साल 2023 का मॉनसून: सामान्य से कम होगी बारिश, खेती को लेकर बढ़ी चिंता: स्काइमेट

उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन की दूसरी छमाही में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है

By Dayanidhi

On: Monday 10 April 2023
 

मौसम का अनुमान लगाने वाले स्काईमेट ने आशंका जताई है कि आगामी जून से सितंबर में मॉनसून 'सामान्य से नीचे' रहेगा, जिसने देश में खेती को लेकर चिंता बढ़ा दी है। स्काईमेट ने जून से सितंबर तक चार महीने की लंबी अवधि के लिए 868.6 मिलीमीटर बारिश का अनुमान लगाया है, जो दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) का 94 फीसदी हो सकता है।

ला नीना के चलते पिछले लगातार चार साल में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से अधिक रहा। अब ला नीना समाप्त हो गया है और अल नीनो के आसार बढ़ रहे हैं। मॉनसून के दौरान अल नीनो के प्रभावी रहने की आशंका है। स्काईमेट के मुताबिक अल नीनो की वापसी से मॉनसून के कमजोर पड़ने का अनुमान है।

स्काईमेट ने अनुमान लगाया है कि देश के उत्तरी और मध्य भागों में बारिश के कम होने के आसार हैं। गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मॉनसूनी महीनों के दौरान बारिश में भारी कमी होने की आशंका जताई है। स्काईमेट ने कहा कि उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन की दूसरी छमाही में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है।

अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर में जलवायु पैटर्न हैं जो दुनिया भर के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं। अल नीनो और ला नीना की घटनाएं  औसतन हर दो से सात साल में होती हैं, लेकिन अमेरिकी सरकार की नेशनल ओशन सर्विस के अनुसार, वे नियमित समय पर नहीं होती हैं। एल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जहां भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह के पानी का असामान्य रूप से गर्म होना है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मॉनसून के पूर्वानुमान को जारी नहीं किया है, लेकिन इस गर्मी में तापमान के सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान लगाया है।

किसान आमतौर पर पहली जून से गर्मियों में बोई जाने वाली फसलों की बुवाई शुरू करते हैं, जब मॉनसूनी बारिश आमतौर पर भारत पहुंचती है। रोपाई  अगस्त की शुरुआत तक जारी रहती है। सामान्य से कम मॉनसून देश में ऐसे समय में खाद्य उत्पादन को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि दूसरी ओर मार्च में हुई बेमौसम बारिश से रबी फसल के उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका है।

आरबीआई द्वारा मुद्रास्फीति को लेकर जताई गई अनिश्चितता को देखते हुए, खाद्य मुद्रास्फीति के खतरे भी बढ़ सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कमजोर घरेलू मांग के कारण निकट अवधि में कोर मुद्रास्फीति के स्तर 6 फीसदी से ऊपर होने के आसार हैं, साथ चालू वर्ष के मॉनसून की कमी का भारी असर पड़ेगा।

स्काईमेट के अनुसार मॉनसून की संभावनाएं -

जून - एलपीए का 99 फीसदी (जून के लिए लंबी अवधि का औसत (एलपीए) = 165.3 मिमी)

  • बारिश के सामान्य होने की 70 फीसदी संभावना
  • बारिश के सामान्य से ऊपर होने की 10 फीसदी संभावना
  • बारिश के सामान्य से कम होने की 20 फीसदी की संभावना है

जुलाई - एलपीए का 95 फीसदी (जुलाई के लिए एलपीए = 280.5 मिमी बारिश)

  • बारिश के सामान्य होने की 50 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से ऊपर होने की 20 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से कम होने की 30 फीसदी की संभावना है

अगस्त - एलपीए का 92 फीसदी (अगस्त के लिए एलपीए = 254.9 मिमी बारिश)

  • बारिश के सामान्य होने की 20 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से ऊपर होने की 20 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से कम होने की 60 फीसदी की संभावना है

सितंबर - एलपीए का 90 फीसदी (सितंबर के लिए एलपीए = 167.9 मिमी बारिश)

  • बारिश के सामान्य होने की 20 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से ऊपर होने की 10 फीसदी की संभावना है
  • बारिश के सामान्य से कम होने की 70 फीसदी की संभावना है

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