कहानी मौसम के वैज्ञानिक पूर्वानुमान की
ब्रिटिश वैज्ञानिक एडमंड हैली ने भारत में मौसम विज्ञान की आधारशिला रखी
On: Friday 09 August 2019
आज हमारे पास मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए उपग्रह से प्राप्त सूचनाओं के साथ तमाम अत्याधुनिक साधन मौजूद हैं। भारत में मौसम के पूर्वानुमान पर सबकी, खासकर किसानों की टकटकी लगी रहती है। दरअसल भारत की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी अब भी जीवनयापन के लिए खेती पर निर्भर है। देश की 56 प्रतिशत भूमि बारिश के पानी सिंचित होती है और खेती को करीब 80 प्रतिशत पानी मॉनसून से ही मिलता है। यूं तो भारत में 3000 ईसवीं पूर्व से मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता रहा है लेकिन वैज्ञानिक तरीके से इसकी शुरुआत 17वीं शताब्दी में थर्मामीटर और बैरोमीटर की खोज के बाद हुई। 1686 में ब्रिटिश वैज्ञानिक एडमंड हैली ने भारत के मॉनसून के संबंध में एक थ्योरी लिखी।
यह थ्योरी हिंद महासागर और एशियाई भूमि के गर्म होने से पैदा हुई हवाओं पर आधारित थी। उन्होंने हवाओं को एक मानचित्र के माध्यम से समझाया जो मौसम विज्ञान का पहला चार्ट माना गया। उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में अमेरिकी नौसेना के अधिकारी मैथ्यू मुआरी ने पहला वैश्विक मौसम मानचित्र तैयार किया। उन्होंने 200 खंडों में मौसम के आंकड़े प्रकाशित किए जो हवा के दबाव और समुद्री तापमान पर आधारित थे। 1872 में ब्रिटिश पोत एमएमएस चैलेंजर मौसम के आंकड़े एकत्रित करने के लिए चार साल तक दुनियाभर में घूमा। इस पोत ने एक लाख 27 हजार किलोमीटर की यात्रा की। मिशिगन विश्वविद्यालय के इतिहासकार पॉल एडवर्ड ने 2010 में इस यात्रा को अपनी किताब “ए वास्ट मशीन” में दर्ज किया। देखते ही देखते 20वीं शताब्दी तक दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में मौसम केंद्र स्थापित हो गए।
भारत में मौसम और जलवायु का अध्ययन करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1785 में कोलकाता और 1796 में वेधशाला स्थापित की। मौसम विज्ञान का वैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए कलकत्ता में 1784 और बॉम्बे में 1804 में एशियाटिक सोसासटी की स्थापना की गई। कैप्टन हैरी पिडिंगटन ने 1835-1855 के दौरान एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में 40 शोधपत्र प्रकाशित किए और चक्रवात शब्द को परिभाषित किया। उन्होंने अपने शोधपत्रों में ऊष्णकटिबंधीय तूफानों से निपटने के कई उपाय बताए। 1842 में उन्होंने लॉज ऑफ द स्टॉर्म्स प्रकाशित किया। हैरी पिडिंगटन ने मौसम विज्ञान को देखने और समझने की एक दृष्टि प्रदान की।
कलकत्ता में 1864 में भीषण चक्रवात और 1866 व 1871 के अकाल में लाखों लोगों की मौत के बाद 1875 में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की स्थापना हुई। इसका मुख्य काम किसानों के लिए बारिश की भविष्यवाणी करना था ताकि अकाल जैसी स्थितियों से बचा जा सके। एचएफ ब्लैनफोर्ड को तक मौसम विज्ञान रिपोर्टर नियुक्त किया गया। वेधशालाओं में पहले महानिदेशक के रूप में 1889 में जॉन एलियट की नियुक्ति की गई। इसके बाद आईएमडी आधारभूत संरचनाओं के साथ पूर्वानुमान सेवाओं, संचार और वेधशालाओं का लगातार विस्तार करता गया। कंप्यूटर का सबसे पहले इस्तेमाल आईएमडी ने ही किया। आज आईएमडी का इतिहास 140 साल से अधिक हो चुका है और यह प्रतिदिन मौसम की जानकारी देता है।