मॉनसून का पीछा : 81 फीसदी भारत में बारिश की कमी, जानिए बीते साल से कितना अलग है इस साल का मॉनसून

2022 मॉनसून की तुलना में 2023 के मॉनसून में बहुत कम वर्षा वाले सबडिवीजन ज्यादा हैं

By Pulaha Roy

On: Thursday 15 June 2023
 
Photo: iStock.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने 8 जून, 2023 को भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन और शुरुआत की घोषणा की। आईएमडी के अब तक कुल 36 सबडिवीजन में से कुछ 29 (81 प्रतिशत) उपखंडों ने मॉनसूनी वर्षा में कम (डिफिशिएंट) से बहुत कम (लार्ज डिफिशिएंट) वाली वर्षा दर्ज की है।  

राज्यों और जिलों की प्रशासनिक सीमाओं के विपरीत मौसम संबंधी उपखंडों को जलवायु पैटर्न में उनकी समानता पर विचार करने के बाद सीमांकित किया जाता है। मिसाल के तौर पर मुंबई महाराष्ट्र के अंतर्गत आता है जबकि इस क्षेत्र की जलवायु कोंकण तट के समान है (जैसा कि मानचित्र में दिखाया गया है)।

जैसा कि मानचित्र में दर्शाया गया है, भारत के बड़े हिस्से में 'कम' से लेकर 'बहुत कम' वर्षा देखी जा रही है, जिसका अर्थ है कि मॉनसून की शुरुआत कमजोर रही है। वहीं, आईएमडी ने चार दिनों के त्रुटि के साथ मॉनसून के बारे में 4 जून, 2023 को सटीक शुरुआत की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, स्काईमेट जो कि एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी है उसने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की प्रगति को धूमिल होने का संकेत दिया था।

स्काईमेट ने 6 जुलाई, 2023 तक अपर्याप्त वर्षा की भविष्यवाणी की है। क्या इसका मतलब यह है कि मॉनसून वर्तमान में रुका हुआ है?

यूनाइटेड किंगडम में युनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के जलवायु वैज्ञानिक अक्षय देवरस के मुताबिक मॉनसून के उत्तर की ओर बढ़ने के लिए, भारत में गर्मियों की शुष्क हवा को दक्षिण की ओर से आने वाली नम हवा से बदलना पड़ता है - जो मॉनसून परिसंचरण द्वारा लायी जाती हैं। 

देवरस ने कहा, "वर्तमान में, मॉनसूनी हवाएं कमजोर हैं इसलिए  शुष्क हवा देश के ऊपर मजबूती से बनी हुई है।" देवरस ने कुछ और कारकों के संयोजन की ओर भी इशारा किया। उनके मुताबिक बंगाल की खाड़ी में कम दबाव प्रणाली और अल नीनो के प्रभाव जैसी अनुकूल अंतर-मौसमी गतिविधि की कमी मॉनसून की सुस्त शुरुआत के पीछे के कारण हैं। उन्होंने कहा, "भारत के दक्षिणी, मध्य पूर्वी और पूर्वोत्तर भागों में भारी कमी स्पष्ट रूप से मॉनसून की सुस्त प्रगति को दर्शाती है।"

एल नीनो उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में जलवायु पैटर्न का गर्म चरण है जिसे एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) कहा जाता है।

डाउन टू अर्थ ने 2022 और 2023 के मॉनसून की प्रगति की तुलना की। इसके मुताबिक 2022 और 2023 में मॉनसूनी वर्षा में कमी का पैटर्न पहली नजर में एक जैसा दिखता है। हालांकि, सबडिवीजनल आंकड़े का एक बारीक विश्लेषण इनमें विरोधाभास दिखाता है। 

यदि सबडिवीजनल डेटा के बारीक विश्लेषण के आधार पर 2022 और 2023 मॉनसून (1-15 जून तक) की तुलना करें तो हमें हासिल होता है कि 2022 में 13 उपखंडों ने 'बहुत कम' वर्षा की सूचना दी थी जबकि 2023 में 18 सबडिवीजन में 'बहुत कम' वर्षा दर्ज की गई है। 

वहीं, कुल वर्षा के हिसाब से देखें तो 2022 में 30 उपखंडों में कम वर्षा की सूचना दी हालांकि, 2023 में 29 उपखंडों में कम वर्षा दर्ज की गई। 

इसके अलावा, 2023 में 11 की तुलना में 16 राज्यों ने 2022 में कम वर्षा की सूचना दी।

भूमध्य रेखा के पास दक्षिण-पश्चिम मॉनसूनी हवाओं को ट्रैक किए जाने के बाद से डीटीई मॉनसून की प्रगति का अनुसरण कर रहा है, और तब से, यह मॉनसून 2023 के लिए एक चलने-ठहरने वाला टेढ़ा-मेढ़ा पथ दिखाई दे रहा है।

मॉनसून बंगाल की खाड़ी से आधे रास्ते को पार कर गया था, टाइफून मावर ने हवाओं को रोक दिया था। और 19 मई से 29 मई 2023 तक मॉनसून की कोई प्रगति नहीं हुई थी। तब से मॉनसून ने लगातार प्रगति की है, हालांकि यह एक बार फिर ठहर गया है। 

सौराष्ट्र-कच्छ और पश्चिमी राजस्थान ने दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के बजाय चक्रवात बिपोरजॉय के कारण अधिक बारिश की सूचना दी है। बिपोरजॉय चक्रवात जो कि वर्तमान में अरब सागर में चल रहा है उसके 15 जून, 2023 को लैंडफॉल करने की उम्मीद है।

हालांकि, देवरस के अनुसार, टाइफून मावर के विपरीत, चक्रवात बिपोरजॉय ने मॉनसून की प्रगति को प्रभावित नहीं किया है। मॉनसून का मौसम आमतौर पर देश में व्याप्त तीव्र गर्मी से राहत देता है और खरीफ मौसम के दौरान उत्पादित फसल के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है।

स्काईमेट एजेंसी ने बुवाई के मौसम के साथ, 6 जुलाई तक मौजूदा ठहराव की भविष्यवाणी की है।

एजेंसी के मुताबिक “मध्य और पश्चिमी भागों में अपर्याप्त बारिश हुई है। मौसम के शुरुआत में ही मुख्य मॉनसून क्षेत्र के लिए सूखे के प्रभाव को अवशोषित करना मुश्किल होगा। ऐसे समय में गरीब किसानों के लिए यह मुश्किल होगी कि वह किन फसलों का और किस फसल चक्र का चुनाव करें। 

Subscribe to our daily hindi newsletter