मई में भी जारी रहेगा गर्मी का कहर, देश के कई हिस्सों में तापमान के सामान्य से अधिक रहने के आसार

मई के दौरान, पश्चिम मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों और उत्तर-पूर्वी भारत के उत्तरी हिस्सों में अधिकतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है

By Lalit Maurya

On: Saturday 30 April 2022
 

मई के महीने में भी गर्मी से राहत मिलने की कोई सम्भावना नहीं है और गर्मी का कहर इसी तरह जारी रहेगा। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा मई के लिए जारी पूर्वानुमान से पता चला है कि देश के कई हिस्सों में मई के दौरान तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। पता चला है कि इस बार मई में गुजरात, राजस्थान, पजांब और हरियाणा को सामान्य से अधिक तापमान का सामना करना होगा।

आईएमडी ने सम्भावना जताई है कि मई के दौरान, पश्चिम मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों और उत्तर-पूर्वी भारत के उत्तरी हिस्सों में अधिकतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं देश के अन्य हिस्सों में अधिकतम तापमान के सामान्य या सामान्य से कम रहने की सम्भावना जताई गई है।

विज्ञप्ति के मुताबिक यदि न्यूनतम तापमान की बात करें तो मई के दौरान, उत्तर-पश्चिम, मध्य, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के अधिकांश हिस्सों में उसके सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। वहीं दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत और सुदूर उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में न्यूनतम तापमान, सामान्य या सामान्य से कम रह सकता है।

देश में गर्मी की स्थिति कितनी विकट हो गई है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और विदर्भ के अधिकांश हिस्सों में पारा 44 से 47 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। ऐसी ही स्थिति देश के कई अन्य राज्यों में भी है। गौरतलब है कि शुक्रवार को यूपी के बांदा में पारा 47.4 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था। 

सामान्य से ज्यादा हो सकती है मई में बारिश

यदि बारिश को लेकर जारी किए पूर्वानुमान को देखें तो मई 2022 के दौरान देश भर में बारिश का औसत सामान्य से अधिक  रहने की संभावना है। अनुमान है कि यह लम्बी अवधि के औसत (एलपीए) से 109 फीसदी अधिक रह सकती है। अनुमान है कि उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश होने की सम्भावना है। वहीं दक्षिणपूर्व प्रायद्वीप में इसके सामान्य से नीचे रहने की संभावना है।

आईएमडी ने लू को लेकर जो जानकारी साझा की है उसके अनुसार देश के पूर्वी हिस्से में 30 अप्रैल तक हीटवेव का कहर जारी रहेगा जबकि उसके बाद इसका असर कुछ कम हो जाएगा। वहीं यदि उत्तर पश्चिम और मध्य भारत को देखें तो वहां लू की स्थिति 02 मई तक बनी रहेगी।

पता चला है पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों और विदर्भ के कई हिस्सों में लू की स्थिति बनी हुई है। इसके साथ ही हरियाणा चंडीगढ़-दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ जम्मू के पश्चिमी हिस्सों में लू चल रही है। वहीं पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंतरिक ओडिशा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तरी राजस्थान, पंजाब, मध्य महाराष्ट्र और कच्छ में भी स्थिति पहले जैसी ही है।

हाल ही में देश में पड़ती भीषण गर्मी को लेकर डाउन टू अर्थ ने एक विश्लेषण किया था जिसके अनुसार 2022 की शुरुआत से ही हीट वेव यानी लू के थपड़े 11 मार्च से शुरू हो गए थे, जो 24 अप्रैल तक 2022 को 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी चपेट में ले चुके हैं।

जलवायु में आते बदलावों को नहीं किया जा सकता अनदेखा

इतना ही नहीं आईएमडी के अनुसार देश के उत्तर-पश्चिम और मध्य हिस्सों में इस साल अप्रैल का महीना पिछले 122 वर्षों में सबसे अधिक गर्म था। जहां औसत अधिकतम तापमान 37.78 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इस बारे में आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने जानकारी दी है कि अप्रैल में देश का औसत तापमान 35.05 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जोकि 122 वर्षों के इतिहास में चौथा मौका है जब तापमान इतना ज्यादा दर्ज किया गया है।

इससे पहले मार्च में भी तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच आया था। जब देश का औसत अधिकतम तापमान 33.10 डिग्री दर्ज किया गया था। मतलब की तापमान औसत से 1.86 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। देखा जाए तो तापमान में होती यह वृद्धि वैश्विक औसत तापमान में होती वृद्धि से भी ज्यादा है। जो स्पष्ट करती है कि भारत का तापमान वैश्विक औसत तापमान से भी कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।

जलवायु में आते बदलावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय रेटिंग फर्म एसएंडपी ग्लोबल द्वारा जारी रिपोर्ट से पता चला है कि इसके चलते देश की जीडीपी में अगले 28 वर्षों में 15 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। इतना ही नहीं इसके चलते भारत में 62 फीसदी कृषि को आने वाले समय में पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिसका सीधा असर स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और लोगों की आय पर पड़ेगा।

ऐसे में जलवायु में आते इन बदलावों को और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हमें इस बढ़ते खतरे को पहचानना होगा और इसके लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि हमारा कल हमारे आज के फैसलों पर निर्भर करेगा।   

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