संसद में आज: 2022 में उत्तराखंड में सबसे ज्यादा लू या हीट वेव की घटनाएं घटी

पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय और नागालैंड में हाल के 30 वर्षों की अवधि (1989 से 2018) के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी वर्षा में भारी गिरावट देखी गई है।

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Wednesday 07 December 2022
 

लोकसभा में प्रस्तुत चरम मौसम के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 45 मामलों की तुलना में 2022 में 240 तूफान आए। यह आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया।

राज्यवार हीट वेव या लू के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में 2022 में सबसे अधिक लू या हीट वेव की घटनाएं घटी।

सिंह ने कहा कि आईएमडी ने हाल के वर्षों में नवीनतम उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के आधार पर मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के प्रसार में सुधार के लिए कई पहल की हैं।

वर्षा पैटर्न में बदलाव

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान हाल के 30 वर्षों (1989 से 2018) के आईएमडी के आंकड़ों के अवलोकन के आधार पर राज्य और जिला स्तरों पर 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में देखी गई मॉनसून वर्षा परिवर्तनशीलता का विश्लेषण किया है। 30 मार्च 2020 को एक रिपोर्ट जारी की गई थी, यह आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में  बताया। सिंह ने कहा पांच राज्यों, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय और नागालैंड में हाल के 30 वर्षों की अवधि (1989 से 2018) के दौरान दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी वर्षा में भारी गिरावट देखी गई है।

कुपोषण से संबंधित बीमारियां मौत का कारण बन रही हैं

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट और डाउन टू अर्थ पत्रिका के मुताबिक, 71 प्रतिशत भारतीय पौष्टिक भोजन का खर्च नहीं उठा सकते हैं। खराब आहार के कारण होने वाली बीमारियों के कारण हर साल 17 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। इस रिपोर्ट को लेकर आज महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने राज्यसभा में बताया कि मंत्रालय को इस बात की जानकारी नहीं है। ईरानी ने कहा कि घरेलू स्तर पर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को सरकार द्वारा रियायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा तक पहुंच सुनिश्चित करके हल किया गया है। इसके अलावा, कोविड महामारी के दौरान भी, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया गया।

बच्चों में कुपोषण की स्थिति

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एनएफएचएस-4 (2015-16) की तुलना में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पोषण में सुधार हुआ है। जहां बौनापन 38.4 फीसदी से घटकर 35.5 फीसदी हो गई है, कमजोरपन 21.0 फीसदी से घटकर 19.3 फीसदी हो गई है और कम वजन 35.8 फीसदी से घटकर 32.1 फीसदी हो गया है, इस बात की जानकारी आज महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने राज्यसभा को दी।

दिल्ली/एनसीआर में दस साल पुरानी डीजल कारों को नष्ट करना

भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डब्ल्यूपी संख्या 13029/1985 (एमसी मेहता बनाम भारत संघ) में दिनांक 29.10.2018 के आदेश के द्वारा एनसीआर के परिवहन विभागों को निर्देश दिया है कि 10 वर्ष से अधिक पुराने सभी डीजल वाहन और एनजीटी के आदेश दिनांक 07.04.2015 के अनुसार पेट्रोल से चलने वाले 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को नहीं चलाया जा सकता है, यह आज सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्यसभा में बताया।

इलेक्ट्रिक वाहन (ईवीएस) और इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन

देश में इलेक्ट्रिक और बैटरी पर्यावरण के अनुकूल वाहनों के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने पैन इंडिया के आधार पर 2015 में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया) योजना शुरू की। जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और वाहनों के उत्सर्जन के मुद्दों को हल करने के लिए यह योजना लागू की गई। वर्तमान में, फेम इंडिया योजना का चरण-द्वितीय 1.5.2019 से पांच वर्षों की अवधि के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है। 01 अप्रैल, 2019 से कुल 10,000 करोड़ रुपये बजटीय समर्थन के साथ शुरू किया गया।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि यह चरण सार्वजनिक और साझा परिवहन के विद्युतीकरण का समर्थन करने पर आधारित है।

इंटरनेट से नहीं जुड़े गांवों की संख्या

दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी), दूरसंचार क्षेत्र इकाई विभाग और राज्य सरकार द्वारा मार्च 2022 तक उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 6,44,131 गांवों में से (गांव नवंबर 2019 तक भारत के महारजिस्ट्रार के आंकड़ों के अनुसार हैं) देश में लगभग 6,05,230 गांवों में मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी है और 38901 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी नहीं है। इस बात की जानकारी आज संचार राज्य मंत्री देवसिंह चौहान ने लोकसभा को दी।

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