बैठे ठाले: जीपीटी चाट भंडार

“इस चैट-जीपीटी से डर पढ़े-लिखे लोगों को है। हम अशिक्षित भक्त क्यों डरें”

By Sorit Gupto

On: Thursday 09 March 2023
 

सोरित / सीएसईअमेरिका के सेन फ्रांसिस्को स्थित पायनियर बिल्डिंग में जश्न का माहौल था। सैम अल्टमैन, एलन मास्क, ग्रेग ब्रोकमान जैसे दिग्गज और ओपनएआई के सारे स्टाफ डीजे की तेज आवाज पर नाच रहे थे। अचानक किसी ने सैम अल्टमैन से पूछा, “ हम सब नाच क्यों रहे है? ?”

सैम ने नाचते हुए जवाब दिया, “अरे बांगड़ू चैट-जीपीटी के लिए हम सब जश्न मना रहे हैं।”

पहले ने पूछा, “यह चैट-जीपीटी क्या होता है?”

एकाएक डीजे बंद हो गया। सभी थिरकते पावों जहां के तहां फ्रीज हो गए।

“इसको चैट-जीपीटी नहीं पता!”

इससे पहले बात आगे बढ़ती, सैम उस व्यक्ति को कंपनी के बोर्ड रूम ले गए, जहां चारों ओर सुपर कम्प्यूटर लगे थे। सैम ने कहा “मानवता अब आर्टिफिशियल लर्निंग के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। तुम कुछ भी इससे पूछो, तुम्हारे हर सवाल का जवाब इसके पास है।”

वह व्यक्ति बोला, “कम्प्यूटर जी यह रहा आपके लिए पहला सवाल, चवन्नी के लिए। सवाल है, बैंक से कोई लोन लेता है तो उस लोन को चुकाता कौन है?”

सवाल खत्म होने के पहले ही कम्प्यूटर की स्क्रीन पर उभरा, “जिसने लोन लिया है लोन उसी को चुकाना पड़ता है।”

उस व्यक्ति ने कहा, “एकदम गलत जवाब। बैंक से अगर कोई गरीब किसान हजार-दस हजार रुपए लोन लेता है तो उसे ऊंची ब्याज के साथ चुकाना पड़ता है, पर सत्ता का करीबी अगर बैंकों से लाख-दस लाख करोड़ के लोन लेता है तो खुद बैंक उस लोन को चुकाता है। कम्प्यूटर जी यह रहा आपके लिए दूसरा सवाल, पूरी अठन्नी के लिए। सवाल है पेड़ों को काटना अच्छा है या गलत?”

इस बार स्क्रीन पर बफरिंग वाली चकरी घूमने लगी। कुछ पल सोचने के बाद कम्प्यूटर बोला, “पेड़ काटना बुरी बात है, इससे पर्यावरण को हानि होती है।

“फिर गलत!” व्यक्ति बोला, “अगर मोहल्ले के पेड़ को ट्रिम भी करो तो पुलिस पकड़ लेगी पर मेट्रो शेड, हाइवे, खदान के नाम पर पूरा जंगल भी काट लो तो वह अच्छी बात है। कम्प्यूटर जी आप अच्छा नहीं खेल रहे हैं।

चलिए आपके लिए यह तीसरा सवाल, पूरे सवा रुपए के लिए। सवाल है, अगर कोई इंसान जिस पेड़ की डाल पर बैठा है, उसी डाल को काट रहा है तो क्या उसे क्या कहोगे?

कम्प्यूटर में उभरा, “कालिदास!”

“एक बार फिर गलत! कालिदास उसका पुराना नाम था। उसे अब भारतीय-मीडिया पुकारते हैं। जिस लोकतंत्र के बगैर स्वतंत्र मीडिया का अस्तित्व ही नहीं है, आज भारतीय मीडिया उसी लोकतंत्र को खत्म करने पर आमादा है। आपके लिए आखिरी सवाल पूरे दो रुपए का। सवाल है, कोर्ट में सुनवाई के वक्त न्यायाधीश के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या होती है?”

कम्प्यूटर बोला, “ किसी न्यायाधीश के लिए सबसे महत्वपूर्ण है न्याय!”

“ गलत-गलत-गलत! कोर्ट में सुनवाई के वक्त न्यायाधीश के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है पोस्ट रिटायरमेंट बेनेफिट।” उस व्यक्ति ने कहा और फिर सैम की ओर मुड़ कर बोला, “इस चैट-जीपीटी से डर पढ़े-लिखे लोगों को है। जब तक हम स्कूल के पैसे से धर्म-स्थान और मूर्तियां बनाते रहेंगे, जब तक देश में वैज्ञानिक, शिक्षकों से ज्यादा बाबाओं के आसपास भीड़ जमेगी तब तक आपका चैट-जीपीटी हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता।”

यह सुनते ही अचानक आसमान से फूल बरसने लगे। एक आलौकिक रोशनी चारों ओर फैल गई। वहां एक दिव्य-पुरुष अवतरित हुए और उन्होंने भक्त के हाथ को थामकर कहा, “हम तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हुए! ये पढ़े लिखों की दुनिया, ये अक्लमंदों की महफिल तेरे काम की नहीं, तुम्हारा स्थान तो स्वर्ग में है। मूर्खों के स्वर्ग में स्वागत है भक्त!”

कहा जाता है कि इस प्रकार चैट-जीपीटी के बुरी तरह से पिटने के बाद सैम अल्टमैन ने पायनियर बिल्डिंग के बाहर “जीपीटी-चाट भंडार” खोल लिया।

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