भारतीय वैज्ञानिकों की खोज, चिप संकट से मिल जाएगी मुक्ति

भारत ने हाल ही में सेमीकंडक्टर या चिप निर्माण के लिए देश को दुनिया भर में केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 2,30,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की घोषणा की है।

By Dayanidhi

On: Monday 03 January 2022
 

सभी स्मार्ट डिवाइसों के लिए सेमीकंडक्टर यानी एक तरह की चिप सबसे जरूरी भाग होता है। इसे स्मार्ट डिवाइस का दिमाग भी कह सकते हैं। किसी डिवाइस में जितने स्वचालित या ऑटोमैटिक विशेषता होगी, उसे बनाने में सेमीकंडक्टर की उतनी अधिक जरूरत होती है।

हाल ही में सेमीकंडक्टर की कमी के चलते देश में यात्री वाहनों की थोक बिक्री में भारी कमी देखी गई थी। आज के दौर में बन रही सभी गाड़ियां सेमीकंडक्टर की मदद से चल रही हैं। एक गाड़ी में जितनी सुविधाएं होती हैं या उसके जितने भाग होते हैं, वे सभी इस चिप से कंट्रोल किए जाते हैं।

चिप के संकट से निजात पाने के लिए अब हैदराबाद के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के शोधकर्ता पबित्रा के. नायक ने बहुत सक्षम और कम लागत वाली सेमीकंडक्टर या चिप बनाने की सामग्री बनाई है। डॉ. नायक सेमीकंडक्टर की सामग्री निर्माण की तकनीक पर शोधकर्ताओं के एक टीम का नेतृत्व कर रहे हैं।

भारत ने हाल ही में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए देश को दुनिया में केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए 2,30,000 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन की घोषणा की है। क्योंकि कम लागत वाली अधिक सक्षम सेमीकंडक्टर की सामग्री के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के मुताबिक देश को इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

मेटल हैलाइड पेरोवस्काइट और कार्बनिक सेमीकंडक्टर या चिप जैसी कम ऊर्जा उपयोग करने वाली योग्य सामग्री का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग हो सकता है। हालांकि, पारंपरिक अकार्बनिक अर्धचालकों की तुलना में कार्बनिक पदार्थ और हैलाइड पेरोव्स्काइट अभी भी विद्युत चालकता में पीछे है। इस कमी को डोपिंग के माध्यम से दूर किया जा सकता है, जिससे अधिक संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की चालकता में वृद्धि होगी। अन्य सेमीकंडक्टर या धातुओं के इंटरफेस पर चार्ज इंजेक्शन/एक्सट्रैक्शन के गुणों को नियंत्रित करने के लिए, इस प्रकार उपकरणों के प्रदर्शन में सुधार किया जा सकता है।

शोधकर्ताओं का अधिकांश ध्यान इलेक्ट्रॉनिक डोपेंट्स सिस्टम विकसित करने में रहा है जो अत्यधिक जटिल है। यह कार्बनिक व धातुई जटिलताओं पर आधारित है। यह डिवाइस के लंबे समय तक चलते रहने पर रोक लगाने वाली अशुद्धियों को हटा देती है। इस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक डोपिंग में अत्याधुनिक शोध को आगे ले जाने की जरूरत है।

डॉ. नायक ने कार्बनिक सेमीकंडक्टरों की अशुद्धियां जो इनकी विद्युत चालकता को बदल सकते हैं इनका पहला उदाहरण बताया है। जहां डोपेंट किसी भी तरह की अशुद्धियों को हटाते नहीं हैं और डोपेंट की मौजूदा श्रेणी से बेहतर काम करते हैं। उभरते हुए सोलर सेल तकनीकों के विकास को आगे बढ़ाने वाली सामग्री हैलाइड पेरोव्स्काइट्स में क्रिस्टलीकरण और डोपिंग की समझ को बढ़ाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह शोध ’नेचर मैटेरियल्स में प्रकाशित हुआ है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की स्वर्ण जयंती फेलोशिप के विजेता डॉ. नायक का लक्ष्य अब आण्विक उत्पादों (विशेष प्रकार के अनेक अणुओं से मिलकर बनी है, अणुओं की एक प्रजाति यानी मॉलिक्यूलर स्पेसीज) और विभिन्न प्रकार के चिप के सक्षम व स्वच्छ इलेक्ट्रॉनिक डोपिंग के लिए रेडिकल्स पर आधारित नए डोपिंग एजेंटों को विकसित करना है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इससे नये सिस्टम को तैयार करने में मदद मिलेगी जिनका प्रदर्शन पहले से कहीं बेहतर होगा।

उनकी टीम ने कार्बनिक और मेटल हैलाइड पेरोव्स्काइट सेमीकंडक्टरों के पी-टाइप और एन-टाइप इलेक्ट्रॉनिक डोपिंग के मेकेनिज्म की जांच की। इलेक्ट्रॉनिक संबंधी कमियों को दूर करने के लिए प्रक्रियाएं विकसित की जाएगी, जो अक्सर डिवाइस के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार होती हैं। टीम द्वारा विकसित नई डोपिंग विधियों और सामग्रियों का उपयोग अत्याधुनिक पेरोव्स्काइट और कार्बनिक-आधारित सोलर सेल्स प्रकाश उत्सर्जक उपकरणों और ट्रांजिस्टर और अलग-अलग संरचनाओं में उपयोग करने के लिए किया जाएगा।

नई डोपिंग विधियों और डोपेंट से नरम सेमीकंडक्टरों के डोपिंग में एक बड़े बदलाव की उम्मीद है क्योंकि इनसे अत्यधिक महंगे डोपेंट अणुओं पर हमारी निर्भरता खत्म हो जाएगी। डोपेंट की नई पीढ़ी अपनी दक्षता और स्थिरता में सुधार करके डिस्प्ले, सोलर सेल और बायो-इलेक्ट्रॉनिक्स में अगली क्रांति लाएगी। यह कम लागत वाले इलेक्ट्रॉनिक्स के व्यापक प्रयोग में अहम भूमिका निभाएगा।

डॉ. नायक ने बताया कि इन सभी संभावनाओं से सेमीकंडक्टर या चिप सामग्री के शोध और विकास में सुधार होगा, जो स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग से संचालित स्थायी सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।

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