बुध ग्रह पर क्रोमियम की मात्रा लगभग चार गुना अलग होती है, वैज्ञानिकों ने लगाया पता

अध्ययन के मुताबिक, यह पहली बार है कि क्रोमियम का सीधे पता लगाया गया है और किसी भी ग्रह की सतह पर उसका मानचित्रण किया गया है।

By Dayanidhi

On: Thursday 13 July 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, राइडिंग विथ रोबोट्स

सूर्य के सबसे निकट बुध ग्रह की उत्पत्ति कई मायनों में रहस्यमय है। इसमें पृथ्वी की तरह एक धात्विक हिस्सा होता है, लेकिन इसका कोर इसके आयतन का बहुत बड़ा हिस्सा बनाता है जो पृथ्वी के 15 फीसदी की तुलना में 85 फीसदी है।

नासा डिस्कवरी-क्लास मैसेंजर जो बुध की सतह, अंतरिक्ष पर्यावरण, भू-रसायन और रेंजिंग से संबंधित मिशन है और बुध की कक्षा में जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान है, जिसने मापा कि ग्रह रासायनिक रूप से भी पृथ्वी से काफी अलग है।

बुध में अपेक्षाकृत कम ऑक्सीजन है, जो दर्शाता है कि यह शुरुआती  सौर मंडल में विभिन्न हिस्सों से बना है। हालांकि, उपलब्ध आंकड़ों से बुध की ऑक्सीकरण अवस्था का सटीक पता लगाना मुश्किल है।

स्कूल ऑफ अर्थ एंड स्पेस एक्सप्लोरेशन में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक लैरी निटलर के नेतृत्व में किए गए एक नए अध्ययन में, मैसेंजर मिशन के दौरान हासिल किए गए आंकड़ों का उपयोग बुध की सतह पर छोटे तत्व क्रोमियम की प्रचुरता को मापने के लिए किया गया था। यह शोध जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च के प्लैनेट्स में प्रकाशित किया गया गया है

क्रोमियम आमतौर पर धातु में उपयोग किए जाने वाले अत्यधिक चमकदार और संक्षारण प्रतिरोधी होने के लिए जाना जाता है और यह माणिक और पन्ने को रंग देता है। लेकिन यह रासायनिक अवस्थाओं की एक विस्तृत श्रृंखला में भी मौजूद हो सकता है, इसलिए इसकी प्रचुरता उन रासायनिक स्थितियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है जिनके तहत इसे चट्टानों में शामिल किया गया था।

निटलर और सहयोगियों ने पाया कि बुध ग्रह पर क्रोमियम की मात्रा लगभग चार गुना अलग होती है। उन्होंने सैद्धांतिक मॉडल की गणना की कि बुध की सतह पर कितना क्रोमियम मौजूद हो सकता है, क्योंकि ग्रह अलग-अलग परिस्थितियों में क्रस्ट, मेंटल और कोर में अलग होता है।

मॉडलों की तुलना करके, शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि बुध के बड़े धातु कोर में क्रोमियम होना चाहिए और वे ग्रह की समग्र ऑक्सीकरण स्थिति पर नई सीमाओं का पता लगाने में सक्षम थे।

अध्ययन के मुताबिक, यह पहली बार है कि क्रोमियम का सीधे पता लगाया गया है और किसी भी ग्रह की सतह पर उसका मानचित्रण किया गया है। उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा के आधार पर, यह ऑक्साइड, सल्फाइड, या धातु खनिजों में रहना पसंद करता है और अत्याधुनिक मॉडलिंग के साथ आंकड़ों को जोड़कर, हम बुध की उत्पत्ति और भूवैज्ञानिक इतिहास में अनोखी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

शोध में कहा गया है कि, प्रयोगशाला प्रयोगों के आधार पर यह मॉडल पुष्टि करता है कि बुध में अधिकांश क्रोमियम इसके मूल में केंद्रित है। अनोखे संरचना के कारण और बुध की गठन की स्थिति, हम सीधे इसकी सतह की संरचना की तुलना स्थलीय चट्टानों से हासिल किए गए आंकड़ों से नहीं कर सकते हैं। इसलिए, ऐसे प्रयोग करना आवश्यक है जो पृथ्वी या मंगल से अलग उस विशिष्ट ऑक्सीजन की कमी वाले वातावरण का अनुकरण करते हैं जिसमें ग्रह का निर्माण हुआ था।

शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला प्रयोगों से आंकड़ों को संकलित किया और प्रणाली में अलग-अलग ऑक्सीजन प्रचुरता के तहत क्रोमियम के व्यवहार का विश्लेषण किया। बाद में उन्होंने बुध की विभिन्न परतों के बीच क्रोमियम के वितरण की जांच के लिए एक मॉडल विकसित किया।

निष्कर्ष दर्शाते हैं कि, लोहे के समान, क्रोमियम का एक बड़ा हिस्सा वास्तव में कोर के भीतर जमा हुआ है। शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जैसे-जैसे ग्रह में ऑक्सीजन की कमी बढ़ती है, क्रोमियम की एक बड़ी मात्रा इसके आंतरिक भाग में छिप जाती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि, यह जानकारी बुध के भीतर चल रही मौलिक संरचना और भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ के लिए महत्वपूर्ण है।

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