भारी बारिश और बाढ़ के अलर्ट पर राजस्थान, पारंपरिक सूखे और गर्म जिलों में हो रही ज्यादा बारिश

एक जून से 16 जून तक के वर्षा आंकड़ों को देखें तो पश्चिमी राजस्थान उपखंड में 86 फीसदी ज्यादा (27.8 एमएम) वर्षा हुई है। वहीं, पूर्वी राजस्थान उपखंड में -41 फीसदी कम (12.8 एमएम) वर्षा ही हुई है।

By Vivek Mishra

On: Friday 16 June 2023
 

बिपरजॉय चक्रवात के कारण राजस्थान के पूर्वी और पश्चिमी उपखंड में अगले तीन दिन तक यानी 18 जून, 2023 तक तेज हवाओं के साथ भारी वर्षा होने की आशंका है। इस मानसून सीजन में अब तक राजस्थान के पश्चिमी उपखंड में ज्यादा वर्षा हो रही है जहां कि ज्यादातर जिले सूखे और गर्म माने जाते हैं। वहीं, पूर्वी उपखंड के जिलों जो ज्यादा वर्षा वाले माने जाते हैं वहां कम बारिश हुई है।  

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग उपखंडो का बंटवारा और सीमांकन समान जलवायु वाले स्थानों के आधार पर करता है। पश्चिमी राजस्थान में 10 जिले हैं जिनमें बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, गंगानगर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर, नागौर, पाली शामिल हैं जबकि अन्य 23 जिले पूर्वी राजस्थान में शामिल हैं। 

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की पूर्वी और पश्चिमी उपखंड संबंधी चेतावनी के मुताबिक   अगले तीन दिन इन दोनों उपखंडों में भारी वर्षा हो सकती है।

राजस्थान में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारी देवेंद्र कुमार जैन ने डाउन टू अर्थ को बताया कि बाढ़ के लिहाज से 16 जून को जालौन और बाड़मेर अलर्ट पर हैं जबकि इस अलर्ट में 17 जून को दो और जिले पाली और जोधपुर जुड़ जाएंगे।  

देवेंद्र कुमार जैन ने बताया कि ऐसे स्थान जो निचली सतह हैं और जहां ज्यादा बाढ़ की संभावना है वहां हाई अलर्ट है। वह बताते हैं कि 24 घंटों में जब 300 एमएम तक वर्षा हो जाए तब स्थिति बिगड़ती है। 100 से 200 एमएम तक वर्षा यहां के लिए खास नुकसानदेह नहीं है। 

वह कहते हैं कि बाढ़ से बचाव के लिए राजस्थान में 18 वर्ष पहले बाढ़ प्रबंधन मैनुअल तैयार किया गया था। कई सालों से 15 जून को बाढ़ के लिए टीमें अलर्ट हो जाती हैं। राजस्थान में आपदा प्रबंधन के लिए मैनपावर में बढोत्तरी हो रही है जो कि एक संकेत है कि आपदाएं बढ़ रही हैं। राजस्थान में मानसून 25 जून के बाद सक्रिय होता है। 

जैन के मुताबिक निचले स्थानों में अचानक से आने वाली तेज बाढ़ कई लोगों को डुबो देती है। वह दस वर्ष पहले की बाढ़ को याद करते हुए बताते हैं कि लोग घरों से बाहर सो रहे थे और अचानक आई बाढ़ में डूब गए थे। 

2005 में जारी हुए बाढ़ मैनुअल में डिजास्टर मनेजमेंट एंड रिलीफ के तत्कालीन सचिव आरके मीणा ने अपने शुरूआती नोट्स में लिखा है कि एक राज्य जो सूखे कि चपेट में है उसमें बाढ़ का मैनुअल हैरान करने वाला है। हालांकि यह तथ्य है कि राजस्थान समय-समय पर बाढ़ से ग्रसित होता है, जिसमें प्रशासन को कदम बढ़ाने होते हैं। 

जैन के मुताबिक गुजरात में बारिश कम हुई है और इस लिहाज से राजस्थान में भी वर्षा कम हो सकती है। हालांकि उन्होंने बताया कि जो जिले अलर्ट पर हैं उनमें एक दिन में 200 एमएम से ज्यादा वर्षा हो सकती है।

भारी वर्षा और बाढ़ के डर को  देखते हुए राज्य में करीब 500 आपदा मित्र और केंद्र व राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से रिस्पांस बल भी तैनात है। 

यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट को विजुअलाइज करने वाली वेबसाइट विंडी के मुताबिक अगले तीन दिनों में जोधपुर 260.9 एमएम वर्षा हो सकती है जो कि जिले की औसत सालाना वर्षा के बराबर है। 

वहीं, अगले दो दिनों में पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान के हिस्से 250 से 300 एमएम वर्षा हासिल कर सकते हैं। 

विंडी वेबसाइट के मुताबिक अगले दो दिनों में कोटा में 197.1, देवा में 28.5 एमएम, उदयपुर में 42.6 एमएम, उदयपुर में, जयपुर में 15.5 एमएम और जयपुर में 36 एमएम वर्षा हो सकती है।  

भारत में औसत वर्षा 883 एमएम होती है जबकि राजस्थान में 531 एमएम। पश्चिमी राजस्थान में औसत वर्षा 279 एमएम है जबकि पूर्वी राजस्थान में औसत वर्षा 631 एमएम है।  हालांकि मानसून के शुरूआती सीजन में कम वर्षा वाले पश्चिमी उपखंड में ज्यादा और अधिक वर्षा वाले पूर्वी राजस्थान में कम वर्षा हो रही है। 

राजस्थान के पश्चिमी उपखंड में सर्वाधिक कम वर्षा वाले क्षेत्र हैं हालांकि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव यहां भी पड़ा है और यहां पूर्वी राजस्थान के मुकाबले ज्यादा वर्षा हो रही है। आईएमडी के अनुसार मानसून 2023 के अब तक के सीजन में (एक जून से 16 जून तक) के वर्षा आंकड़ों को देखें तो समूचे राजस्थान में 21 एमएम वर्षा हुई है जो कि सामान्य है हालांकि, पश्चिमी राजस्थान उपखंड में 86 फीसदी ज्यादा (27.8 एमएम) वर्षा हुई है। वहीं, पूर्वी राजस्थान उपखंड में -41 फीसदी कम (12.8 एमएम) वर्षा ही हुई है।  

इस मानसून सीजन में पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक वर्षा वाले स्थानों में बाड़मेर (185 फीसदी अधिक) और गंगानगर (274 फीसदी  अधिक), जालौर (139 फीसदी), नागौर (105 फीसदी अधिक) जिला है जबकि पूर्वी राजस्थान में चित्तौरगढ़ और सीकर में सामान्य से अधिक वर्षा अब तक (1 से 16 जून) तक हुई है। 

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