आकाशीय बिजली ने बनाया नया विश्व रिकॉर्ड, दर्ज की गई 768 किलोमीटर लम्बी चमक

‘मेगाफ्लैश’ की यह घटना 29 अप्रैल 2020 को दक्षिण अमेरिका में दर्ज की गई थी जब आकाशीय बिजली की एक चमक 768 किलोमीटर लम्बी थी, जबकि दूसरी घटना में चमक लगातार 17.1 सेकंड तक रिकॉर्ड की गई थी

By Lalit Maurya

On: Wednesday 02 February 2022
 

आकाश में चमकने वाली बिजली हमेशा से ही कौतूहल का विषय रही हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि बिजली की यह चमक कितनी लम्बी और कितनी देर तक दिख सकती है? इस पर हाल ही में  विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी नए रिकॉर्ड से पता चला है कि वर्ष 2020 में आकाशीय बिजली की इन घटनाओं दो नए विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए थे।

इनमें से पहला रिकॉर्ड 29 अप्रैल 2020 को दक्षिण अमेरिका में दर्ज किया गया था जब आकाशीय बिजली के चमक की क्षैतिज दूरी 768 ± 8 किलोमीटर दर्ज की गई थी। यह दुनिया भर में बिजली की अब तक की सबसे लम्बी एकल चमक है। यह चमक कितनी लम्बी थी इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इस चमक की कुल लम्बाई लंदन से जर्मन शहर हैम्बर्ग के बीच की कुल दूरी के बराबर थी। 

गौरतलब है कि इससे पहले बिजली की सबसे लम्बी चमक का विश्व रिकॉर्ड 31 अक्टूबर 2018 को दक्षिणी ब्राजील में दर्ज किया गया था, जब बिजली एक चमक 709 ± 8 किलोमीटर लम्बी थी। देखा जाए तो यह नया रिकॉर्ड पिछले रिकॉर्ड की तुलना में 60 किलोमीटर अधिक है। 

इसी तरह दूसरा रिकॉर्ड 18 जून 2020 को उरुग्वे और उत्तरी अर्जेंटीना में दर्ज किया गया था जब गरज के साथ बिजली की चमक लगातार 17.1 सेकंड तक दर्ज की गई थी। यह अब तक सबसे देर तक दिखने वाली बिजली की एकल चमक है। इससे जुड़ी पूरी जानकारी 01 फरवरी 2022 को बुलेटिन ऑफ अमेरिकन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुई है। 

इससे पहले आकाशीय बिजली की सबसे देर तक दिखने वाली मेगा चमक का रिकॉर्ड 4 मार्च 2019 को उत्तरी अर्जेंटीना में दर्ज किया गया था। जब बिजली चमकने की एक घटना लगातार 16.73 सेकंड लंबी थी। देखा जाए तो बिजली की चमक का यह नया विश्व रिकॉर्ड उससे करीब 0.37 सेकंड ज्यादा लम्बा है। इससे पहले 30 अगस्त, 2012 को फ्रांस के एक प्रोवेंस एल्प्स-कोटे डी' अजुर में बिजली की एक चमक लगातार 7.74 सेकंड तक देखी गई थी|

इसके आलावा जो बिजली गिरने की चरम घटनाएं दर्ज की गई हैं उनमें 1975 की ज़िम्बाब्वे की एक घटना शामिल है जिसमें बिजली गिरने से 21 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह मिस्र के द्रोंका में 1994 के दौरान आयल टैंकर पर बिजली गिरने की एक घटना में 469 लोग मारे गए थे। 

इस बारे में डब्ल्यूएमओ के वेदर एंड क्लाइमेट एक्सट्रीम विषय के प्रोफेसर रान्डेल सर्वेनी का कहना है कि बिजली की चमक की यह घटनाएं अपने आप में असाधारण हैं। यह प्राकृतिक घटनाएं प्रकृति की असीमित शक्ति को भी दर्शाती हैं। साथ ही यह इस बात को भी दर्शाता है कि यह अभी भी अपने चरम पर नहीं पहुंची हैं।

एक अन्य शोध से पता चला है कि 2020 में लॉकडाउन के दौरान आकाशीय बिजली गिरने का सिलसिला 8 फीसदी तक घट गया था। शोधकर्ता इसके लिए वायु प्रदूषण में आई गिरावट को वजह मान रहे हैं। 

गौरतलब है कि आकाशीय बिजली की चमक की इन घटनाओं को जिन्होंने रिकॉर्ड बुक में अपनी जगह बनाई है, उन्हें वैज्ञानिक रूप से 'मेगाफ्लैश' के नाम से जाना जाता है| वहीं सैकड़ों किलोमीटर लम्बी इन आकाशीय बिजली की चमक को हॉरिजॉन्टल मेसोस्केल लाइटनिंग डिस्चार्जेस के रूप में परिभाषित किया गया है|

भारत में 2020 के दौरान बिजली गिरने की घटनाओं में मारे गए थे 2,862 लोग

वहीं डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस का कहना है कि आकाशीय बिजली की यह घटनाएं एक बड़ा खतरा हैं जो हर साल कई लोगों की जान ले लेती है। यदि अकेले भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2020 में बिजली गिरने की घटनाओं में 2,862 लोग मारे गए थे, जबकि 2018 में मरने वालों का आंकड़ा 2,357 था।

वहीं 2019 में यह आंकड़ा 2,876 दर्ज किया था। वास्तव में देखा जाए तो भारत में बिजली गिरने की घटनाएं मौसमी की चरम आपदाओं की तुलना में कहीं ज्यादा लोगों की जान ले रही हैं। 

लाइटनिंग रेजिलिएंट इंडिया कैंपेन (एलआरआईसी) द्वारा भारत में हाल ही में बिजली गिरने की घटनाओं पर जारी दूसरी वार्षिक रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि 01 अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 के बीच देश में बिजली गिरने की 1.85 करोड़ घटनाएं दर्ज की गईं थी, जोकि पिछले साल की तुलना में करीब 34 फीसदी ज्यादा है। गौरतलब है कि इससे पहले 01 अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 के बीच बिजली गिरने की 1.38 करोड़ घटनाएं दर्ज की गई थी। 

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