क्या है प्यार का विज्ञान और दर्द का रिश्ता, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने की पड़ताल
वेलेंटाइन डे पर स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने प्यार और रोमांस के भूत और वर्तमान पर एक खास शोध पत्र जारी किया
On: Friday 14 February 2020
सदियों से लोग प्यार में पड़ने के पीछे की प्रवृति और उसके साथ जुड़ी मान्यतायों को समझने की कोशिश में लगे हैं। व्यक्ति के विभिन्न प्रकार की भावनाओं को अनुभव करने के पीछे क्या है? रोमांस के पीछे की सोच किस तरह समय के साथ विकसित होती गई है? डिजिटल माध्यमों ने लोगों के जीवन में एक स्थायी जगह बना ली है, इन तकनीकों का लोगों के मेल-मिलाप पर क्या असर हुआ है? ऐसे ही कई सवालों का जवाब दिया स्टैनफोर्ड के विद्वानों ने। इतिहासकार, जिन्होंने रोमांस के वर्तमान स्वरूप को पौराणिक ग्रीक दर्शन में पाया और अरब को कविताओं में देखा है, से लेकर समाजशास्त्री जो प्यार को समाज के नियम कायदों से बांधकर देखते हैं और वहीं वैज्ञानिक जिनका शोध कहता है कि इसके पीछे हार्मोन जिम्मेदार है, पर यहां स्टैनफोर्ड के शोधार्थी दिल के मामलों पर कई नई बातों का खुलासा कर रहे हैं।
रोमांस की यात्रा
इटालियन साहित्य के जानकार और रोमांस अध्ययन के विद्वान रोबर्ट पोग हैरिसन कहते हैं कि प्यार के भीतर कितना रोमांस है, इसको समझने के लिए कई ऐतिहासिक घटनाएं सामने है। उदाहरण के लिए, अपना जीवनसाथी खोजने का जिक्र ग्रीस की पौराणिक कथाओं में आता है। अरिस्टफेनिस के प्लूटो संगोष्ठी के मुताबिक, इंसान पहले सम्पूर्ण था, एक गोलाकार जीव की तरह, तबतक जब ग्रीक के देवता ने उन्हें बीच से काट नहीं दिया था।
यहां कुछ और असल कहानियां हैं, जो कि इतिहास के दूसरे पक्ष से प्यार और रोमांस को परिभाषित करती है। इसमें मध्ययुगीन जर्मनी और विक्टोरिया काल के इंग्लैंड की कहानी शामिल है जहां उस समय की राजनीति की वजह से प्यार के बीच हास्य और सहजता खत्म हो गई थी। हालांकि, आज के जमाने के प्यार को अलग-अलग शोध के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ स्टैनफोर्ड के विद्वानों ने सामने रखा है।
प्यार का विज्ञान
यह पता चला है कि इस दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण हो सकता है कि प्रेम अंधा है। इस शोध के मुताबिक प्यार दर्द के अहसास को उसी तरह कम कर सकता है जैसे कि दर्द की दवाएं करती है। वैज्ञानिक स्कैन मैकी ने अपने शोध में पाया कि प्यार की अधिकता दिमाग के उसी हिस्से को प्रभावित करती है जिस हिस्से पर दर्द कम करने के लिए दवाइयां काम करती है।
मैकी कहते हैं कि जब व्यक्ति प्यार के आगोश में होता है, मतलब प्यार की खुराक ले रहा होता है, उसकी मनोदशा में ऐसे परिवर्तन आते हैं कि उसे दर्द का अहसास नहीं होता। वह कहते हैं कि वह मस्तिष्क के इन तंत्रों को छेड़कर दर्द पर प्यार के प्रभाव की गणना करना चाहते हैं। ये तंत्र काफी गहरे और पुराने हैं और इसमें डोपामिन नामक हार्मोन जिम्मेदार है जिससे मनोदशा और प्रेरणा मिलती है।
हालांकि प्यार से कुछ व्यवहार सुस्त पड़ सकते हैं लेकिन यह सामाजिकता जैसे लक्षणों को बढ़ाने में भी सक्षम है। एक दूसरे स्टैनफोर्ड का अध्ययन कहता है कि प्यार की वजह से एक ऐसा ऑक्सीटोसिन की उत्पत्ति होती है जिस हार्मोन की वजह से लोग मिलनसार बन जाते हैं।
आज के समय में लोगों को प्यार कहां मिल रहा?
समाजशास्त्री माइकल रोसेन्फेल्ड के शोध के मुताबिक आज कद समय में सबसे प्यार पाने का प्रचलित तरीका ऑनलाइन माध्यम है। स्मार्टफोन की बढ़ती संख्या की वजह से इंटरनेट पर डेटिंग साइट पर लोग काफी वक्त बिताने लगे हैं। शोध में पता चला है कि 39 प्रतिशत स्त्री-पुरुष अब ऑनलाइन माध्यमों पर मिल रहे हैं, जबकि 2009 में यह आंकड़ा केवल 22 प्रतिशत था। राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर नील मल्होत्रा ने पाया कि ऑनलाइन लोगों को अपने रुचि के लोगों से मिलना संभव हो पता है। उन्होंने एक प्रसिद्ध डेटिंग वेबसाइट के वार्तालाप का अध्यायन कर पाया कि लोग अपने जैसे विचार, अपने जैसे राजनीतिक पार्टी से जुड़े लोगों से मेल मिलाप बढ़ाना पसंद करते हैं।