कागज और पेंसिल से बनाया पोर्टेबल हीटर, कर सकते हैं कई काम

भारतीय वैज्ञानिकों ने कागज और पेंसिल की मदद से एक छोटा पोर्टेबल हीटर बनाया है। इसका उपयोग ऐसे कार्यों में किया जा सकेगा, जिनमें कम तापमान की जरूरत होती है

By Shubhrata Mishra

On: Wednesday 31 July 2019
 
लचीले हीटर से हाथ की सिंकाई। फोटो: साइंस वायर

भारतीय वैज्ञानिकों ने कागज और पेंसिल की मदद से एक छोटा पोर्टेबल हीटर बनाया है। इसका उपयोग ऐसे कार्यों में किया जा सकेगा, जिनमें कम तापमान की जरूरत होती है। कागज-आधारित हीटर बनाने की यह तकनीक पुणे स्थित सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक्स विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने विकसित की है।

यह हीटर पेंसिल और नोटबुक के कागज के साथ एल्यूमीनियम फॉइल, तांबे के तार, ग्लास शीट, पेपर बाइंडिंग क्लिप और बैटरी को जोड़कर बनाया गया है। सबसे पहले,75 माइक्रोमीटर मोटाई के सामान्य कागज के दो इंच लंबे और डेढ़ इंच चौड़े टुकड़े कीएक सतह पर 9बी ग्रेड पेंसिल से गहरी शेडिंग की गई और फिर इस कागज को 0.2 सेंटीमीटर मोटी ग्लास शीटों के बीच रखा गया। फिर, इस प्लेट को एल्युमीनियम फॉइल और तांबे के तार द्वारा 5 वोल्ट वाले बैटरी परिपथ से जोड़ा गया। इस हीटरनुमा संरचना को दो बाइंडिंग क्लिपों की मदद से कसकर स्थिर किया था, ताकि एल्युमीनियम फॉइल और तांबे के तार का पेंसिल से बनी ग्रेफाइट मिश्रित परतों के बीच सही संपर्क स्थापित हो सके। हीटर में लगा कागज उसमें लेपित पेंसिल की ग्रेफाइट परत के कारण विद्युत प्रवाहित होने सेगर्म होने लगता है, जिससे ग्लास शीट गर्म हो जाती है। इस तरह यह संरचना हीटर की भांति काम करती है।

हीटर बनाने के लिए कागज और ग्लास शीट की जगह ओवरहेड प्रोजेक्टर की ट्रांसपेरेंसी शीट तथा धातु प्लेटों को भी उपयोगी पाया गया है। इस प्रकार बने पोर्टेबल हीटर में अधिकतम तापमान 60 डिग्री सेल्सियस तक होता है। जबकि, कागज से बने हीटर का अधिकतम तापमान 100 डिग्री तक पाया गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार, हीटर में एक कागजयाट्रांसपेरेंसी शीट कालगभग पंद्रह से ज्यादा बार उपयोग किया जा सकता है।

प्रमुख शोधकर्ता अमित मोरारका ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “लगभग218–246 डिग्री सेंटीग्रेडतापमान पर कागज जलने लगता है। इस पोर्टेबल हीटर में अधिकतम तापमान 100 डिग्री सेंटीग्रेड तक ही पहुंच पाता है, जिसके कारण इसमें कागज जलता नहीं है। इस हीटर का एक आसानी से मुड़ने वाला लचीला स्वरूप भी तैयार किया गया है, जिसका उपयोग शरीर में जोड़ों और मांसपेशियों की सिंकाई में किया जा सकता है। इस हीटर में कम वोल्टेज की बैटरी या डीसी विद्युतधारा का प्रयोग किया गया है, जिससे बिजली का झटका लगने का खतरा भी नहीं है।”

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह हीटर अनुसंधान प्रयोगशालाओं, जैवचिकित्सा और शारीरिक पेशियों की सिंकाईके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है। बैटरी से संचालित होने के कारण इसका इस्तेमाल दूरदराज के इलाकों में भी आसानी से किया जा सकता है। इसके अलावा, स्कूलों और कॉलेजों में विद्युत संबंधी नियमों को समझाने और प्रयोगों में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

हीटर बनाने की यह नई तकनीक पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ सुरक्षित, सस्ती और सरल है। यह शोधकरंट साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं में अमित मोरारका के अलावा डॉ. अदिति सी. जोशी शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)

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