लोकसभा चुनाव 2024: क्या तीसरे चरण में गर्मी की वजह से कम हुआ मतदान?

डाउन टू अर्थ ने अपने विश्लेषण में पाया कि तीसरे चरण में लगभग आधे संसदीय क्षेत्रों में तापमान में वृद्धि और मतदान प्रतिशन में कमी का संबंध रहा

By Pulaha Roy

On: Saturday 18 May 2024
 

मॉनसून आने में अभी कुछ सप्ताह बाकी हैं और आम चुनाव 2024 जोरों पर हैं, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस चुनावी मौसम में तापमान में वृद्धि कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती है?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के पूरा होने के तुरंत बाद भारत के चुनाव आयोग ने भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों के साथ मतदाताओं को गर्मी से बचाने के उपायों पर चर्चा की, क्योंकि माना जा रहा था कि भारत में चुनाव के अगले चरणों में और गर्मी बढ़ने की पूरी उम्मीद है।

डाउन टू अर्थ ने मतदान के साथ गर्मी के संबंध का विश्लेषण किया है, ताकि मतदान प्रतिशत पर बढ़ते तापमान का असर देखा जा सके।

डाउन टू अर्थ ने देश के 542 संसदीय क्षेत्रों में से 60 प्रतिशत (327 निर्वाचन क्षेत्रों) में मतदान के तीसरे चरण के दिन यानी 7 मई, 2024 के तापमान की तुलना 30 साल के औसत (1981 से 2010) से की और पाया कि इस दिन यानी 7 मई का तापमान औसत से अधिक रहा।

मई के पहले सप्ताह में मॉनसून पूर्व बारिश के कारण देश का पूर्वी भाग तीसरे चरण के मतदान के समय अपेक्षाकृत ठंडा था। इसके विपरीत, उत्तर-पश्चिमी, पश्चिमी और दक्षिणी निर्वाचन क्षेत्र 30 साल के औसत की तुलना में अधिक गर्म थे।

डाउन टू अर्थ ने तीसरे चरण में 93 निर्वाचन क्षेत्रों में हुए मतदान के साथ तापमान के आंकड़ों की तुलना की। विश्लेषण में स्पष्ट रूप से बढ़ते तापमान और मतदान पर इसके विपरीत प्रभाव के साथ कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया। इसलिए कहीं-कहीं निष्कर्ष गलत भी हो सकता है।

उदाहरण के लिए, दक्षिणी महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक के ज्यादातर निर्वाचन क्षेत्रों में औसत तापमान में वृद्धि दर्ज की गई थी, जिसका अर्थ कम मतदाता मतदान होना चाहिए था, लेकिन परिदृश्य इसके ठीक विपरीत था।

हालांकि, तीसरे चरण के दौरान मतदान करने वाले 93 निर्वाचन क्षेत्रों में से 43 में तापमान में वृद्धि और मतदान में कमी के बीच सीधा संबंध पाया गया।

इससे पहले डाउन टू अर्थ ने बताया था कि मतदान के पहले चरण के दौरान दक्षिण में इंडो-गंगा के मैदान और रायलसीमा क्षेत्र में तापमान में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जबकि राजस्थान के बाड़मेर, जालौर, पाली, राजसमंद और भीलवाड़ा जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में पारा गिरा। हालांकि, इन इलाकों में पारा गिरने के बावजूद मतदान अधिक नहीं हुआ।

दूसरे चरण में, डाउन टू अर्थ ने फिर से कर्नाटक के निर्वाचन क्षेत्रों में तापमान में गिरावट और कुल मतदान के बीच विपरीत संबंध पाया।

विश्लेषण से पता चला कि पहले चरण में मतदान करने वाले 102 निर्वाचन क्षेत्रों में से 87 और दूसरे चरण के दौरान मतदान करने वाले 89 में से 53 ने तापमान में वृद्धि और कुल मतदान में कमी के बीच सीधा संबंध रहा।

 

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