चौमास कथा: जब वर्षा शुरू होती है

मानसून पर डाउन टू अर्थ, हिंदी के विशेष संस्करण अबूझ चौमासा की खास पेशकश, सुप्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह की कविता-

By Kedarnath Singh

On: Friday 12 August 2022
 

जब वर्षा शुरू होती है
कबूतर उड़ना बंद कर देते हैं
गली कुछ दूर तक भागती हुई जाती है
और फिर लौट आती है
मवेशी भूल जाते हैं चरने की दिशा
और सिर्फ़ रक्षा करते हैं उस धीमी गुनगुनाहट की
जो पत्तियों से गिरती है
सिप् सिप् सिप् सिप्...
जब वर्षा शुरू होती है
एक बहुत पुरानी-सी खनिज गंध
सार्वजनिक भवनों से निकलती है
और सारे शहर पर छा जाती है
जब वर्षा शुरू होती है
तब कहीं कुछ नहीं होता
सिवा वर्षा के
आदमी और पेड़
जहाँ पर खड़े थे वहीं पर खड़े रहते हैं
सिर्फ़ पृथ्वी घूम जाती है उस आशय की ओर
जिधर पानी के गिरने की क्रिया का
रुख़ होता है।

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