भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित की नई सामग्री जो एलईडी को बनाएगी अधिक टिकाऊ व चमकदार

वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे अकार्बनिक नैनो सामग्री के प्लाज्मा ट्रीटमेंट खोजे हैं जो डायोड (एलईडी) को टिकाऊ तथा अधिक चमकदार प्रकाश देने में मदद करेगी।

By Dayanidhi

On: Sunday 23 October 2022
 

वर्तमान में डायोड (एलईडी) का उपयोग हर उस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में होता है जो रोशनी या चमक फैलाते हैं। आपके मोबाइल फोन, टीवी से लेकर बड़ी-बड़ी गाड़ियों में इसका उपयोग किया जाता हैं। मौजूदा डायोड (एलईडी) कम किफायती और टिकाऊ होते हैं।

अब भारतीय वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे अकार्बनिक नैनो सामग्री के प्लाज्मा ट्रीटमेंट खोजे हैं जो डायोड (एलईडी) को टिकाऊ तथा अधिक चमकदार प्रकाश देने में मदद करेगी। साथ ही यह डायोड (एलईडी) को और किफायती बनाएगा, जो भविष्य में सबसे बड़े प्रकाश के स्रोत हो सकते हैं।

आम तौर पर सामान्य उजाला करने वाले स्रोतों में किफायती और अधिक उजाला फैलाने वाले उत्सर्जक डायोड (एलईडी) की मांग होती है। लेकिन आवश्यकतानुसार टिकाऊपन और चमक हासिल करना उन वैज्ञानिकों के लिए चुनौती रही है, जो वैसी नई सामग्री की तलाश में हैं जो स्थिर है और चमकदार रोशनी उत्पन्न करने के साथ व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाए जा सकते हों।

सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) के वैज्ञानिकों ने पाया कि सीजियम लेड हैलाइड नैनोक्रिस्टल की अकार्बनिक सामग्री के आसान प्लाज्मा व्यवहार से कई गुना अधिक टिकाऊ हो सकता है। यह अधिक रोशनी फैलाने वाला और टिकाऊ एलईडी की कमी को पूरी कर सकता है। सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।

डॉ. प्रलय के. संतारा के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने अकार्बनिक पेरोव्स्काइट नैनो-क्रिस्टल में प्लाज्मा ट्रीटमेंट के माध्यम से टिकाऊपन में बढ़ोतरी की एक प्रणाली विकसित की है, जो उनकी रोशनी को बढ़ा सकता है। प्लाज्मा ट्रीटमेंट नैनोक्रिस्टल की सतह पर मौजूद कार्बनिक अणुओं, ओलेलैमिन के क्रॉस-लिंकिंग को आगे बढ़ाता है।

यह लिगैंड के एक मजबूत नेटवर्क का निर्माण करता है, बेहतर कैप्सूलीकरण और उच्च पीएल तीव्रता प्रदान करता है। यहां बताते चलें कि कैप्सूलीकरण का मतलब किसी चीज को बंद करने की क्रिया से है। इसके अलावा उन्होंने एक नया एप्लीकेशन भी विकसित किया है, जो गोपनीय डबल-लेयर सुरक्षा टैग बनाने के लिए प्लाज्मा ट्रीटमेंट की विधि का उपयोग करता है।

इस कार्य के निष्कर्षों को हाल ही में 'एसीएस एप्लाइड नैनो मैटेरियल्स' पत्रिका में प्रकाशित किया गया। उन्होंने बताया कि हमारी टीम अपनी इस खोज के सक्रिय रूप से तकनीक के व्यवसायीकरण के लिए भागीदारों की तलाश कर रही है।

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