वैज्ञानिकों ने ट्रॉपिकल फारेस्ट में खोजा नया एंटीबायोटिक

रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ट्रॉपिकल फारेस्ट में एक नए एंटीबायोटिक की खोज का दावा किया है जो कि "प्लांट प्रोबायोटिक" के विकास में मदद करता है ।

By Lalit Maurya

On: Wednesday 09 October 2019
 

रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम के साथ मिलकर मेक्सिको के ट्रॉपिकल फारेस्ट में एक नए एंटीबायोटिक की खोज का दावा किया है ।यह एंटीबायोटिक मिट्टी के जीवाणु द्वारा बनाया जाता है, जो कि "प्लांट प्रोबायोटिक" के विकास में मदद करता है । साथ ही पौधों के विकास के साथ अन्य एंटीबायोटिक को भी जन्म दे सकता है।गौरतलब है कि जिस तरह मनुष्य प्रोबायोटिक्स के अच्छे जीवाणुओं से लाभ उठा सकते हैं, उसी तरह कुछ जीवाणु पौधों के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं । यह उनके स्वास्थ्य और मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है, साथ ही पर्यावरण के लिए भी अच्छा होता है। यह महत्वपूर्ण जीवाणु नाइट्रोजन को एक ऐसे रूप में बदल देते हैं जिसे पौधे आसानी से उपयोग कर सकते है ।यह अध्ययन जर्नल नेचर कम्युनिकेशंस में छपा है । इस अध्ययन के एक सह-लेखक के अनुसार, फेज़ोलिसिन के रूप में जाना जाने वाला यह नया एंटीबायोटिक हानिकारक बैक्टीरिया को बीन पौधों की जड़ों में जाने से रोक सकता है।

इस शोध के वरिष्ठ लेखक कोंस्टेंटिन सेवरिनोव, जो कि वाक्समैन इंस्टीट्यूट में माइक्रोबायोलॉजी के एक प्रमुख अन्वेषक और रटगर्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज में आणविक जीव विज्ञान और जैव रसायन के प्रोफेसर हैं ने बताया कि "हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि यह जीवाणु 'प्लांट प्रोबायोटिक' के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि फेज़ोलिसिन हानिकारक बैक्टीरिया को पौधों की जड़ों में जाने से रोक सकता है" ।"मेडिसिन एवं कृषि दोनों ही क्षेत्रों में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए नयी एंटीबायोटिक दवाओं की निरंतर खोज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे भविष्य के एंटी-बैक्टीरियल एजेंटों के विकास में मददगार हो सकते हैं।"

पौधों के लिए कितना उपयोगी है यह एंटीबायोटिक

फेज़ोलिसिन पैदा करने वाला जीवाणु, राइजोबियम की एक अज्ञात प्रजाति हैजो कि लॉस ट्यूक्सलास, मैक्सिको के ट्रॉपिकल फारेस्ट में पायी जाने वाली जंगली सेम की जड़ों में पाया जाता है। जंगली सेम की इस प्रजाति को फेजोलस वल्गेरिस कहा जाता है। इसी पौधे के नाम पर इस एंटीबायोटिक का नाम 'फेज़ोलिसिन' रखा गया है। अन्य राइजोबिया की तरह, फेज़ोलिसिन-उत्पादक सूक्ष्म जीव भी बीन पौधों की जड़ों पर गांठ बनाते हैं और नाइट्रोजन के साथ मिलकर पौधे को मजबूती प्रदान करते हैं, जिससे वे दूसरों की तुलना में अधिक बेहतर तरीके से विकसित होते हैं। वहीं अन्य राइजोबिया के विपरीत, यह फेज़ोलिसिन पौधों को हानिकारक बैक्टीरिया से भी बचाता है।इस तरह यह एंटीबायोटिक अन्य पौधों जैसे मटर, चने, दाल, मूंगफली, सोयाबीन और अन्य फलीदार पौधों के लिए भी लाभदायक हो सकता है ।

बायोइंफॉर्मैटिक्स और कंप्यूटर के जरिये किये विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने फेज़ोलिसिन के अस्तित्व की पुष्टि कर दी है। उन्होंने इस एंटीबायोटिक की परमाणु संरचना का भी खुलासा किया है और दिखाया कि यह बैक्टीरिया किस तरह राइबोसोम को नियंत्रित कर सकता है। गौरतलब है कि राइबोसोम पौधे की कोशिकाओं में प्रोटीन उत्पादन करने फैक्ट्री कि तरह है। वैज्ञानिकों ने पाया कि वे राइबोसोम में परिवर्तन करके एंटीबायोटिक के प्रति संवेदनशीलता को संशोधित और नियंत्रित कर सकते हैं।

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