डाउन टू अर्थ आवरण कथा: अल नीनो के बारे में जानें सब कुछ, कैसे करता है हम पर असर

विश्व मौसम संगठन ने 4 जुलाई, 2023 को अल नीनो की घोषणा की। अल नीनो एक गर्म चरण है, जो ग्लोबल वार्मिंग के कारण पहले से गर्म हो रही दुनिया को और भी ज्यादा गर्म कर सकता है

By Vivek Mishra, Akshit Sangomla

On: Saturday 26 August 2023
 

कई उच्चतम जलवायु आंकड़ों को पछाड़कर 2023 चरम घटनाओं का एक नया रिकॉर्ड वर्ष बन गया है। इस वर्ष जुलाई के शुरुआती दो हफ्तों में पृथ्वी इतनी गर्म हुई जितनी वह पिछले कम से कम एक लाख साल में कभी नहीं हुई थी। दुनिया के महाद्वीपों में जलवायु परिवर्तन के लगभग सभी भयंकर लक्षण दिखाई दिए। इसमें वैश्विक और क्षेत्रीय तापमान के सभी पुराने रिकॉर्ड धवस्त हो गए। दुनिया ने लंबे लू का दौर देखा। जंगल में भीषण आग की घटनाएं घटीं। विनाशकारी बाढ़ व भूस्खलन ने जान-माल को बर्बाद किया। एक तरफ समुद्री ताप और तटीय लू थी तो दूसरी तरफ अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ का सबसे कम विस्तार भी देखा गया। जलवायु परिवर्तन के इन सभी लक्षणों ने हमारे ग्रह को एक अबूझ क्षेत्र में तब्दील कर दिया है।

वातावरण में ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के कारण गर्म होते इस ग्रह को भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में पैदा होने वाली अल नीनो की स्थितियों ने और गर्म बनाना शुरू कर दिया है। सामान्य तौर पर अल नीनो न सिर्फ वैश्विक तापमान को बढ़ाता है बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में वर्षा में कमी भी लाता है।

विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ ) ने 4 जुलाई, 2023 को अल नीनो के शुरू होने की घोषणा इस चेतावनी के साथ की थी कि अल नीनो की अवस्था के दौरान जिस तरह से वातावरण गर्म समुद्री सतह के लिए प्रतिक्रिया करता है अभी वैसी स्थितियां पूरी तरह से बनी नहीं हैं।

अल नीनो की घटनाएं आमतौर पर उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ने वाली सर्दियों के महीनों में चरम पर होती हैं। इसके बावजूद तापमान के रिकॉर्ड टूट गए हैं और दुनिया भर में लू चल रही है। अमेरिका स्थित मेन यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट रीएनलाइजर प्रोजेक्ट के आंकड़ों के अनुसार, 3 जुलाई, 2023 को वैश्विक औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले वैश्विक औसत तापमान का उच्चतम रिकॉर्ड 1979 में था। 3 जुलाई, 2023 को रिकॉर्ड किया गया उच्चतम वैश्विक तापमान कितना गंभीर है, इसे ऐसे समझा जा सकता है कि यदि कोई आइसकोर, पेड़ के छल्लों और प्राचीन-जलवायु स्रोतों के तहत एकत्र किए गए आंकड़ों और उसके विश्लेषण से पुराने तापमान रिकॉर्ड को देखता है तो 1,00,000 साल से भी पहले पृथ्वी पर दैनिक तापमान इतना ही था।

जुलाई के ही महीने में उच्चतम वैश्विक औसत तापमान ने दूसरी और तीसरी बार रिकॉर्ड तोड़ दिया। एक दिन बाद ही 5 जुलाई, 2023 को वैश्विक औसत तापमान 17.18 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जबकि 6 जुलाई, 2023 को यह अपने उच्चतम वैश्विक तापामन 17.23 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। करीब 12 जुलाई, 2023 तक वैश्विक औसत तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही बना रहा। संभव है कि इस बीच दुनिया के सबसे 10 गर्म दिन का रिकॉर्ड भी स्थापित हुआ हो। 12 जुलाई, 2023 के बाद औसत वैश्विक तापमान में थोड़ी गिरावट आई लेकिन 15 जुलाई को फिर से पारा चढ़ गया। डब्ल्यूएमओ के मुताबिक, जुलाई का पहला सप्ताह सर्वाधिक गर्म सप्ताह के तौर पर रिकॉर्ड किया गया है।

इस बढ़े हुए तापमान ने दुनिया में और तीव्र होती गर्मी के अन्य लक्षणों को भी जन्म दिया है, जिनमें से सबसे स्पष्ट भूमि और महासागरों में चल रही लू है। 17 जुलाई तक दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिणी यूरोप के कई देश, फारस की खाड़ी, उत्तरी अफ्रीका और चीन में लू दर्ज की गई।

हिमाचल प्रदेश में इस बार कम समय में हुई तीव्र माॅनसूनी वर्षा विनाशकारी साबित हुई। पहाड़ों पर इस तरह की त्रासदी लगातार बढ़ रही है (फोटो: अकील खान)

अल नीनो की अनिश्चितता

डब्ल्यूएमओ के मुताबिक, इस बीच अल नीनो जो अल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) घटना का गर्म चरण है, उसका ओसियन नीनो इंडेक्स (ओएनआई) जून के मध्य में 0.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। अल नीनो की स्थिति में भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के एक विशिष्ट क्षेत्र में समुद्र के सतह का तापमान (एसएसटी) जिसे “नीनो3.4 क्षेत्र” के रूप में जाना जाता है, औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस या अधिक गर्म हो जाता है। इस तापमान मान को ओसियन नीनो इंडेक्स (ओएनआई) के रूप में भी जाना जाता है। यदि नीनो3.4 क्षेत्र में ओएनआई -0.5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम रहे तो वह ला नीना माना जाता है (देखें, अल नीनो व ला नीना की घोषणा)।

मौसम और जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र संगठन ने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों में अल नीनो के कारण समुद्री परिस्थितियों में बदलाव ओएनआई के साथ तेजी से हुआ है, जो फरवरी 2023 में -0.44 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर +0.47 डिग्री सेल्सियस हो गया है। जबकि मई 2023 और मध्य जून तक 0.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

डब्ल्यूएमओ ने कहा कि अल नीनो के बारे में कुछ अनिश्चितता अब भी बनी हुई है, क्योंकि समुद्री गर्मी के कारण वायुमंडल पर प्रभाव अभी भी अच्छी तरह से स्थापित नहीं हुआ है, जो अल नीनो के अस्तित्व के लिए आवश्यक है। डब्ल्यूएमओ ने एक मीडिया बयान में कहा, अनुमान है कि उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में पूरी तरह से स्थापित युग्मन देखने में लगभग एक महीने या उससे अधिक समय लगेगा।

स्रोत:  अमेरिकी एजेंसी नेशनल ओसिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए)। ग्राफिक: पुलाहा रॉय डब्ल्यूएमओ की मीडिया रिलीज में यह भी कहा गया है कि अल नीनो के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि, खराब मौसम और जलवायु पैटर्न में भी संभावित वृद्धि होगी। अतीत में अल नीनो की घटनाओं के कारण आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, भारत सहित दक्षिणी एशिया के कुछ हिस्सों, मध्य अमेरिका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका में गंभीर सूखा पड़ा है। हालांकि, अल नीनो का संबंध बढ़ी हुई वर्षा से भी है। खासतौर से दक्षिणी दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका, हॉर्न ऑफ अफ्रीका (सूडान, इरिट्रिया, इथियोपिया, जिबूती और सोमालिया सहित अफ्रीकी महाद्वीप के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र) और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में अल नीनो के कारण ज्यादा वर्षा दर्ज की गई है। अल नीनो मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में और अधिक तूफानों को बढ़ावा दे सकता है और अटलांटिक महासागर में तूफान के गठन को दबा भी सकता है। लेकिन वर्तमान अल नीनो ऐसे समय में घटित हो रहा है जब मानवीय गतिविधियों द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण ग्लोबल वार्मिंग के कारण औसत तापमान पहले से ही बढ़ गया है।

1.5 डिग्री सेल्सियस हो सकता है पार

मई, 2023 में डब्ल्यूएमओ ने एक रिपोर्ट जारी करके कहा कि 98 प्रतिशत संभावना है कि अगले पांच वर्षों में से कोई एक वर्ष अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा, जो 2016 में बनाए गए रिकॉर्ड को तोड़ देगा। 2016 में ग्लोबल वार्मिंग और अल नीनो का संयुक्त प्रभाव भी देखा गया था। डब्ल्यूएमओ के अनुसार, 66 प्रतिशत संभावना है कि वैश्विक वार्षिक औसत तापमान अस्थायी तौर पर 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाए। 1.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सीमित करने का लक्ष्य एक वैश्विक लक्ष्य है, जिसका आशय है कि 21वीं सदी में दुनिया का औसत वार्षिक तापमान इससे ज्यादा न बढ़ने पाए। मार्च 2023 में डब्ल्यूएमओ ने 50 प्रतिशत संभावना के साथ भविष्यवाणी की थी कि दुनिया का औसत वार्षिक तापमान अगले तीन वर्षों में 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर सकता है। पूर्व-औद्योगिक काल के औसत की तुलना में पृथ्वी पहले से ही 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है। वर्ष 2022 पूर्व-औद्योगिक काल के औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था। यह रिकॉर्ड तीन साल की ला नीना घटना के बावजूद था, जो आमतौर पर वैश्विक तापमान को नीचे लाती है।

32 प्रतिशत संभावना यह भी है कि 2023-2027 के लिए संयुक्त औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है। डब्ल्यूएमओ ने कहा कि औसत वार्षिक तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार करने की संभावना 2015 के बाद से लगातार बढ़ी है, जब यह लगभग शून्य थी। 2017-2021 में यह संभावना 10 प्रतिशत थी। औसत वार्षिक तापमान के 1.5 डिग्री सेल्सियस पार करने पर सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र आर्कटिक होगा, जहां तापमान विसंगतियां 1991-2020 के औसत की तुलना में 2023-2027 तक वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक होंगी। डब्ल्यूएमओ ने हाल ही में अपनी बेसलाइन अवधि को 1981-2010 से बदलकर 1991-2020 कर दिया है। वहीं, डब्ल्यूएमओ ने अफ्रीका, उत्तरी यूरोप, अलास्का और उत्तरी साइबेरिया जैसे क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि की भी भविष्यवाणी की है, जबकि आमतौर पर वर्षा से समृद्ध अमेजॉन क्षेत्र, इंडोनेशिया, मध्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में वर्षा में कमी के आसार हैं।

स्रोत:  अमेरिकी एजेंसी नेशनल ओसिएनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए)

वहीं, अल नीनो से जुड़ी हुईं ज्यादातर मौसम विसंगतियां और उसके गंभीर प्रभाव 2024 में महसूस किए जाएंगे। इसमें बढ़ा हुआ तापमान, लू, सूखे जैसी परिस्थितियां शामिल होंगीं। डब्ल्यूएमओ में जलवायु सेवा के निदेशक क्रिस हेविट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि अगले पांच वर्षों में हम पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर जाएंगे, क्योंकि यह समझौता कई वर्षों में दीर्घकालिक ताप को संदर्भित करता है।

क्रिस हेविट आगे कहते हैं कि यह एक और चेतावनी है या यूं कहें कि पहले से आगाह किया जा रहा है कि हम पेरिस में 2015 में तय किए गए लक्ष्यों के भीतर वार्मिंग को सीमित करने के लिए सही दिशा में नहीं जा रहे हैं। वहीं, डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालास ने कहा, अल नीनो की घोषणा दुनिया भर की सरकारों को यह संकेत देती है कि वह हमारे स्वास्थ्य, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और हमारी अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव को सीमित करने के लिए तैयारी करें। उन्होंने कहा जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चरम मौसम की घटनाओं के लिए जारी की गई प्रारंभिक चेतावनी और अग्रिम कार्रवाई दरअसल जीवन और आजीविका को बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।

दुनिया भर में बदले हुए वर्षा पैटर्न के साथ बढ़े हुए तापमान का मतलब लू, बाढ़ और उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी तीव्र चरम मौसम की घटनाएं कई बार हो सकती हैं। समुद्र के स्तर में वृद्धि, समुद्र का अम्लीकरण और दीर्घकालिक सूखा जैसे धीमी गति से होने वाले परिवर्तन भी आएंगे। तालास ने कहा, आने वाले महीनों में वार्मिंग को बढ़ाने वाले अल नीनो के विकसित होने की उम्मीद है और यह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के साथ मिलकर वैश्विक तापमान को अबूझ क्षेत्र में धकेल देगा। उन्होंने कहा, इसका स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और पर्यावरण पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। इसलिए हमें तैयार रहने की जरूरत है।

वहीं, भारत के लिए मौजूदा मॉनसून सीजन पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। अल नीनो के चलते भारत में कई बार सूखा पड़ा और माॅनसूनी वर्षा में कमी आई। वर्ष 2015, 2023 के समान एक विकासशील अल नीनो वर्ष था। इस वर्ष मॉनसून वर्षा में 14 प्रतिशत की कमी थी, जिससे 2015 एक सूखा साल घाेषित किया गया। 30 जून को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा था कि जून के अंत में तीन महीने का औसत ओएनआई 0.47 डिग्री सेल्सियस था और जुलाई के अंत तक 0.81 डिग्री सेल्सियस तक जाने की भविष्यवाणी की गई थी, इसलिए भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति स्थापित हुई। डब्ल्यूएमओ की क्लाइमेट सर्विसेज ब्रांच के रीजनल क्लाइमेट प्रीडक्शन डिवीजन के हेड विल्फ्रान मौफौमा-ओकिया जो जलवायु संबंधी घटनाओं पर नजर रखने वाले विभिन्न डब्ल्यूएमओ क्षेत्रीय केंद्रों की सहमति के आधार पर ईएनएसओ बुलेटिन तैयार करने के लिए जिम्मेदार हैं, डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि “भारत के मामले में यह महत्वपूर्ण नहीं है कि अल नीनो घोषित किया गया है या नहीं। यदि पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि सीजन के दौरान अल नीनो होने वाला है तो किसानों को परिणामों के लिए तैयार रहना चाहिए।”

 

आगे पढ़ें: डाउन टू अर्थ आवरण कथा: कितने महीने तक रहेगा अल नीनो का असर?

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