सीफूड खाने से पहले जान लें यह बात, कहीं आपको गुमराह तो नहीं किया जा रहा

एक अध्ययन में कहा गया है कि कई देशों में समुद्री जीवों का मांस के कारोबार में कई तरह की गड़बड़ियां आ गई हैं

By Dayanidhi

On: Wednesday 23 December 2020
 

एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कैलिन क्रेट्ज और उनके सहयोगियों ने अमेरिका में एक शोध करके बताया है कि पिछले कुछ सालों में समुद्री जीवों के मांस (सी फूड) का कारोबार बढ़ा है, लेकिन साथ ही इस कारोबार में लगे कई व्यापारी गलत लेबल लगाकर जहां सी फूड खाने वाले लोगों को गुमराह कर रहे हैं, वहीं इससे विशिष्ट प्रजातियों के संरक्षण में असर पड़ रहा है।  

अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका में लगभग 2 लाख से 2.50 लाख टन गलत लेबल लगे सीफूड हर साल बेचे जाते हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो यह 3.4 फीसदी से 4.3 फीसदी तक उपयोग किया गया समुद्री भोजन है। देशों से समुद्री भोजन जिसकी मांग की गई उसके बदले अन्य का आयात किए जाने के 28 फीसदी आसार अधिक थे, यह माना गया कि उन देशों में अमेरिका की तुलना में काफी कमजोर पर्यावरणीय कानून हो सकते हैं।

एएसयू के स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी में सहायक प्रोफेसर क्रेट्ट्ज ने कहा कि अमेरिका में मछलियों का प्रबंधन बहुत अच्छी तरह किया जाता है। यहां मछली पकड़ने की सीमा तय की गई है। मछुआरों के सीमा का पालन करने के लिए मजबूत निगरानी तंत्र हैं। लेकिन कई देशों की प्रबंधन क्षमता एक जैसी नहीं होती है, जिन देशों से समुद्री भोजन आयात किया जाता है।

अध्ययनकर्ताओं ने समुद्री आबादी के स्वास्थ्य और मत्स्य प्रबंधन प्रभाव का आकलन करने के लिए पकड़े गए मछली के जोड़े के लिए मोंटेरी बे एक्वेरियम सीफूड वॉच स्कोर का उपयोग किया।

क्रेट्ज़ ने बताया कि हम लंबे समय से वैश्विक मूल्यांकन करना चाहते थे, हमने पहले अमेरिका पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि सीफूड वॉच ने बताया कि लगभग 85 फीसदी अमेरिका के लोग समुद्री भोजन का सेवन करते हैं। अमेरिका में हमें आसानी से भारी मात्रा में आंकड़े मिल गए थे। जो हम वैश्विक स्तर पर हासिल कर सकते हैं, यह उससे कहीं अधिक हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन में पाया गया कि दूसरी प्रजातियां मत्स्य पालन से आई हैं जिनका आबादी के मामले में अच्छा प्रदर्शन नहीं है। जनसंख्या प्रभाव मीट्रिक में मछलियों की अधिक आबादी, मछली पकड़ने की दर, मछली पकड़े जाने के बाद वापस समुद्र में फेंक दिए जाने का कारण है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि विशालकाय टाइगर झींगे की किसी अन्य समुद्री खाद्य उत्पाद से अधिक मांग हैं, लेकिन इनके बदले सफेद पैर के स्नैपर झींगे का उपयोग किया जाता हैं। दुनिया भर में किसी भी अन्य प्रकार के समुद्री भोजन की तुलना में झींगा अधिक खाया जाता है, जो संभावित रूप से पर्याप्त पर्यावरणीय प्रभावों के लिए द्वार खोलते हैं। इस बीच, स्नैपर में गलत लेबल लगाने की दर अधिक होती है, जो कि दुनिया भर में झींगे की तुलना में बहुत कम खाया जाता हैं।

गलत लेबल से अच्छी प्रजाति की मछलियों की आबादी के प्रबंधन में समस्या खड़ी होती है और यदि पहचान सही हो तो, यह मत्स्य पालन को बढ़ाती है। गलत लेबल (मीसलबेलिंग) न केवल टिकाऊ, बल्कि उपभोक्ताओं का स्थानीय समुद्री खाने से विश्वास भी डगमगा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बदली हुई (सब्स्टटूट) मछली के आयात किए जाने की अधिक संभावना है और जो खराब तरीके से प्रबंधित किए गए मत्स्य पालन से आते हैं।

उदाहरण के लिए आप सोच रहे हैं कि आप इस अद्भुत स्थानीय नीले केकड़े को खा रहे हैं, स्थानीय व्यंजनों का अनुभव कर रहे हैं और स्थानीय मत्स्य पालन को बढ़ावा दे रहे हैं। लेकिन वास्तव में आप कुछ ऐसा खा रहे हैं जो इंडोनेशिया से आयात किया गया हो। गलत पहचान (मिसबेलिंग) के बारे में जानने से भविष्य में नीले केकड़े के विकास के लिए आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि कम हो सकती है।

क्रेट्ज़ ने कहा अच्छी प्रजातियों का अक्सर बहुत सही तरीके से प्रबंध किया जाता है। यदि प्रबंधन अच्छा है तो मत्स्य पालन से मछली का उपभोग करना अब आबादी के संदर्भ में या भविष्य में इसके बुरे प्रभाव नहीं होने चाहिए। लेकिन यदि आप खराब तरीके से प्रबंधित मत्स्य पालन से मछली का उपभोग कर रहे हैं, तो यह टिकाऊ नहीं  होगा।

अधिक समग्र दृष्टिकोण जिसमें उपभोक्ता और उद्योग से जुड़े लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें अच्छी योजना और परीक्षण शामिल हों और नियम के अनुसार भोजन की जांच से समुद्री भोजन की भ्रामकता को कम किया जा सकता है। इससे समुद्री भोजन उत्पाद से संबंधित पारदर्शिता में सुधार किया जा सकता है।

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