धातु से वायरस को हटाने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाया लेजर

रोग फैलाने वाले कीटाणु सतहों पर कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों के द्वारा कुछ इस तरह की धातु की सतहें बनाई जा रही है जो उन्हें तुरंत मार सकती हैं

By Dayanidhi

On: Friday 10 April 2020
 

 

अमेरिका की पर्ड्यू विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक ऐसी लेजर विधि बनाई है, जो किसी भी धातु की सतह से बैक्टीरिया को तेजी से मार सकती है। इसके लिए इस धातु की सतह को एक अलग तरह की बनावट दी जाती है।

एडवांस्ड मैटेरियल्स इंटरफेसेस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दिखाया कि यह तकनीक तांबे की सतह पर मार्स (एमआरएसए) जैसे संक्रामक बीमारी फैलाने वाले कीटाणु को तुरंत मार देती है।

सदियों से तांबे का उपयोग एक रोगाणुरोधी सामग्री के रूप में किया जाता रहा है। शोधकर्ता रहीम रहीमी ने कहा कि आम तौर पर तांबे की सतहों द्वारा बैक्टीरिया को मारने में घंटों लग जाते हैं। हमने एक ऐसी लेजर-टेक्सचरिंग तकनीक विकसित की है, जो तांबे की सतह की बैक्टीरिया-मारने के गुणों को तेजी से बढ़ा देती है। हालांकि यह तकनीक अभी तक कोविड-19 महामारी जैसे वायरस को मारने के लिए नहीं है, क्योंकि ये वायरस बैक्टीरिया की तुलना में अति सूक्ष्म होते हैं।

रहीमी की टीम ने अन्य धातुओं और पॉलिमर की सतहों पर इस तकनीक का परीक्षण शुरू कर दिया है जो कि पुराने घावों को ठीक करने, हड्डियों को जोड़ने, प्रत्यारोपण करने या उपकरणों पर पैदा होने वाले बैक्टीरिया तथा उनके खतरों को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।

रहीमी ने कहा कि यह सतह बनाने से संक्रमण और एंटीबायोटिक प्रतिरोध को फैलने से रोका जा सकता है। क्योंकि सतह से बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होगी। तांबे जैसी धातुओं में सामान्य रूप से एक चिकनी सतह होती है, जिससे धातु के संपर्क में आने से बैक्टीरिया को मारना मुश्किल हो जाता है।

रहिमी की टीम द्वारा विकसित तकनीक से धातु की सतह पर नैनोस्केल पैटर्न बनाने के लिए एक लेजर का उपयोग किया जाता है। पैटर्न से सतह पर खुरदरी बनावट हो जाती हैं, जिससे बैक्टीरिया को सतह पर ही मारा जा सकता है। 

पहले भी शोधकर्ताओं ने धातु की सतहों के रोगाणुरोधी गुणों को बढ़ाने के लिए विभिन्न नैनोमैटेरियल कोटिंग्स का उपयोग किया है, लेकिन इन कोटिंग्स में लगे केमिकल के पानी के साथ बहकर मिट्टी आदि में मिल जाने से पर्यावरण के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

रहिमी ने कहा कि हमने एक मजबूत प्रक्रिया बनाई है जो चुनिंदा सतह में सीधे तौर पर तांबे की सामग्री में फेरबदल किए बिना माइक्रोन और नैनोस्केल पैटर्न उत्पन्न करती है। जिससे असानी से रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया/कीटाणुओं का सफाया हो जाता है।

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