जापान में जलपरी : 300 साल पुरानी ममी से वैज्ञानिक खोलेंगे राज

जापान में एक पुरानी मान्यता यह भी थी कि जलपरी यानी निंग्यो का मांस खाने से अमरता मिल सकती है।

By Ella Tennant

On: Friday 25 March 2022
 

 क्या सचमुच जलपरियां होती हैं? जापान की लोककथाओं में जिन जलपरियों का जिक्र है क्या उनका अस्तित्व वास्तव में है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने जलपरियों की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए 300 साल पुरानी "मत्स्यांगना ममी" पर परीक्षण शुरू कर दिया है। इससे  जापानी लोककथाओं में मत्स्यांगनाओं के अस्तित्व में रुचि और गाढी हो गई है। 

कई क्षेत्रों की सांस्कृतिक पौराणिक कथाओं में मत्स्यांगनाओं और उनकी अधिक खतरनाक मोहक सायरन बहनों की कहानियां मजबूती से शामिल हैं। वहीं, दुनिया भर में मध्ययुगीन कला और समकालीन लोकप्रिय साहित्य में इनका जिक्र है।

जापान में प्राकृतिक दुनिया से जुड़े विश्वास और मिथक के तत्व प्रागैतिहासिक काल से ही संस्कृति और परंपरा के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में कायम हैं। लेकिन जैसा पश्चिमी मानस में जलपरियों की कल्पना की गई है, वह जापान के मिथकों से भिन्न है। 

एक मानव रूप वाली मछली

जापानी लोककथाओं में एक बंदर के मुंह वाली एक मानव मछली है जो समुद्र में रहती है जिसे निंग्यो कहा जाता है ( जापानी शब्द निंग्यो "व्यक्ति" और "मछली" के पात्रों से बना है)। एक पुरानी जापानी मान्यता यह भी थी कि निंग्यो का मांस खाने से अमरता मिल सकती है।

ऐसा माना जाता है कि ऐसा ही एक प्राणी क्योटो के उत्तर-पूर्व में बिवा झील में प्रिंस शोटोकू (574-622) को दिखाई पड़ा था। प्रिंस शोटोकू को उनके कई राजनीतिक और सांस्कृतिक नवाचारों के लिए सम्मानित किया गया था, विशेष रूप से जापान में बौद्ध धर्म के प्रसार को प्रोत्साहित करने के लिए।

प्रिंस शोटोकू को जो अर्धपौराणिक व्यक्ति दिखाई पड़ा था उसके बारे में किविदंती है कि वह एक एक मछुआरा था जिसने संरक्षित जल में मछली के साथ अत्याचार किया था, सजा के रूप में उसे एक निंग्यो में बदल दिया गया था। कहा जाता है कि मरणासन्न अवस्था में उसने राजकुमार से अपने अपराध की मुक्ति की कामना की थी। 

A mummified mermaid relic.

 

छवि : एक जलपरी के ममी का अवशेष  एक ममीकृत मत्स्यांगना अवशेष में ऊपरी हिस्से एक बंदर जैसा है। यह ब्रिटिश संग्रहालय में है जिसपर वर्तमान में शोध किया जा रहा है। ब्रिटिश संग्रहालय के न्यासी, सीसी बीवाई-एनएसी-एनडी

 

जलपरी ने राजकुमार से अपने भयानक ममीकृत शरीर को प्रदर्शित करने के लिए और लोगों को जीवन की पवित्रता के बारे में याद दिलाने के लिए एक मंदिर खोजने के लिए भी कहा। एक निंग्यो के विवरण से मेल खाने वाले अवशेष फुजिनोमिया में तेंशौ-क्यूशा तीर्थ में पाए जा सकते हैं जहां शिंटो पुजारियों द्वारा इसकी देखभाल की जाती है।

जलपरियों की उपस्थिति के विवरण हालांकि लोककथाओं में दुर्लभ हैं। और यह प्राणियों को मंत्रमुग्ध करने वाली सुंदरता की वस्तु होने के बजाय युद्ध या आपदा के "घृणित" अंश के रूप में वर्णित किए गए हैं। 

वर्तमान में परीक्षण के दौर से गुजर रहे "सूखे मत्स्यांगना" को कथित तौर पर जापानी द्वीप शिकोकू से 1736 और 1741 के बीच प्रशांत महासागर में पकड़ा गया था। और अब इसे असाकुची शहर के एक मंदिर में रखा गया है। मत्स्यांगना की परीक्षा ने शोधकर्ताओं को यह विश्वास करने के लिए प्रेरित किया है कि यह ईदो काल (1603-1868) से एक अवशेष है। 

युकाई (आत्माओं और संस्थाओं) और "जीवित" डरावने जीवों को दर्शकों के लिए यात्रा शो में मनोरंजन के रूप में प्रदर्शित किया जाना आम था, यह बिल्कुल यूएस में "फ्रीक शो" जैसा है।

जलपरी जापानी कब बनी?

जापान में मत्स्यांगना आज बंदर के धड़ और मछली की पूंछ वाले छोटे पंजे वाले जीव नहीं हैं। ऐसा लगता है कि जैसा कि पश्चिम में जाना जाता है जलपरियों ने 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में जापान में प्रवेश किया। यह प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत में सेना के ठिकानों से अमेरिकी संस्कृति की आमद के साथ-साथ हंस क्रिश्चियन एंडरसन के द लिटिल मरमेड के पहले जापानी अनुवाद के प्रकाशन के साथ हुआ।

लेखकों और चित्रकारों, जैसे निंग्यो नो नगेकी में तनिजाकी जुनिचिरो, द मरमेड्स लैमेंट- 1917 ने इस प्राणी को अपने काम में चित्रित करना शुरू किया। इसने निंग्यो की विचित्र छवि को लोकप्रिय संस्कृति में एक आकर्षक, स्पष्ट रूप से स्त्री मत्स्यांगना के साथ विलय कर दिया, जिसे मामीडो के नाम से जाना जाता है।

A bronze statue of a mermaid on Okinawa's Moon Beach.

 

छवि : ओकिनावा के मून बीच पर एक मत्स्यांगना की कांस्य प्रतिमा : माना जाता है कि खूबसूरत जलपरियों ने ओकिनावा के मून बीच पर लोगों को डूबने से बचाया था। क्रिस विल्सन / अलामी

नव पश्चिमी मत्स्यांगना के साहित्यिक और दृश्य प्रतिनिधित्व (विशेष रूप से एनीमे और मंगा) ने जादू की दुविधा का पता लगाया है। इनमें स्वयं मत्स्यांगना के दृष्टिकोण शामिल हैं और, कुछ मामलों में, व्यक्ति, आम तौर पर पुरुष, जिसने उसके अस्तित्व की खोज की है, उसके साथ बंधी हुई है, फिर उसे जाने देने के लिए मजबूर किया जाता है।

यह नई मत्स्यांगना अब लोकप्रिय संस्कृति में एक स्थान रखती है, नई कहानियों के साथ जो पर्यटकों को जापान के दक्षिणी द्वीपों में आकर्षित करती है। एक मत्स्यांगना की कांस्य प्रतिमा, जो ओकिनावा के मून बीच पर एक चट्टान पर बेसुध बैठी है, एक खतरनाक समुद्र की गहराई से लोगों को बचाते हुए सुंदर मत्स्यांगनाओं की स्थानीय किंवदंतियों का प्रतिनिधित्व करती है। यह निंग्यो की भयानक छवि से बहुत दूर है, एक बंदर के मुंह वाली आधी मानव मछली।

 

{यह लेख द कन्वर्शेसन से साभार लिया गया है, जिसे मूल अंग्रेजी से हिंदी में अनुदित किया गया है। ) 

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