भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड का नहीं हो रहा प्रभावी उपचार, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

सीजीडब्ल्यूबी के पास देश में कुल 16 केमिकल लैबरोट्रीज हैं, इनमें से 10 लैब एनएबीएल से प्रमाणित हैं जहां हर साल करीब 27500 से 32500 तक पानी के नमूनों की जांच की जाती है। 

By Vivek Mishra

On: Thursday 22 February 2024
 
सिंचाई के दौरान बोरवेल के पानी को पीता किसान; फोटो: आईस्टॉक

देश के विविध इलाकों के भूजल में जहरीले आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या का प्रभावी निदान केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए ) की ओर से नहीं किया जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) ने 6 फरवरी को सीजीडब्ल्यूए की ओर से दाखिल एक जवाब को बेहद सामान्य जवाब माना है। एनजीटी ने कहा रिपोर्ट से लगता है कि सीजीडब्ल्यू की ओर से इस समस्या के निदान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। 

पीठ ने कहा कि यह प्राधिकरण की रिपोर्ट को स्पष्ट तौर पर यह बताना चाहिए कि किन स्थानों पर भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं या फिर वहां के लोगों को वैकल्पिक पेयजल मुहैया कराया जा रहा है।  

एनजीटी के चेयरमैन और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने एक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि देश के 25 राज्यों में 230 जिलों में आर्सेनिक मौजूद है जबकि 27 राज्यों के 469 जिलों में फ्लोराइड की समस्या मौजूद है। 

एनजीटी ने माना कि इन तत्वों का मानव शरीर पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है, बावजूद इसके केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने आर्सेनिक और फ्लोराइड रिमूवल प्लांट इन इलाकों में नहीं लगाए हैं।  पीठ ने सीजीडब्लूए को छह हफ्तों में दोबारा जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। 

पीठ ने गौर किया कि सीजीडब्ल्यूबी के पास देश में कुल 16 केमिकल लैबरोट्रीज हैं, इनमें से 10 लैब एनएबीएल से प्रमाणित हैं। इन 16 लैब के जरिए हर साल करीब 27500 से 32500 तक पानी के नमूनों की जांच की जाती है। यह लैब 15 प्रमुख केमिकल पैरामीटर्स की जांच करते हैं। इनमें पीएच, ईसी, कैल्सियम, मैग्नीशियम, टोटल हार्डनेस, सोडियम, पोटैशियम, आयरन, सीओ3, एचसीओ3, एसओ4, पीओ4 और हैवी ट्रेस एलीमेंट्स जैसे आयरन, मैग्नीज, कॉपर, कैडमियम, क्रोमियम, लेड, आर्सेनिक और यूरेनियम की आवश्यकतानुसार जांच करते हैं। 

वहीं, पीठ ने यह भी गौर किया कि दिल्ली में सैंपल टेस्टिंग सुविधा कुछ लैब में नहीं है, उन्हें टेस्टिंग किट खरीदने के लिए चार महीने का समय चाहिए। फिलहाल एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल, 2024 के लिए टाल दी है।  

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