्राकृतिक तौर पर वायरस और उससे होने वाले संक्रमण को रोकने के साथ-साथ एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीथ्रॉम्बोटिक गुण रखते हैं। इस अध्ययन में प्रोफेसर मुखर्जी के साथ-साथ डॉक्टर अपरूप पात्रा, डॉक्टर एमआर खान, डॉक्टर सागर आर. बर्गे और आईएएसएसटी, गुवाहाटी के श्री परन बरुआ शामिल थे।

इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मशरूम से प्राप्त 13 जैव सक्रिय यौगिकों का अध्ययन यह जानने के लिए किया है कि क्या वो उस वायरस को रोकने में मददगार हो सकते हैं, जो कोविड-19 का कारण बनता है। साथ ही क्या वो शरीर में इसके कारण होने वाली समस्याओं जैसे फेफड़ों के संक्रमण, साइटोकिन स्टॉर्म, थ्रोम्बोटिक और कार्डियोवैस्कुलर प्रभावों और सूजन को रोकने में मदद कर सकते हैं।

रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं उनसे पता चला है कि मशरूम में बायोएक्टिव पॉलीसेकेराइड और इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग यौगिक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करने के साथ-साथ वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से होने वाले संक्रमण से लड़ सकते हैं।

पता चला है कि इनमें औषधीय गुण भी होते हैं। यह भी सामने आया है कि वैज्ञानिक मशरूम से बनी कुछ दवाओं का लोगों पर भी परीक्षण कर रहे हैं और जानकारी मिली है कि इन दवाओं के कोविड-19 के खिलाफ भी आशाजनक परिणाम सामने आए हैं।

रिसर्च के मुताबिक खाद्य उत्पाद के रुप में उपयोग होने वाले मशरूम का उपयोग सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। यह पोषण के साथ-साथ औषधीय गुणों से संपन्न होता है। यह ऐसे खाद्य पदार्थों की तरह हैं जो शरीर को वायरस से लड़ने में मदद कर सकते हैं, साथ ही इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता। मशरूम शरीर के लिए एक ढाल की तरह काम करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बना सकता है।

रिसर्च में यह भी कहा गया है कि मशरूम में मौजूद विशेष तत्व हमारी कैसे मदद कर सकते हैं, इस बारे में और अधिक जानने की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं। हालांकि इसके लिए वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और नीति निर्माताओं को एकजुट होने की जरूरत है।

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