उत्तर भारत में क्यों जारी है सर्दी और कोहरे का कहर, आईएमडी ने बताई वजह

मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर भारत में पड़ती भीषण सर्दी और कोहरे के लिए मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम भारत में किसी भी पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय न होना और जेट स्ट्रीम जिम्मेवार है

By Lalit Maurya

On: Friday 19 January 2024
 
भीषण सर्दी में आग के सामने बैठ अपने आप को गर्म रखने का प्रयास करते स्थानीय; फोटो: आईस्टॉक

29 दिसंबर के बाद से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से लगातार पांच से आठ डिग्री सेल्सियस कम बना हुआ है। इसके चलते पूरा उत्तर भारत भीषण सर्दी से ठिठुर रहा है। यह सही है कि सात से आठ जनवरी के बीच इसमें थोड़ी राहत जरूर मिली।

वहीं आठ जनवरी के बाद पश्चिमी विक्षोभ के चलते तापमान कुछ समय के लिए सामान्य जरूर हो गया। हालांकि इसके बावजूद उत्तर पश्चिम भारत के कई स्टेशनों पर 12 से 17 जनवरी के बीच न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया।

इन हड्डियां गला देने वाली सर्दियों के साथ-साथ एक और चीज है जो उत्तर भारत के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है और वो है घना कोहरा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक 25 दिसंबर 2023 से उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में लगातार भारी कोहरा छाया हुआ है, जो 14 जनवरी को अपने चरम पर पहुंच गया था।

मौसम विभाग के मुताबिक उस दिन, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार में अमृतसर से डिब्रूगढ़ तक फैले पूरे उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दृश्यता शून्य तक पहुंच गई थी। आईएमडी ने इसके लिए तीन कारकों को मुख्य रूप से जिम्मेवार माना है। इसमें सबसे प्रमुख कारक है उत्तर-पश्चिम भारत में किसी भी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ (डब्ल्यूडी) का न होना।

इस बारे में मौसम विभाग द्वारा साझा जानकारी के मुताबिक उत्तर भारत में पड़ती इस भीषण सर्दी और कोहरे के लिए मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम भारत में किसी भी पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय न होना जिम्मेवार है।

आमतौर पर साल के इस समय में दिसंबर से जनवरी के बीच पांच से साथ पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित करते हैं। लेकिन इस साल सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की ऐसी कोई भी गतिविधि देखने को नहीं मिली है। हालांकि दिसंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच देश को दो पश्चिमी विक्षोभों ने प्रभावित जरूर किया था, इसमें से एक दिसंबर में जबकि दूसरा जनवरी में सामने आया था। लेकिन उनका प्रभाव मुख्य रूप से गुजरात, उत्तरी महाराष्ट्र, पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश तक ही सीमित था।

इसी का नतीजा था कि दिसंबर 2023 के महीने में पश्चिमी हिमालय के क्षेत्रों में बहुत कम बारिश या हिमपात देखा गया, जो कि क्षेत्र में सामान्य से करीब 80 फीसदी कम रहा। इसी तरह, जनवरी के दौरान 17 तारीख तक क्षेत्र में बारिश करीब-करीब न के बराबर रही।

इसके लिए कहीं न कहीं अल-नीनो भी जिम्मेवार है। मौसम विभाग के अनुसार साल के इस समय में किसी भी पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय न होने को भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ऊपर बनी अल-नीनो की परिस्थितियों से भी जोड़ा जा सकता है। आमतौर पर अल-नीनो वर्षों में उत्तर भारत में शीत लहर के दिन कम होते हैं, जो दिसंबर और जनवरी में शीत लहर के दिनों की कम संख्या से भी स्पष्ट होता है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मौसम से जुड़ी अल नीनो और ला नीना की घटनाओं को आमतौर पर अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) के नाम से जाना जाता है। यह दोनों ही घटनाएं प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में होने वाले बदलावों से जुड़ी हैं। जहां अल नीनो तापमान में होने वाली वृद्धि से जुड़ा है, वहीं ला नीना तापमान में आने वाली गिरावट को दर्शाता है।

इससे पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने आशंका जताई थी कि मौजूदा अल नीनो की घटना अप्रैल 2024 तक जारी रह सकती है। इससे न केवल मौसम के मिजाज पर असर पड़ेगा साथ ही जमीन और समुद्र दोनों के तापमान में वृद्धि होगी।

डब्ल्यूएमओ ने इस बात की भी आशंका जताई थी कि अल नीनो के कारण 2024 में भी चरम मौसमी घटनाओं में इजाफा हो सकता है। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में अल नीनो और जलवायु परिवर्तन की वजह से वैश्विक तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

पांच दिनों तक उत्तर भारत को नहीं मिलेगी सर्दी से राहत

आईएमडी का कहना है कि इसमें जेट स्ट्रीम की भी भूमिका रही है। पिछले पांच दिनों से उत्तर भारत में समुद्र तल से करीब 12 किलोमीटर की ऊंचाई पर 250 से 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली शक्तिशाली जेट स्ट्रीम चल रही है।

इन शक्तिशाली हवाओं के प्रभाव से पूरे उत्तर भारत में सर्द हवाएं चल रही हैं, इससे ठंड और शीत लहर का कहर बढ़ रहा है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस जेट स्ट्रीम की रफ्तार अगले पांच दिनों तक इसी तरह बनी रहेगी, जिससे इस क्षेत्र में सर्दी का कहर जारी रहने की आशंका है।

वहीं 18 से 31 जनवरी के लिए मौसम विभाग ने जो ताजा अपडेट जारी किया है उसके मुताबिक उत्तर भारत में अभी सर्दी और कोहरे के कहर से राहत नहीं मिलेगी। आईएमडी के अनुसार 21 जनवरी 2023 तक उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में गंभीर शीतलहर का खतरा बना रहेगा। आशंका है कि 18 से 19 जनवरी 2024 के दौरान पंजाब और हरियाणा में भीषण शीत लहर का कहर जारी रह सकता है। इसी तरह 20 और 21 जनवरी को भी शीत लहर चल सकती है।

वहीं अनुमान है कि 18 और 19 जनवरी यानी आज हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में शीत लहर की स्थिति बनी रहेगी। वहीं 20 और 21 जनवरी को उत्तरी राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शीत लहर चल सकती है। वहीं अगले दो दिनों के दौरान हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाला पड़ने की भी आशंका जताई गई है।

इसी तरह पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के कुछ हिस्सों में 18 जनवरी की रात से 20 की सुबह के कुछ घंटों में घना से बहुत घना कोहरा छाए रहने की आशंका है, वहीं 21 से 23 जनवरी की सुबह में राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में घना कोहरा रह सकता है। 18 से 23 के बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी कोहरे की ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी।

डाउन टू अर्थ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर और जनवरी में बारिश और बर्फबारी न होने से हिमालयी राज्यों में संकट बढ गया है। जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में बर्फ की चादर नहीं बिछी। विंटर गेम्स का इंतजार कर रहे चमोली के औली में बर्फ की जगह सूखे मैदान नजर आ रहे हैं। इसी तरह सर्दियों की गर्माहट से जंगल में आग का संकट बढ़ गया है।

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